History of Toothbrush – हर व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत टूथब्रश के साथ करता है, क्योंकि मुंह की साफ़ सफ़ाई के लिए ब्रश करना बेहद ज़रूरी है। इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि आप किस ब्रांड का टूथब्रश इस्तेमाल कर रहे हैं, ज़रूरी तो यह है कि आप अपनी ओलर हेल्थ ध्यान रखें।
भारत के ग्रामीण इलाकों में टूथब्रश की जगह नीम की दातुन की जाती है, जिससे दांतों चमकदार और मसूड़े मज़बूत होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी स्माइल को चमकदार बनाने वाले टूथब्रश का इजाद कैसे और कब किया गया।
चीनी राजा की देन है टूथब्रश (History of Toothbrush)
प्राचीन काल में लोग अपने दांतों को साफ़ करने के लिए राख, मिट्टी और दातुन का इस्तेमाल करते थे, जो एक प्राकृतिक और सस्ता तरीक़ा था। लेकिन बीतते समय के साथ सुविधाएँ बढ़ने लगी और लोग टूथब्रश का इस्तेमाल करने लगे।
रोजाना इस्तेमाल होने वाले टूथब्रश को दुनिया के सामने लाने का श्रेय चीनी राजा को दिया जाता है, जिसने 26 जून 1498 को पहली बार टूथब्रश का यूज किया था। इतिहासकारों की मानें तो चीन के मिंग वंश के शासक होंगझी ने दांत साफ़ करने के लिए सबसे पहले टूथब्रश का इस्तेमाल किया था, जो दिखने में आज के टूथब्रश से बहुत ही अलग था।
सूअर के बालों से बनाया था पहला टूथब्रश
चीन के राजा होंगझी को दातुन करने के बजाय लकड़ी के हत्थे पर जानवर के बाल चिपका कर टूथब्रश को इस्तेमाल करना ज़्यादा बेहतर विकल्प लगा था, इसलिए उनके लिए सन् 1498 में सूअर के बालों का इस्तेमाल करके दुनिया का पहला टूथब्रश बनाया गया था।
लेकिन उस टूथब्रश में लकड़ी के हत्थे की जगह एक पतली हड्डी का इस्तेमाल किया गया था, जिसके सबसे ऊपरी हिस्से पर सूअर के बार चिपकाए गए थे। हड्डी की वज़ह से टूथब्रश काफ़ी मज़बूत हो जाता था, जबकि सूअर के बाल दांतों को अच्छी तरह से साफ़ करने में मददगार साबित होते थे।
राजा होंगझी के टूथब्रश इस्तेमाल किए जाने के बाद आम जनता में भी दातुन की जगह पर टूथब्रश का यूज करने का चलन शुरू हो गया, लेकिन उन लोगों ने हड्डी की जगह लकड़ी के हत्थे का इस्तेमाल करेक टूथब्रश बनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे लकड़ी का टूथब्रश चीन के प्रांतों से बाहर जाने लगा और दुनिया भर में लोग दांत साफ़ करने के नए तरीके को अपनाने लगे।
आम लोगों में टूथब्रश की लोकप्रियता
माना जाता है कि 3000 BC में चीन के लोग दांत साफ़ करने के लिए पेड़ की पतली टहनी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन 1600 BC आने तक चीनी नागरिकों ने दातुन करने के लिए खुशबूदार पेड़ों की टहनियों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। इस तरह खुशबूदार टहनी से दातुन करने पर दांत भी साफ़ हो जाते थे और सांस की दुर्गंध भी दूर हो जाती थी।
जैसे जैसे समय बीतता गया लोगों ने दांत साफ़ करने के नए तरीके खोजने शुरू कर दिए, जिनमें से एक था जानवरों के बालों का इस्तेमाल करना। चीन के लोगों ने अपने राजा की देखा देख जानवरों के बाल निकाल करके उन्हें पतली लकड़ी के हत्थे पर चिपकाना शुरू कर दिया, जिससे दांतों को साफ़ करना और भी आसान हो गया था।
इस तरह चीनी नागरिकों ने अलग-अलग प्रयोग के साथ पहली बार टूथब्रश का इस्तेमाल करना शुरू किया था, जिसमें दातुन घिसने से कम समय लगता था और यह दांत साफ़ करने का आसान तरीक़ा भी था। लेकिन उस समय टूथपेस्ट का इजात नहीं हुआ था, इसलिए लोग ब्रश पर राख, मिट्टी और अंडे के छिलकों को पिसकर पेस्ट की तरह इस्तेमाल करते थे।
टूथब्रश शब्द का पहली बार इस्तेमाल (First use of the word toothbrush)
