Homeलाइफ़Jungle Man: 17 सालों से जंगल में अपनी पुरानी एंबेसडर कार में...

Jungle Man: 17 सालों से जंगल में अपनी पुरानी एंबेसडर कार में रहता है यह शख्स, लोगों ने नाम दिया ‘जंगल मैन’

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

‘Jungle Man’ Chandrashekar Gowda – हमारे बड़े बुजुर्ग सदा से कहते आए हैं – “कर्ज लेकर घी पीने की आदत सही नहीं होती। जितनी हमारी चादर हो, उतने ही पैर पसारने चाहिए और बुरे समय के लिए सदैव कुछ पूंजी बचा कर रखनी चाहिए वगैरह-वगैरह।” अपने पूर्वानुभवों के आधार पर बड़े बुजुर्गों ने जो ये नसीहतें दी हैं, उनसे सबक न लेने वाला व्यक्ति का अपना नुकसान कर बैठता है। कर्ज चाहे किसी भी वजह से क्यों ना लिया गया हो, लेकिन यह इतनी बुरी चीज होती है कि एक पल में ही इंसान के जीवन को बर्बाद कर सकता है। किसी से कर्ज लेकर सही वक्त पर नहीं चुकाना समाज में बेइज्जइती की वजह भी बनता है। इसके अलावा कर्ज ना चुका पाने की वजह से बहुत से लोग आत्महत्या जैसे गलत कदम भी उठा लेते हैं।

आज हम आपको कर्नाटक (Karnataka) के एक ऐसे शख्स (‘Jungle Man’ Chandrashekar Gowda) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पूरा जीवन कर्ज़ लेने की वजह से तबाह हो गया और उसे बीते 17 सालों से घने जंगल में अपनी एक खटारा एंबेसडर कार में जीवन गुज़ारने को मजबूर होना पड़ा।

Jungle Man Chandrashekar Gowda

चंद्रशेखर गौड़ा (Chandrashekar Gowda)

इस 56 वर्षीय व्यक्ति का नाम है चंद्रशेखर गौड़ा (Chandrashekar Gowda), जो कर्नाटक के रहने वाले हैं। असल में कई वर्षों पहले उन्होंने एक छोटा सा एग्रीकल्चर लोन लिया था, परन्तु उसे चुका पाने की वजह से उन्हें अपनी 1.5 एकड़ जमीन से भी हाथ धोना पड़ गया था। इस घटना के बाद से वे घने जंगलों के बीच अपनी कार में रह रहे हैं। चंद्रशेखर अपनी ज़मीन जाने के ग़म को सहन नहीं ना कर पाए थे तथा अपनी एंबेसडर कार से जंगल की ओर चले गए।

उसके बाद उन्होंने वापस मुड़कर घर की तरफ नहीं देखा। सूत्रों के मुताबिक जानकारी मिली है कि वे काफी समय से दक्षिण कन्नड़ जिले सुलिया के पास स्थित सघन वन में रहते हैं। वहां बांस से बंधी एक छोटी प्लास्टिक शीट दिखाई देती है। उसके पास में चंद्रशेखर की जर्जर हुई एंबेसडर कार भी खड़ी दिखती है। उनसे मिलना हो तो जंगल में 3-4 Km. तक दूरी तय करनी होती है।

Ambassador Car

कैसे बने चंद्रशेखर से “जंगल मैन”? (‘Jungle Man’ Chandrashekar Gowda)

पिछले 17 सालों से चंद्रशेखर इन घने जंगलों में रह रहे हैं लेकिन पहले हालात कुछ और थे। असल में वर्षों पूर्व चंद्रशेखर के नाम से गांव में उनकी अपनी डेढ़ एकड़ जमीन थी, जिस पर वे सुपारी की खेती करके जीवनयापन किया करते थे। उनका गुज़ारा खेती से चल रहा था, लेकिन फिर किस्मत ने करवट बदली। वर्ष 2003 में उन्होंने एक को-ऑपरेटिव बैंक से 40,000 रुपये का एग्रीकल्चर लोन लिया। इस लोन को चुकाने के लिए उन्होंने सभी कोशिश है कि लेकिन दुर्भाग्यवश लोन की रकम अदा ना कर पाए। जिसकी वजह से बैंक ने उनकी जमीन की नीलामी कर डाली। इस घटना से चंद्रशेखर के मन पर गहरा धक्का लगा। उनसे उनका घर और जमीन सब छिन चुका था। फिर हालात के मारे चंद्रशेखर ने अपनी बहन के पास जाने का फैसला किया।

