“मान लो तो हार है, ठान लो तो जीत”
जी हां इस कथन को सच कर दिखाया है हरियाणा की काजल ज्वाला ने। जिन्होंने 9 घंटे की नौकरी करने के साथ -साथ IAS बनकर सिर्फ़ अपने परिवार ही नहीं बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ाया है।
Success Story Of IAS Kajal Jwala
मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली काजल बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखती थी। लेकिन अपने पिता के कहने पर की तुममें काबिलियत है IAS बनने की, तुम बन सकती हो। इसी बात से प्रेरित होकर काजल विप्रो जैसी बड़ी कंपनी में नौकरी करने के साथ -साथ (जिसमें उनका सलाना पैकेज 23 लाख था) UPSC की तैयारी में जुटी रही। घर की आर्थिक स्थिति ठीक रहे इसलिए नौकरी भी नहीं छोड़ा।
विवाहित जीवन नहीं बनी बाधा
इसी बीच 2016 में उनकी शादी भी हो गई। लेकिन उन्होंने कभी किसी कठिनाई को अपनी मंज़िलो के सामने नहीं टिकने दिया। यूं तो लड़कियों के लिए बहुत मुश्किल होता है शादी के बाद अपने करियर पर ध्यान देना, लेकिन काजल ने इसे भी ग़लत साबित करते हुए अपनी शादी, नौकरी और UPSC की तैयारी में बख़ूबी संतुलन बनाए रखा।
और इसमें अगर किसी ने भरपूर सहयोग किया तो वो थे उनके पति आशीष मलिक, जो ख़ुद भी इंडिया की अमेरिकन एम्बेसी में कार्यरत हैं। उन्होंने वो सारे काम किए जो अक्सर लड़कियों को शादी के बाद करना पड़ता है, वो चाहे खाना बनाना हो या झाड़ू पोछे का काम।
और यही वजह थीै कि काजल अपनी इतनी बिजी लाईफ में भी समय निकालकर पढ़ पाई। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी समय का अभाव। लेकिन इन सारी चुनौतियों के बावजूद उन्होंने तैयारी के लिए ज़बरदस्त स्ट्रेटजी बनाया और उसे फ़ॉलो किया।
ऐसे निकाला टाइम
अपने टाइम मैनेजमेंट और तैयारी को लेकर काजल बताती हैं कि उनका घर नोएडा में और ऑफिस गुरुग्राम में था, ऐसे में उन्हें कैब से 2-3 घंटे आने – जाने में लग जाते थे और इस समय का भी उन्होंने भरपूर सदुपयोग किया और इस समय में वो ऐसे विषय का चुनाव करती जिसमें ज़्यादा एकाग्र होने की ज़रूरत ना हो जैसे- करेंट अफेयर्स, न्यूज़ पेपर, मैगज़ीन इत्यादि को वो आसानी से कवर कर लेती थी।
और फिर घर आकर जो भी समय बचता उनमें वो एकाग्र होकर पढ़ाई पर ध्यान देती। वीकेंड, हॉलीडे जैसे शब्द काजल की डिक्शनरी में तोे थे ही नहीं।
कैसे की परीक्षा की तैयारी
अक्सर लोग एक बार की असफलता में ऐसे टूट जाते हैं जैसे उन्हें कभी सफ़लता मिलेगी ही नहीं। ऐसे में काजल 4 बार मिली असफलताओ से पीछे नहीं हटी और आख़िरकार 5वीं बार में उन्होंने अपनी मंज़िल पाई और 2018 में होने वाली UPSC की परीक्षा में 28वीं रैंक हासिल किया।
एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि UPSC का सिलेबस एक समुंद्र की तरह है, जिसकी कोई सीमा नहीं है। इसकी प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में हर विषय का गहन अध्ययन ज़रूरी है, जिसमें NCERT की किताबें रामबाण की तरह काम करती हैं और इंटरव्यू में भी हर एक प्रश्न का जवाब बहुत ही शान्त मन और समझदारी से देना पड़ता है।
NCERT के साथ साथ उन्होंने इतिहास के लिए आर. एस. वर्मा , भूगोल के लिए गोए चेंग लोआंग, आधुनिक इतिहास के लिए स्पेक्ट्रम तो वहीं भारतीय राजनीति के लिए लक्ष्मीकांत के किताबों का अध्ययन किया, और साथ साथ पिछले वर्ष के प्रश्नों का विश्लेषण किया जिससे वे ज़्यादा से ज़्यादा नंबर पा सकें।
पांचवीं बार में मिली सफलता
अपने UPSC की इंटरव्यू में काजल ने पहली रैंक पाने वाली कनिष्क कटारिया को भी पीछे छोड़ दिया और 201 अंक हासिल की, वहीं कनिष्क ने 179 अंक। रिटेन परीक्षा में भी काजल को 1750 में 850 अंक मिले थे।
असल जीवन में काजल अपने पिता को आदर्श मानती हैं और बाहरी जीवन में Dr. APJ Abdul Kalam को। अपनी सफ़लता का श्रेय वो अपने पिता, पति और परिवारवालों को देती हैं, जिनके सहयोग और अपने मेहनत से वो ये मुकाम पा सकी हैं।अंततः यह कहना उचित होगा कि कभी भी समय, पैसा और मुश्किलें किसी की मंजिलों में रोड़ा नहीं बन सकती। बस हमे हर मुश्किलों से पार होने का जज़्बा होना चाहिए।