भले ही टूथब्रश की आविष्कार सन् 1498 में ही हो गया था, लेकिन सन् 1690 तक कोई यह नहीं जानता था कि दांत साफ़ करने वाली इस चीज का नाम क्या है। ऐसे में 1690 में एंथनी वुड नामक एक व्यक्ति ने दांत साफ़ करने वाले टूल को टूथब्रश नाम दिया गया, जिसने अपनी आत्मकथा में पहली बार इस शब्द का प्रयोग किया था।
इस तरह एंथनी ने अपनी आत्मकथा के जरिए लोगों को बताया कि उन्होंने एक व्यक्ति से टूथब्रश खरीदा था, जिसके इस्तेमाल करके उनके दांत ज़्यादा चमकदार हो गए। इस शब्द का इस्तेमाल किए जाने के बाद दुनिया भर के लोगों ने टूथब्रश को उसके नाम के साथ स्वीकार कर लिया और आज यह हमारी ज़िन्दगी की सबसे अहम चीजों में से एक है।
इस तरह शुरू हुआ था टूथब्रश का कारोबार
टूथब्रश के इजात के बाद से उसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में दिन ब दिन इज़ाफ़ा हो रहा था, लेकिन लोग घर पर ही टूथब्रश का निर्माण कर रहे थे। ऐसे में विलियम एडिस नामक एक शख़्स ने जेल में सजा काटने के दौरान टूथब्रश का कारोबार शुरू करने का फ़ैसला किया था।
इस तरह विलियम एडिस ने जेल से छूटने के बाद 1780 में पहली बार टूथब्रश का निर्माण कार्य शुरू किया था। इससे पहले लोग अपने घर पर ही छोटे रूप में ब्रश बनाने का काम करते थे और ख़ुद ही उसका इस्तेमाल भी करते थे।
दरअसल जब विलियम जेल में कैदी का जीवन जी रहे थे, तो वह दूसरे कैदियों के मुकाबले दांत साफ़ करने का अलग तरीक़ा अपनाते थे। जहाँ दूसरे कैदी मिट्टी और राख के जरिए दांत साफ़ करते थे, वहीं विलियम एक हड्डी पर गोंद लगाकर उस पर बाल चिपका कर टूथब्रश का इस्तेमाल करते थे।
लेकिन जब विलियम एडिस ने टूथब्रश बनाने का व्यापार शुरू किया, तो उन्होंने ब्रश बनाने के लिए सूअर की बाल के बजाय घोड़े का बालों का इस्तेमाल शुरू कर किया। दरअसल घोड़े के बाल आसान से उपलब्ध होते थे और एक साथ ढेर सारे टूथब्रश का निर्माण किया जा सकता था।
विस्डम थी पहली टूथब्रश कंपनी (Wisdom was the first toothbrush company)
इस तरह दुनिया की पहली टूथब्रश मेकिंग कंपनी की नींव रखी गया, जिसे विलियम एडिस ने विस्डम नाम दिया था। साल 1780 में शुरू हुई यह टूथब्रश कंपनी वर्तमान में भी मौजूद है, जो विभिन्न प्रकार और आकार के ब्रश बनाने के लिए मशहूर है।
इस तरह बीतते समय के साथ टूथब्रश के आकार और बनावट में बदलाव आने लगा, जिसके बाद साल 1844 में पहली बार तीन लाइन वाले टूथब्रश को दुनिया के सामने पेश किया गया था। हालांकि उस समय तक भी टूथब्रश में लगाए जाने वाले बाल जानवरों के ही हुआ करते थे, जो दांतों को चमकदार बनाने का काम करते थे।
ओरल हेल्थ और स्माइल का रखें ख़ास ख्याल
लेकिन बीतते समय के साथ टूथब्रश में जानवरों के बाल के बजाय दूसरी चीजों का इस्तेमाल होने लगा, जबकि लकड़ी और हड्डी की जगह प्लास्टिक हत्थे ने ले ली। साल 1935 में वालेस कैरोथर्स नामक शख़्स ने एक सुपर पॉलिमर बनाने में सफलता हासिल की, जिसे आमतौर पर नायलॉन के नाम से जाना जाता है।
नायलॉन की खोज के बाद टूथब्रश पर जानवरों के बालों की जगह उसका इस्तेमाल किया जाने लगा, जो कम खर्चीला और सुविधाजनक हुआ करता था। इस तरह साल 1960 में बाज़ार में पहली बार इलेक्ट्रिक टूथब्रश को पेश किया गया, जिसका इस्तेमाल करना काफ़ी आसान था।
वर्तमान में टूथब्रश का मार्केट इतना बड़ा हो चुका है कि आपको तरह-तरह के टूथब्रश इस्तेमाल करने के लिए मिल जाएँ, जो सुविधाजनक और कम समय ख़र्च करने वाले साबित होते हैं। हालांकि आज भी दुनिया भर की सबसे ज़्यादा आबादी हत्थे वाले टूथब्रश का इस्तेमाल करती है, जो उनकी स्माइल को बरकरार रखने का काम करता है।