अक्सर हमलोगों को यह सुनने में आता है कि ये बाइक या ये कार इतना माइलेज देती है। लेकिन क्या आपलोगों ने कभी ये सोचा है कि चंद मिनटों में कई किलोमीटर का सफ़र करा देने वाला हवाई जहाज कितना माइलेज देता है, या उसके 1 किलोमीटर की दुरी तय करने में कितना फ्यूल लगता है?
ऐसा लोग इसलिए नहीं सोचते क्योंकि पहले कुछ उच्च वर्ग के लोग ही कहीं आने जाने में इसका इस्तेेमाल करते थे लेकिन वर्तमान समय में मिडिल क्लास के लोग भी धरल्ले से कहीं आने जाने के लिए हवाई जहाज़ की यात्रा करना पसंद करते है। इसका कारण यह है कि जिस जगह पर जाने में आपको 24 घंटे लग जाते है उस जगह पर विमान हमें सिर्फ़ 1 घंटे में पहुँचा सकता है।
एक किलोमीटर में कितना फ्यूल ख़र्च होता है?
आइये इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इसकी जानकारी देते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा विमान ‘बोईंग 747’ , जिसके सिर्फ़ 1 किलोमीटर उड़ने में 3 से 4 लीटर फ्यूल ख़र्च होता है, वहीं अगर दो पहिए या चार पहिए वाहनों की बात की जाए तो वह एक लीटर में 30 से 80 किलोमीटर का माइलेज देते हैं। इससे आपको अनुमान लग गया होगा कि विमान कितना माइलेज देता है और इसके उड़ने का ख़र्च कितना महँगा होता है।
इस तरह से अगर कैलकुलेशन किया जाए तो बोईंग विमान में प्रति सेकंड लगभग 4 लीटर फ्यूल ख़र्च होता है। इसका मतलब है कि इसके एक मिनट की यात्रा में लगभग 240 लीटर फ्यूल लगेगा और 10 घंटे की उड़ान के दौरान इसमें लगभग 36, 000 गैलन यानी 1 लाख 36 हज़ार लीटर फ्यूल ख़र्च होगा। तो है न ये हैरान करने वाली बात।
बोईंग 747 विमान बनाने वाली कंपनी के वेबसाइट पर इसके बारे में अध्ययन करने पर पता चला कि 12 लीटर फ्यूल लग जाते है इसे एक किलोमीटर तक उड़ान भरने में। इसकी अधिकतम रफ़्तार 900 किलोमीटर प्रति घंटा है।
यहाँ बोईंग 747 विमान के बारे में कुछ और रोचक जानकारियाँ देना बेहद ही आवश्यक है जैसे इसने अपनी पहली उड़ान कब भरी थी, या ये किस प्रकार का विमान है?
तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की बोईंग 747 विमान अपनी पहली उड़ान 9 फरवरी सन् 1969 को भरी थी। यह विमान सबसे पहला ऐसा विमान है जिसका आकार सबसे बड़ा है। बोईंग 747 एक कार्गो परिवहन और व्यव्सायिक विमान है, जिसे जम्बो जेट या आसमान की रानी के नाम से भी जानते हैं। इस विमान से एक बार में लगभग 568 लोग यात्रा कर सकते हैं।
विमान में ख़र्च होने वाले फ्यूल का कैसे बचत कर सकते है?
इसका सबसे सरल और आसान तरीक़ा यही है कि लंबे रूट के बजाए सीधे रूट का इस्तेमाल किया जाए, जिससे ईंधन की खपत काम हो। इस तरीके के इस्तेेमाल सबसे ज़्यादा किया जाता है ईंधन को बचाने के लिए।
ईंधन का ख़र्च विमान की वज़न पर भी डिपेंड करता है, जितना ज़्यादा वज़न उतना ज़्यादा ईंधन की खपत होगी और जितना कम वज़न ईंधन की बचत उतनी ही होगी। विमानों को कम स्पीड में चलाने पर भी फ्यूल की बचत होती है। इसमें लगने वाली फ्यूल को ATF यानी (एवीएशन टरबाईन फ्यूल) कहा जाता है।