उस समय उनके पास संपत्ति के नाम पर केवल उनकी एक एंबेसडर कार बची थी। उसे लेकर वे अपनी बहन के घर पहुंचे, परन्तु कुछ दिन वहां रहने के बाद बहन के परिवार वालों से अनबन होने के कारण उन्होंने वह घर भी छोड़ दिया। अब वह पूरी तरह से टूट चुके थे और सब को छोड़कर बहुत दूर चले जाना चाहते थे, इसलिए वह अपनी कार लेकर सघन जंगल में रहने चले गए और फिर लौटकर नहीं आए। उन्होंने जंगल में ही अपनी एंबेसडर को घर बना कर उसमें रहना शुरू कर दिया।

'Jungle Man' Chandrashekar Gowda

इस तरह से जंगल में जीवन जी रहे हैं ‘Jungle Man’ Chandrashekar Gowda

सालों पहले चन्द्रशेखर जब घर छोड़कर जंगल में आए थे, तो अपने साथ 2 जोड़ी कपड़े व 1 हवाई चप्पल ले आए थे। वही चीज़ें आज भी उनके पास हैं। वे अपनी कार के भीतर ही सोया करते हैं। इस कार को पानी तथा धूप के नुकसान से बचाने के लिए उसके ऊपर उन्होंने प्लास्टिक का कवर चढ़ा रखा है। इन गुज़रे हुए 17 सालों में चंद्रशेखर का हुलिया बिल्कुल बदल गया है। वे काफी कमजोर हो गए हैं और उनके सर के लगभग आधे बाल उड़ गए हैं। वह वक्त से पहले ही बूढ़े दिखाई देने लगे हैं और पूरे शरीर पर झुर्रियां आ गई हैं। उनके दुबले पतले शरीर से हड्डियां दिखाई देती हैं। दाढ़ी व बाल भी बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं।

पर हैरानी की बात तो ये है कि इतने सालों बाद भी कार में लगा हुआ रेडियो अब तक सही तरह से चल रहा है। चंद्रशेखर को अब जंगल में रहने की आदत हो गई है। वे जंगल के पास स्थित नदी में नहाया करते हैं और जंगल के पेड़ों की सूखी पत्तियां इकट्ठा करके उससे टोकरियां बनाया करते हैं, फिर ये टोकरियाँ पास के गांव में बेच आते हैं। इन बास्केट को बेचने पर उन्हें जो पैसे मिलते हैं, उससे वे चावल, चीनी तथा दूसरा राशन का सामान खरीद कर ले आते हैं और जंगल में खाना बनाकर खाते हैं।

'Jungle Man' Chandrashekar Gowda

आज भी अपनी जमीन वापस पाने की उम्मीद संजोए हैं

चंद्रशेखर कहते हैं कि अब यह कार ही उनकी दुनिया बन गई है। कार के अलावा उनके पास एक साइकिल भी है, उसी पर बैठकर वे पास के गांव में आया जाया करते हैं। इस जंगल में रहने के दौरान बहुत बार हाथियों ने उनके घर पर हमला भी कर दिया था, परन्तु फिर भी वे बिना डरे वहां रह रहे हैं। चंद्रशेखर कभी भी जंगल के किसी पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। टोकरियाँ बनाने के लिए वे वो सूखी हुई पत्तियों व लकड़ियों का उपयोग किया करते हैं, इसलिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लोग उन्हें कुछ नहीं कहते।

लॉकडाउन के कठिन समय के बारे में बताते हुए चंद्रशेखर (‘Jungle Man’ Chandrashekar Gowda) ने कहा कि लॉकडाउन उनके लिए भी बहुत मुश्किल रहा। कई महीनों तक उन्होंने जंगल के फल खाकर गुज़ारा किया था, पर फिर भी वापस जाने का नहीं सोचा। दरअसल चंद्रशेखर आज भी अपने मन मे अपनी जमीन वापस पाने की उम्मीद संजोए हुए हैं। उन्होंने अपनी जमीन के सारे डाक्यूमेंट्स भी संभाल कर रखे हुए हैं। उनकी यह जिद्द है कि जब उन्हें उनकी जमीन वापस मिलेगी, तभी वे इस जंगल को छोड़कर वापस जाएंगे।

यह भी पढ़ें
News Desk
News Desk
तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

Most Popular