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अब बिहार में भी देख सकते हैं आप सेब के बागान, दो बीघे की खेती से 15 लाख रुपए की आमदनी

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बिहार; सेब (APPLE) की बात सुनते ही आपके मुंह में पानी आना स्वाभाविक है। क्योंकि सेब हम सभी का लाजवाब फल है। लेकिन आपने कई बार ये भी सुना होगा कि सेब केवल ठंडे प्रदेशों में ही उगता है। इसलिए जब कई बार कश्मीर में बर्फबारी होती है, तो सेब से भरे ट्रक बीच सड़क में ही फँस जाते हैं और सेब दूसरे राज्यों में महंगा हो जाता है। लेकिन कहते हैं ना कि आवश्यकता ही आविश्कार की जननी है।

आज हम आपके इस भ्रम को दूर करने वाले हैं कि सेब केवल ठंडे प्रदेशों में ही उगाया जा सकता है। यदि यह सफल रहा है तो संभव है कुछ समय बाद आपके घर तक भी कश्मीरी सेब, हिमाचली सेब की तरह बिहारी सेब भी पहुँचाया जाने लगे। आइए जानते हैं क्या है बिहारी सेब की पूरी कहानी और कैसे हुआ ये बिहार में संभव।

बिहार में कहाँ हो रही है सेब खेती (Apple Farming)

सेब की खेती फिलहाल बिहार के बेगुसराय (Begusarai) जिले में की जा रही है। सेब उगाने वाला किसान एक लड़का है। जिसने बीएसी एग्रीकल्चर (B. SC AGRICULTURE) से पास की हुई है। खेती के बारे में दिलचस्पी रखने वाले इस पढ़े-लिखे इस नौजवान किसान ने कश्मीर से हटकर बिहार में भी सेब के बागान लगाने का फ़ैसला किया। फिलहाल सेब के इन पेड़ों को लगाए एक साल हो गया है और माना जा रहा है कि इन पेड़ों में ठीक एक साल बाद फल लगने शुरू हो जाएंगे।

कैसे हुआ संभव (HARMAN-99)

किसान अमित कुमार इस बारे में बताते हैं कि वैसे तो सेब की खेती ठंडे प्रदेशों में ही की जाती है। लेकिन एक ख़ास क़िस्म के सेब के पौधे को गर्म प्रदेशों में भी उगाया जा सकता है। जो कि हरमन-99 (HARMAN-99) कहलाती है। इस क़िस्म के पौधे को गर्म प्रदेशों को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है। हरमन-99 की खेती फिलहाल राजस्थान में सफलता पूर्वक की भी जा रही है। इसी से प्रभावित होकर बिहार के बेगुसराय में भी अमित कुमार ने सेब के बागान लगा दिए। आपको बता दें कि राजस्थान देश के सबसे गर्म प्रदेशों में गिना जाता है। जहाँ तापमान 50 डिग्री तक भी चला जाता है।

कैसी चाहिए मिट्टी

किसान अमित कुमार ने बताया कि हरमन-99 (HARMAN-99) क़िस्म के सेब किसी भी तरह की मिट्टी में उगाए जा सकते हैं। रेतीली, दोमट, काली, लाल कैसी भी मिट्टी हो। यह क़िस्म सभी मिट्टी में हो जाती है। इसे देखते हुए बेगूसराय में भी सेब की खेती की जा सकती है। साथ ही विशेष बात यह है कि जलवायु का भी इस फसल पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।

क्या है अमित का प्लान

अमित कुमार ने बताया कि सेब (APPLE) की इसी क़िस्म की खेती बिहार के औरंगाबाद में भी हो रही है। अमित कुमार के सेब के पेड़ों को फिलहाल एक साल के हो गए हैं। माना जा रहा है कि एक साल बाद ये बागान सेबों से गुलजार हो उठेंगे। अमित ने फिलहाल 4 कट्टा ज़मीन पर 86 पौधे लगाए हैं। उनका विचार है कि आने वाले दिनों में इस खेती का विस्तार 1 एकड़ तक कर दिया जाए, तो बेहतर रहेगा।

कितनी होगी कमाई

यदि कोई व्यक्ति एक एकड़ में सेब की खेती करता है तो सालाना 7-8 लाख रुपए बड़े आराम से कमा सकता है। ख़ास बात ये है कि ये सेब भले ही गर्म प्रदेशों में उगाए जाएंगे। लेकिन इसमें खाने या देखने में कोई फ़र्क़ नहीं होगा। ये बिल्कुल कश्मीर के सेब की तरह ही होंगे। लेकिन इनसे कमाई इसलिए भी ज़्यादा की जा सकती है, क्योंकि ये सेब सीधा बाज़ार में बेचे जा सकते हैं। जबकि कश्मीर के सेब बिहार तक लाने में बेहद महंगे हो जाते हैं।

कैसे कर सकते हैं खेती

अमित बताते हैं कि सेब के पौधे को लगाने के लिए सबसे पहले गड्डा खोदना पड़ता है। फिर उसमें कीटनाशक डालना पड़ता है, ताकि कोई बीमारी ना आए। इसके बाद पौधे को कार्बेडाजाइम में उपचारित करके लगाया जाता है। सेब की खेती में दूसरे तमाम झंझटों से छुटकारा है, इसमें केवल सिंचाई देकर भी अच्छे फल प्राप्त किए जा सकते हैं। हरमन-99 (HARMAN-99) को नवंबर से फरवरी माह के आख़िर तक बोया जा सकता है। हालांकि, इसमें ध्यान रखने वाली बात ये है कि जब भी इसके पौधे हिमाचल प्रदेश से लाए जाएँ, तो उसके एक सप्ताह के अंदर ही इन्हें गड्डे में लगा दिया जाए। नहीं तो ये पौधे सूख जाते हैं।

खेती को लेकर क्या सोचते हैं अमित

अमित कुमार खेती को लेकर बड़े ही सकारात्मक हैं। वह कहते हैं कि आज आधुनिक खेती की ज़रूरत है। जिससे हम सिर्फ़ अनाज ही नहीं, व्यवसाय भी चला सके। यदि इस तरह से खेती की जाए तो नौकरी से कहीं बेहतर खेती का काम है। खेती के लिए आज वैज्ञानिक सोच लाने की ज़रूरत है। आज यदि दो बीघे में सेब की खेती की जाए तो हर साल 14-15 लाख रुपए की आमदनी की जा सकती है। ये काम भी अपने घर का काम होगा। बस शर्त ये होगी कि इस तरह की खेती के लिए परंपरागत तरह की फसलों को छोड़कर नकदी फसलों में उतरना होगा। शुरूआत भले ही कठिन हो पर एक बार चीजें समझने के बाद फायदा ही फायदा होगा।

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News Desk
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