गुजरात; यदि हम आपको किसी शहर को छोड़कर गाँव में जाकर रहने की बात कहें? तो आपका जबाब क्या होगा? स्वभाविक है आप कहेंगे गांवों में तो मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं मौजूद हैं। बीमार होने पर अस्पताल नहीं मिलेगा। ऑनलाइन काम के लिए घर की छतों पर चढ़कर नेटवर्क मिलेगा। टूटी सड़कों के बीच से आने-जाने का रास्ता होगा। साथ ही बच्चों के लिए बेहतर स्कूल और जल निकासी जैसी सुविधाओं के साथ भी समझौता करना पड़ेगा। मिलेगा तो सिर्फ़ स्वच्छ हवा और सादगी भरा जीवन।
लेकिन यक़ीन मानिए भारत का एक ऐसा गाँव भी है जो आधुनिकता के मामले देश के शहरों ही नहीं महानगरों तक को पछाड़ कर आगे निकल चुका है। जो कि देश के लिए ‘आदर्श गांव’ कहा जाता है। छह हज़ार की आबादी वाला पुंसरी गाँव (Punsari Village) अहमदाबाद से 90 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। आगे हम आपको इस गाँव की जो खूबियाँ बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप भी अपने दांतों तले अंगुली दबा लेंगे। तो आइए जानते हैं क्या है इस गाँव की खूबी…
15 साल पहले शुरू की थी तैयारी (Punsari Village)
आज हम आपको जिस पुंसरी गाँव (Punsari Village) के बारे में बताने जा रहे हैं उसे ‘माॅडल विलेज‘ बनाने की योजना आज के 15 पहले यानी 2006 में ही रख दी गई थी। उस समय गाँव में एक युवा सरपंच हिमांशु पटेल जीत कर आया था। पढ़ाई में ग्रेजुएट हिंमाशु पटेल ने तभी विचार कर लिया था कि गाँव को ‘रोल माॅडल’ बनाना है। हांलाकि उससे पहले गाँव पूरी तरह से अविकसित तरीके से देश के दूसरे गांवों की तरह ही था।
पटेल गाँव को एक सेल्समैन की तरह देखते हैं और उन्होंने 11 सदस्यों की एक समिति बना रखी है। जिसका नेतृत्व वह स्वंय करते हैं। यह समिति गाँव के हर मसले पर नज़र रखती है और जहाँ भी कोई परेशानी दिखती है उसे सुलझाने का पूरा प्रयास करती है। हिंमाशु पटेल का रुझान विज्ञान और मीडिया की तरफ़ ज़्यादा है जिसका उपयोग वह गाँव के विकास में लगातार करते हैं।
हिमांशु के पास था सही रोडमैप
हिमांशु ने सरपंच चुने जाते ही सबसे पहले यह समझने की कोशिश की उनके कि गाँव के लोगों की क्या ज़रूरतें हैं जो उन्हें सबसे पहले पूरी करनी हैं। मीडिया को दिए साक्षात्कार में हिंमाशु कहते हैं कि उनका सबसे पहला मकसद था कि कैसे राज्य और केंद्र से मिले धन का सही उपयोग किया जाए। साथ ही गांवों के विकास के लिए सरकार की कौन-सी प्रमुख योजनाएँ हैं जो उनके मकसद को आगे बढ़ाने में काम आ सकती हैं।
सभी ज़रूरतों को समझने के बाद हिमांशु ने सबसे पहले गाँव में मिनरल वाटर का प्लांट स्थापित किया। जिससे उनके गाँव के लोगों को साफ़ पानी उपलब्ध हो सके। पानी की सप्लाई को हर घर तक पहुँचाने के लिए छोटे-छोटे वाहनों के जरिए हर घर तक पानी पहुँचाने की व्यवस्था की गई। लेकिन राजस्व की कमी के चलते ये व्यवस्था ठप पड़ती-सी दिखाई दी।
राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए हिमांशु ने आसपास के गांवों से संपर्क साधा और एक समिति बनाई। इसके बाद योजना तैयार की और कहा कि सभी को 4 रूपये में 20 लीटर साफ़ पानी उपलब्ध करवाया जाएगा। इस योजना का ग्रामीणों का भरपूर सहयोगा मिला और राजस्व इकठ्ठा हो गया। इसके बाद हिमांशु ने गाँव को और ज़्यादा आधुनिक कैसे बनाया जाए इस पर मंथन करना शुरू कर दिया।
तब पुंसरी गाँव (Punsari Village) को लग गए पंख
पुंसरी गाँव (Punsari Village) की विकास गाथा पानी पहुँचाने तक ही सीमित नहीं हैं। आज पुंसारी गाँव के हर घर में टाॅयलेट बना हुआ है। पानी की निकासी की पूरी व्यवस्था है। गाँव में बच्चों की शिक्षा के लिए दो विधालय हैं। गाँव में ही एक छोटा असपताल है। सड़कों पर लाइटें लगी हुई हैं। पुंसारी गाँव आज भारत के ‘Digital India Mission‘ को भी आगे बढ़ा रहा है।
पूरा गाँव आज WI-FI की सुविधा से लैस है। गाँव की सड़कों पर CCTV कैमरे लगे हैं ताकि को रोका जा सके। पूरे गाँव में 140 लाउडस्पीकर लगे हुए हैं। इनकी मदद से यदि गाँव में किसी भी बात को एक साथ पहुँचाना है तो इनके माध्यम से घोषणा की जा सकती है। इन सभी लाउडस्पीकरों का नियंत्रण गाँव के हेड ऑफिस में मौजूद है।
शहरीकरण के बिना किया आधुनिकीकरण
आज हमारे शहर आधुनिक तो हैं पर हम सभी जानते हैं कि शहरों प्रदूषण, जाम और पानी की समस्या कितनी विकराल रूप लेती जा रही है। लोग केवल मजबूरी में शहर की तरफ़ जा रहे हैं। ऐसे में हिमांशु ने शुरूआत में ही निर्णय कर लिया था कि वह अपने गाँव को आधुनिक तो बनाएंगे, लेकिन शहरों की तरह नहीं। इसके लिए सभी काम केंद्र और राज्य सरकार की 14 करोड़ की लागत से तमाम परियोजनाओं के माध्यम से किए। इन पैसों का प्रयोग पुंसरी में सही और स्पष्ट रणनीति के माध्यम से किया। जिसकी बदौलत आज पुंसारी गाँव देश ही नहीं दुनिया के लिए एक आदर्श गाँव के रूप में उभरा है।
मोदी भी इस गाँव के हो चुके हैं मुरीद
पुंसरी गाँव (Punsari Village) ने हर जगह वाह वाही तो बटोरी ही हैं। साथ ही कई पुरस्कार भी जीते हैं। जिनमें से एक ‘आदर्श ग्राम पुरुस्कार‘ भी शामिल है। जो कि देश के चुनिंदा गांवों को दिया जाता है। इसे सरकार की तरफ़ से आधुनिक ‘विलेज माॅडल‘ गाँव की मान्यता भी प्राप्त है। 2017 में प्रधानमंत्री ने इस गाँव का उदाहरण देते हुए पूरे देश के लिए ‘आदर्श गांव‘ बताया था। कहा था कि इससे हमें सीख मिलती है कि किस तरह अपने गांवों का विकास किया जा सकता है।
पुंसरी गाँव आज भी पंचायती राज व्यवस्था को अपनाता है। लेकिन पुंसरी गाँव किसी भी नजरिए से गाँव की परिभाषा में फिट नहीं बैठता। आज पुंसरी गाँव देश के लगभग 7 लाख गाँव के लिए एक नजीर बनकर उभरा है कि बदलाव कहीं भी किया जा सकता है। बस संकल्प पक्का और इरादा मज़बूत हो।
अटल बस सेवा भी है अहम
गांव के लोगों को कहीं आने जाने में परेशानी ना हो इसके लिए गाँव में ‘अटल बस सेवा‘ शुरू की गई है। जो कि पुंसारी तथा आसपास के गांवों को जोड़ने का काम करती है। इस बस से स्कूली बच्चे और महिलाएँ बेहद आराम से और सुरक्षित सफ़र कर लेती हैं। मीडिया खबरों की मानें तो पुंसरी गाँव में सीसी सड़कों का इस्तेमाल होता है।
इन पुरस्कारों से है सम्मानित
