बिहार के किसान परशुराम दास (Farmer Parshuram Das) जिन्हें मजबूरीवश अपने 5 बीघा जमीन को गिरवी रखना पड़ा। अपने जमीन को गिरवी रखने के बाद इनके दिमाग़ में अपनी ही जमीन में ठेके पर पपीता की खेती करने का आइडिया आया। उस आईडिया को अपनाकर परशुराम दास ने अपना खेत वापस ले लिया और इसके साथ ही उन्हें 5 लाख की आमदनी भी हुई। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी को…
परशुराम दास (Parshuram Das)
किसान (Farmer Parshuram Das) दास जो भागलपुर जिले के रंगराचौक ब्लॉक के चॉपर गाँव के रहने वाले हैं। इनके पास कुल मिलाकर 5 बीघा ख़ुद की जमीन थी। उसी जमीन पर खेती कर इनके परिवार का ख़र्च जैसे तैसे चलता था। उन्होंने बताया कि मेरे घर की आर्थिक स्थिति इतनी भी नहीं थी कि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते। यही वज़ह है कि परशुराम दसवीं कक्षा तक भी पढ़ाई नहीं कर सके और बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसी दौरान घरवालों ने इनकी शादी भी करा दी और बच्चे भी हो गए। इसी तरह जिम्मेदारियाँ बढ़ती गई। अब उसी 5 बीघा जमीन में खेती कर परिवार का गुज़ारा करना काफ़ी मुश्किल हो गया।
मजबूरीवश अपने ही खेत को दूसरे के पास गिरवी रखना पड़ा
आगे चलकर किसान परशुराम दास के साथ कुछ ऐसी मजबूरी आ गई जिसकी वज़ह से उन्हें अपनी उस अमानत को भी दूसरों के हाथों गिरवी रखना पड़ा। खेत को गिरवी रखने के बाद इनकी स्थिति पूरी तरह से बिगड़ गई। सारे रास्ते बंद हो गए थे, उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसी दौरान उनके एक दोस्त ने उन्हें पपीते की खेती के बारे में बताया। तब परशुराम को अपने दोस्त का यह आईडिया बहुत पसंद आया।
उसके बाद सन् 2011 में इन्होंने अपनी ही ज़मीन को ठेके पर ले ली और उस पर पपीते की खेती की। लगभग 7 महीने के बाद उसी पपीते की खेती से हुए आमदनी की वज़ह से परशुराम दास को अपना खेत वापस मिला और इसके साथ ही उन्हें 5 लाख की आमदनी हुई।
पहली बार जब सारे पपीते के पौधे खराब हो गए
पपीते की खेती के बारे में परशुराम दास ने बताया कि उन्होंने पहले से ही पपीते की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी इकट्ठी कर ली थी। अपने उस 5 बीघा ज़मीन पर उन्होंने रेड लेडी, चड्ढा सिलेक्शन और पूसा नन्हा जैसे पपीते की प्रजातियों को उगाया। लेकिन दुर्भाग्यवश पहली बार में लगाए हुए परशुराम के सारे पपीते के पौधे खराब हो गए और हमेशा की तरह इस बार भी उन्होंने हार नहीं मानी और दोबारा पपीते की खेती करने का फ़ैसला लिया।
इस बार क़िस्मत ने उनका भरपूर साथ दिया, जिसके बाद उन्हें पीछे मुड़ कर देखने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। उन्होंने देखा कि पपीते की खेती से उनकी आमदनी लगभग 5 लाख रुपए तक हुई थी। इतने पैसे तो बहुत ज़्यादा थे उन्हें अपने खेत को वापस पाने के लिए। परशुराम दास के पपीते की खेती को देखकर बाक़ी किसान भी काफ़ी ज़्यादा प्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने भी अपने खेतों में पपीते की फ़सल को लगाना शुरू कर दिया है।
प्रति हेक्टेयर 75 से 100 टन तक पैदावार हो सकती है
किसान परशुराम दास (Farmer Parshuram Das) ने बताया कि अगर आप भी पपीते की फ़सल को लगाना चाहते हैं तो आप 1 साल में तीन बार इसे लगा सकते हैं। एक तो फरवरी से मार्च तक में, दूसरी बार आप इसे बारिश के मौसम में भी लगा सकते हैं और तीसरी बार नवंबर और दिसम्बर के महीने में इसकी खेती आप आसानी से कर सकते हैं, जिससे पपीते की पैदावार काफ़ी अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि एक बार पपीता के पेड़ को लगाने पर 3 से 4 वर्षों तक इससे प्रति हेक्टेयर 75 से 100 टन तक पैदावार हो सकती है।
आपको बता दें तो आज देश के लगभग सारे राज्यों में पपीता की खेती की जा रही है। बाजारों में लोगों के बीच इसकी मांग भी बहुत ज़्यादा है। इतना ही नहीं भारत से बाक़ी देशों में भी पपीता बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है। इस तरह अगर आप भी पपीते की खेती करने की योजना बना रहे हैं तो ज़रूर करें, क्योंकि इसकी खेती में लागत की तुलना में मुनाफा काफ़ी ज़्यादा होता है।