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संस्कृत, जो विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है, वर्तमान में विलुप्त होने के कगार पर है।

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संस्कृत, जो विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है, वर्तमान में विलुप्त होने के कगार पर है। अनेकों भाषाओं की जननी कही जाने वाली संस्कृत भाषा की आस्तित्व आज ख़ुद खतरे में है। बहुत सारी भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से ही हुई है। इसे देववाणी और सुरभारती भी कहा जाता है। मुश्किल से कभी मंदिरों या गुरुकुल से गुजरते वक़्त इसकी ध्वनि सुनने को मिल जाती है।

कभी संस्कृत भाषा हमारे भारत की विरासत थी, और आज के परिदृश्य में हम देख सकते हैं कि इसकी क्या स्थिति है? हम भारत के लोग जिस पश्चिमी सभ्यता संस्कृति और साहित्य को अपनाने में लगे हुए हैं, वहां के लोग हमारी संस्कृति, सभ्यता और साहित्य पर रिसर्च कर रहे हैं। और अपनी सभ्यता और संस्कृति को मजबूत बना रहे हैं।

आज दुनिया में संस्कृत की महत्ता को समझकर स्कूल्स, यूनिवर्सिटीज के पाठ्यक्रम में इसे जोड़ा जा रहा है, वहीं भारत में इसके लिए कोई ख़ास क़दम नहीं उठाया जा रहा है। सही कहा गया है कि अगर किसी देश का विनाश करना है या उसे तोड़ना है तो सबसे पहले उसकी भाषा पर प्रहार करो। और यही हमारे देश के साथ हुआ।

आइए जानते हैं आख़िर क्यों संस्कृत भाषा की इतनी महत्ता है, क्यों संस्कृत बाकी भाषाओं से समृद्ध है?

  • संस्कृत में दुनिया के किसी भाषा से भी ज़्यादा शब्द हैं।वर्तमान में संस्कृत के शब्दकोश में लगभग 102 अरब,78 करोड़,50 लाख शब्द हैं।
  • फोर्ब्स पत्रिका ने जुलाई 1987 में संस्कृत को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए सबसे बेहतर भाषा माना है।
  • किसी और भाषा के मुक़ाबले संस्कृत में सबसे कम शब्दों में वाक्य पूरा हो जाता है।
  • संस्कृत दुनिया की अकेली ऐसी भाषा है जिसे बोलने में जीभ की सभी मांशपेशियों का इस्तेमाल होता है।
  • अमेरिकन हिन्दू यूनिवर्सिटी केअनुसारसंस्कृत में बात करने वाला मनुष्य ब्लडप्रेशर, सुगर, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो सकता है। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है, जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है।
  • संस्कृत स्पीच थेरेपी में भी मददगार है। यह एकाग्रता को बढ़ाती है।
  • कर्नाटक के मुत्तुर गाँव के लोग केवल संस्कृत में ही बातें करते हैं।
  • जर्मनी में बड़ी संख्या में संस्कृत भाषीयों की मांग है। जर्मनी में 14 यूनिवर्सिटीज में संस्कृत पढ़ाई जाती है।
  • नासा के वैज्ञानिकों द्वारा बनाए जा रहे 6th और 7th जेनेरेशन सुपर कंप्यूटर संस्कृत भाषा पर आधारित होंगे जो 2034 तक बनकर तैयार हो जाएंगे।
  • इस समय दुनिया में 17 से ज़्यादा देशों की कम से कम एक यूनिवर्सिटी में तकनीकी शिक्षा के कोर्सेज में संस्कृत पढ़ाई जाती है।
  • संस्कृत सीखने से दिमाग तेज हो जाता है और याद कारण की शक्ति बढ़ जाती है इसलिए लंदन और आयरलैंड के कई स्कूलों में संस्कृत को कंपल्सरी विषय बना दिया गया है।
  • आपको जानकर हैरानी होगी कि कंप्यूटर द्वारा गणित के सवालों को हल करने वाली विधि Algorithms संस्कृत में बने है कि अंग्रेज़ी में।
  • नासा के पास संस्कृत में ताड़पत्रों पर लिखी 60,000 पांडुलिपियां हैं, जिसपर नासा रीसर्च कर रहा है।
  • संस्कृत किसी भी शब्द के लिए एक अद्भुत ख़ज़ाना है, जैसे हाथी के लिए संस्कार में 100 से ज़्यादा शब्द हैं।
  • नासा के मुताबिक़ संस्कृत धरती पर बोली जाने वाली सबसे स्पष्ट भाषा है।

इतनी सारी खूबियों के वावजूद हमारी विरासत हमसे खोती हुई नज़र आ रही है। ये हमलोगो की जिम्मदारी बनती है कि हमलोग अपने विरासत को बचाए अथवा इसका संरक्षण करें, वर्ना ये इतिहास के पन्नों में ही दब कर रह जाएगी।

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News Desk
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तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

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