पुंसरी गाँव (Punsari Village) आज देश के तमाम बड़े पुरस्कार जीतकर नाम कमा रहा है। नई दिल्ली में आयोजित RD राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर पुंसारी गाँव को ‘सर्वश्रेष्ट ग्राम सभा‘ से नवाजा गया था। इसके अलावा जब सन् 2011 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तो इस गाँव को सर्वश्रेष्ठ ‘ग्राम पंचायत पुरस्कार’ दिया था। साल 2012 में पुंसरी गाँव ‘राजीव गांधी आदर्श ग्राम पुरस्कार‘ भी जीत चुका है। इसके अलावा पुंसारी गाँव समय-समय पर देश के तमाम पुरस्कार लगातार जीतता रहता है।
दूसरे देशों से भी मिली है तारीफ
पुंसरी गाँव (Punsari Village) में एक बार 60 देशों के प्रतिनिधि इस गाँव के दौरे पर आए थे। ताकि समझा जा सके कि कैसे पुंसारी आज ‘रोल माॅडल’ बनकर उभरा है। प्रतिनिधियों ने जब देखा कि गाँव कैसे आधुनिक हो चुका है तो उनके मुंह से पुंसरी गाँव की तारीफ ही निकली। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने 300 आधिकारियों की एक टीम भी बनाई है, जो कि लगातार पुंसारी गाँव का अध्ययन कर रही है ताकि पुंसरी गाँव के तरीको को दूसरे गांवों में भी उतारा जा सके और उनका विकास भी किया जा सके।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना लक्ष्य
फिलहाल पुंसरी गाँव (Punsari Village) में एक महिला सरपंच जीत कर आई हैं। जिनका नाम सुनंदबेन पटेल है जो कि गाँव की पहली महिला सरपंच बनी हैं। सुनंदबेन कहती हैं कि गाँव की दशा वाकई बेहद अच्छी है। इसलिए गाँव में विकास के लिए ज़्यादा किसी काम की ज़रूरत नहीं है। लेकिन वह चाहती है कि गाँव को विकास के साथ ही यहाँ की महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया जाए। ताकि गाँव की महिलाएँ अपनी आजीविका स्वंय चला सकें। इसके लिए वह आगामी दिनों में कोई प्लान तैयार करने जा रही हैं। ताकि महिलाएँ आत्मनिर्भर बन सकें।
लाॅकडाउन का बखूबी किया पालन
जब देशभर में लाॅकडाउन लगाना पड़ा, तो पुंसरी गाँव (Punsari Village) को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। लेकिन पुंसरी गाँव ने लाॅकडाउन में भी उदाहरण पेश किया। हुआ यूं कि गाँव में ही एक 60 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई। ऐसे में लाॅकडाउन के चलते सामाजिक दूरी का पालन करना आनिवार्य था। WI FI से लैंस पुंसरी गाँव ने विकल्प निकाला कि ऑनलाइन शोक प्रकट किया जाए। सुनने में भले ही अजीब लगे पर पुंसरी गाँव ने शोक प्रकट करने के लिए फ़ेसबुक लाइव किया और लगभग 300 लोगों ने लाइव आकर दुख प्रकट किया। जो कि लाॅकडाउन जैसी विपरीत परिस्थिति में एक उदाहरण है।
आज जब हर कोई शहरों की तरफ़ भाग रहा है। तो पुंसरी गाँव (Punsari Village) एक उदाहरण बनकर उभरा है। अच्छी बात ये है कि पुंसारी गाँव अब सिर्फ़ विकास के लिए ही नहीं, बाल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की तरफ़ भी विचार कर रहा है। यदि ऐसे ही पुंसरी गाँव की तरह देश का हर गाँव विकास गाथा लिखने लगे तो शायद भारत के गावों की परिभाषा ही बदल जाएगी।