ज्यादातर लोग खेती इसलिए नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उनके पास ख़ुद की ज़मीन नहीं होती है। तो ऐसे में लोगों की इस समस्या का हल है हाइड्रोपोनिक तकनीक (Hydroponic Technique)। इस तकनीक से खेती करने में आपको मिट्टी और खाद की आवश्यकता नहीं होती है। यही कारण है कि केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH Lucknow) ने इसे स्वरोजगार से जोड़ने का निर्णय लिया है।
इसके लिए एक मॉडल भी तैयार किया गया है। इस मॉडल में पोषण की समस्या का भी ख़्याल रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है युवाओं को प्रशिक्षण देना ताकि वह स्वरोजगार के लिए तैयार हो सके। इस विधि के जरिए आप खेतों के बजाए अपने छत या बालकनी में भी सब्जियों या फलों इत्यादि की खेती कर सकते हैं।
Hydroponic Technique का प्रदर्शन राजभवन में आयोजित किया गया
डॉ. शैलेंद्र राजन जो सीआईएसएच के निदेशक हैं, उन्होंने कहा कि इस तकनीक का प्रदर्शन राजभवन में आयोजित प्रादेशिक शाक एवं सब्जी प्रदर्शनी में भी किया गया। इसकी प्रदर्शनी इतनी अच्छी रही कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस मॉडल को प्रदर्शनी ख़त्म होने के बाद भी एक दिन तक वहाँ रखने का निर्देश दे दिया। ताकि इससे लोग ज़्यादा से ज़्यादा जानकारियों को पा सके और ख़ुद को लाभान्वित कर सके।
वैज्ञानिकों के द्वारा सस्ता मॉडल तैयार किया गया है
डॉ राजन ने कहा कि इस विधि से पौधे लगाने पर आप लगभग 80% पानी की बचत कर सकते हैं। इस विधि से खेती करने का जो मॉडल तैयार किया गया है वह काफ़ी सस्ता है, ताकि हर कोई इसे अफोर्ड कर सके। इस विधि में जिस सॉल्यूशन का इस्तेमाल किया जाता है बाजारों में 400 रुपए प्रति लीटर तक बिकता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने सिर्फ़ एक चौथाई क़ीमत में ही मॉडल तैयार किया है।
ट्रेनिंग के बाद युवा अपना ख़ुद का कोई उद्यम शुरू कर सकते हैं
मॉडल पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत संस्थान के रहमान खेड़ा स्थित एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर में इसकी ट्रेनिंग देने की शुरुआत की जाएगी। शिक्षण प्राप्त करने के बाद युवा अपना ख़ुद का कोई उद्यम शुरू कर सकते हैं। जो लोग भी बागवानी करने का शौक रखते हैं वह लोग इस तकनीक को काफ़ी पसंद कर रहे हैं।
पौधे खरीदने के लिए ऋण भी दिया जाएगा
डॉ राजन ने बताया कि युवा इस अवसर का लाभ पूरी तरह से उठाएँ। शिक्षण के दौरान संस्थान द्वारा हर तरह की तकनीकी सहायता उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी। अगर उनके पास पौधे या उससे जुड़ी सामग्रियों को खरीदने के लिए पैसे नहीं है तो संस्थान द्वारा इन चीजों को भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें आसानी से ऋण भी दिया जाएगा। इस तरह से अब ना सिर्फ़ किसान बल्कि आम लोग भी खेती कर सकते हैं और मुनाफा हासिल कर सकते हैं।