लोगों को आपने अक्सर ये कहते सुना होगा कि सोने जैसा कीमती कुछ नहीं होता। सोने की बात तो अलग ही होती है। वैसे भी सोने की क़ीमत इन दिनों जिस रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई हैं, वह उसे आम आदमी की पहुँच से दूर ही कर चुकी हैं। लेकिन आज हम आपको सोने से भी कीमती वस्तु के बारे बताने जा रहे हैं।
पहली नज़र में आप ये सोच सकते हैं कि ये वस्तु तो बड़ी-बड़ी तिजोरियों में बंद करके रखी जाती होगी। ताकि चोरी ना हो जाए। लेकिन वास्तविकता बिल्कुल इसके उलट है। इसे आप बड़े-बड़े समुद्रों के किनारे पर देख सकते हैं। समुद्र के अंदर तैरता हुआ देख सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है वह चीज जो कि सोने की क़ीमत को भी देती है मात।
क्या है ये वस्तु
वैज्ञानिक इसे व्हेल मछली के शरीर से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ बताते हैं। साथ ही कई वैज्ञानिक इसे व्हेल मछली की उल्टी भी बताते हैं। बहुत से लोग तो इसे व्हेल मछली का मल भी कहते हैं। यह पदार्थ व्हेल मछली के रेक्टम के जरिए बाहर आता है। साथ ही जब कई बार पदार्थ बड़ा हो जाता है तो व्हेल मछली इसे मुंह से भी उगल देती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एम्बरग्रीस (Ambergris) कहते हैं। यह पदार्थ व्हेल मछली की रक्षा करने के काम आता है। व्हेल मछली की आंतों के जरिए निकलने वाला यह पदार्थ काले या स्लेटी रंग का मुख्यत: पाया जाता है। यह मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है। आइए जानते हैं इस पदार्थ की क़ीमत के साथ और भी दिलचस्प बातों के बारे में।
कितनी है कीमत
इस मछली के मुंह से निकलने वाले पदार्थ की क़ीमत आपको है/रा/न कर देगी। इस पदार्थ के छोटे से टुकड़े की क़ीमत करोड़ों में होती है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में इसकी बड़े पैमाने पर त/स्क/री का काम भी जोरों पर होता है। क्योंकि इसे बेहद कम मात्रा में पाया जाता है।
कहाँ मिलता है ये पदार्थ (Whale Vomit?)
जैसा कि आपको पता है कि यह पदार्थ व्हेल मछली के मुंह से निकलता है। लेकिन यह पदार्थ व्हेल मछली के मुंह से रोजाना नहीं निकलता है। इसके निर्माण में सालों का वक़्त लग जाता है। साथ ही व्हेल मछली ज्यादातर समुद्री किनारों से दूरी बनाकर रखती है। इसलिए कई बार तो इसे समुद्र के किनारे तक पहुँचने में लंबा समय लग जाता है। जैसा कि आप जानते हैं समुद्र का पानी नमकीन होता है साथ ही सूरज की सीधी रोशनी पड़ने के चलते यह पदार्थ चट्टान की तरह जम जाता है। भूरी गांठ के साथ ये पदार्थ मोम जैसा महसूस होता है।
कहाँ होता है इस्तेमाल
एम्बरग्रीस (Ambergris) का प्रयोग ख़ुशबू वाले परफ्यूम (Perfume) बनाने में होता है। एम्बरग्रीस के प्रयोग से ख़ुशबू ज़्यादा लम्बे समय तक रहती है। इस पदार्थ की मिलावट की वज़ह से ही परफ्यूम की क़ीमत महंगी हो जाती है। इस पदार्थ के वज़न की बात करें तो इसका वज़न 15 ग्राम से लेकर 15 किलो तक हो सकता है। क़ीमत को देखते हुए कई वैज्ञानिक तो इसे समुद्र तैरता सोना भी कहते हैं।
क्या कहता है इतिहास
माना जाता है कि प्राचीन मिस्र के लोग इस एम्बरग्रीस (Ambergris) से अगरबत्ती और धूप बनाया करते थे। साथ ही आज इस एम्बरग्रीस का प्रयोग दुनिया में बड़े पैमाने पर सेंट बनाने के काम में होता है। यूरोप के ब्लैक एज के लोगों का तो यहाँ तक मानना है कि एम्बरग्रीस का छोटा-सा टुकड़ा साथ रख लिया जाए, तो प्लेग से बचा जा सकता है। क्योकि एम्बरग्रीस की ख़ुशबू गंध को ढक लिया करती थी। जिसके चलते माना जाता था कि प्लेग महामारी नहीं आएगी।