सच्ची मेहनत आपको एक न एक दिन सफल ज़रूर बनाती है। विदिशा (Vidisha) की रहने वाली आयुषी जैन (Ayushi Jain) ने वर्ष 2019 में अपने तीसरी बार के प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में 41वी रैंक हासिल की थी। 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद मध्य प्रदेश, विदिशा (Vidisha) के एक छोटे से शहर सिरोंज (Sironj) की रहने वाली आयुषी जैन (Ayushi Jain) ने साल 2019 की IAS की परीक्षा में टॉप कर अपने IAS बनने के सपने को पूरा किया था।
उन्होंने तीसरी बार में यह सफलता हासिल की। 2017 में अपनी पहली परीक्षा में वह प्री भी क्लियर नहीं कर सकी और 2018 में प्री तो क्लियर कर लिया लेकिन मेंस में सफल नहीं हो सकी। लेकिन तीसरी बार में यानी 2019 में अपने पढ़ाई के स्ट्रेटजी और टाइम मैनेजमेंट में काफ़ी कुछ बदलाव करने के बाद वह सीधे यूपीएससी की परीक्षा में 41वीं रैंक के साथ टॉप कर गई।
आयुषी द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं
शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रही
आयुषी ने अपनी प्रारंभिक परीक्षा अपने होम टाउन से ही प्राप्त की। इनके पिता एक बिजनेसमैन है तो वहीं इनकी माता एक हाउसवाइफ है। शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाली आयुषी ने अपनी दसवीं की परीक्षा में 91.2% अंक प्राप्त किए तो वही अपनी 12वीं की परीक्षा को 90.4% अंको के साथ उत्तीर्ण किया।
तैयारी के लिए छोड़ दी अपनी नौकरी
आगे की पढ़ाई करने के लिए उन्होंने भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया और वहीं से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और डिग्री हासिल करने के बाद वह एक कंपनी में जॉब भी करने लगी और 2 सालों तक उन्होंने जॉब भी किया। जॉब करने के दौरान अचानक आयुषी के मन में आया कि वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करें और अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपना जॉब भी छोड़ दिया, जो उनके लिए काफ़ी मुश्किल था। उसके बाद वह लग गई परीक्षा की तैयारी में।
कोचिंग के नोट्स से काफ़ी मदद मिली
आयुषी अपनी तैयारी को लेकर बताती हैं कि उन्हें कोचिंग के द्वारा बहुत हेल्प मिला, जिसकी वज़ह से उनका कंसंट्रेशन भी अपनी पढ़ाई पर बना रहा। उन्हें कोचिंग में जो भी नोट्स मिले थे वह और सेल्फ स्टडी उन्हें सफलता दिलाने में काफ़ी मददगार साबित हुआ।
ऑप्शनल को ही बदल दिया
आयुषी जब अपने दोनों प्रयासों में सफल नहीं हो सकी तो उन्होंने अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट ही बदल दिया। दोनों प्रयासों में उनका विषय मैथ्स था लेकिन अपने तीसरे परीक्षा के दौरान अपना विषय बदलकर उन्होंने एंथ्रोपोलॉजी कर दिया। लेकिन उसके बाद उन्हें एंथ्रोपोलॉजी को पढ़ने के लिए ज़्यादा दिन का समय नहीं मिला, उनके पास से दो महीने ही बचे थे। उन्होंने इतने ही दिनों में जमकर तैयारी की और आखिरकार सफलता भी हासिल की।
क्या क्या बदलाव की तैयारी में
आयुषी का कहना है कि अपने पहले प्रयास में उन्होंने पढ़ाई से ज़्यादा सोर्स इकट्ठे कर लिए थे। जिससे वह ठीक ढंग से रिवीजन नहीं कर सकी और यही वज़ह थी कि वह ठीक ढंग से प्रैक्टिस नहीं कर सकी। अपने आगे की पढ़ाई में उन्होंने बहुत सारे बदलाव किए और परीक्षा के पहले लगभग 50 मॉक दिए। लेकिन दूसरे प्रयास में वह अपना मेंस क्लियर नहीं कर सकीं। उसके बाद उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और तब उन्होंने प्रैक्टिस के साथ-साथ ढेर सारे पेपर दिए जिससे उन्हें अंदाजा लग गया कि उनके लिखने की क्षमता कैसी है और कैसे इसमें और सुधार लाया जा सकता है।
दूसरे परीक्षार्थियों को क्या कहती हैं आयुषी
आयुषी दूसरे परीक्षार्थियों के लिए यही कहती है कि आप ज़्यादा ज्यादा सोर्सेज इकट्ठा ना करके कम सोर्सेज को ज़्यादा से ज़्यादा रिवीजन करें तो बेहतर होगा। क्योंकि प्रेक्टिस ही इंसान को परफेक्ट बनाता है। प्रैक्टिस के साथ-साथ कैंडिडेट मॉक टेस्ट ज़रूर दें और जितना ज़्यादा हो सके पेपर को सॉल्व करें, जिसे आप जान पाएंगे कि मेंस में पेपर को लिखना कैसे हैं? इसके लिए आप टॉपर्स के आंसर को भी देख सकते हैं कि वह किस तरीके से अपने आंसर को लिखते हैं और उनमें कौन-कौन से एलिमेंट डालते हैं। लिखने के दौरान आप अपने आंसर में फ्लोचार्ट, डायग्राम्स, केस स्टडी, एग्जांपल्स इत्यादि ज़रूर डालें जिससे आपको ज़्यादा ज्यादा अंक प्राप्त होंगे।
आख़िरी में आयुषी का यही कहना है कि अपनी तैयारी और परीक्षा के दौरान अपने दिमाग़ को बिल्कुल शांत और संतुलित बनाए रखना बहुत ज़रूरी होता है आप 24 घंटे पढ़ाई पर ध्यान ना दें बल्कि जितने घंटे पढ़ाई करें आप उसे परफेक्ट तरीके से करें और साथ ही साथ अपने मनोरंजन की चीजों पर भी ध्यान दें जिससे आपका दिमाग़ बैलेंस में बना रहे।
आयुषी कहती है कि दिल से मेहनत करें सफलता मिलने में थोड़ी-सी देर हो सकती है लेकिन मिलेगी ज़रूर।