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सावधान! खाने की लत कर सकती है बीमार, काबू पाने के लिए अपनाएँ यह तरीके

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आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में खुद का ख्याल रखना बेहद ही मुश्किल होता है। ऐसे में कुछ लोगों को हर वक्त कुछ ना कुछ खाने की आदत रहती है यह आपको बीमार कर सकता है। ऐसे में आपको हैवी वेट, स्लीपिंग डिसऑर्डर यहाँ तक कि इससे मेंटल हेल्थ पर भी प्रभाव बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

इसे काबू पाने के लिए आप इन तरीकों को अपनी लाइफ स्टाइल में शामिल कर सकते हैं।

खान पान का रखें ख्याल

बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जो अपने खाने पीने का सही से ध्यान रखते हैं। खाने में कितना प्रोटीन लेना है कितना कार्बोहाइड्रेट्स इन सब की जानकारी बेहद ही कम लोगों को होती है। ऐसे में खराब लाइफ़स्टाइल आदतों को और भी बिगाड़ देती है।

इस करण कुछ लोगों को थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ ना कुछ खाने की आदत लग जाती है। उनका खाने पीने का ना ही कोई टाइम होता है और ना ही भूख का इससे कोई वास्ता होता है। यह आदतें धीरे-धीरे हमें बीमार करती हैं। अधिक वजन, स्लीपिंग डिसऑर्डर यहाँ तक कि मेंटल हेल्थ पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।

खराब लाइफस्टाइल से रहें दूर

सर्वेक्षण की मानें तो भारतीयों में ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या काफी बढ़ गई है। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि भारत में आर्थिक परिवर्तन, तेजी से बढ़ते शहरीकरण, कारपोरेट कर्मचारियों में वृद्धि, कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी, वैश्वीकरण के प्रभाव और लक्षित विज्ञापनों में खाने के बदलाव से काफी समस्या बढ़ गई है।

ईटिंग डिसऑर्डर है वजह

ईटिंग डिसऑर्डर के चलते लोगों में नींद की भी समस्या बढ़ती जा रही है। बेवक्त खाना-खाना उन्हें सही समय पर सोने नहीं देता। रात में खाने का तय वक्त है ना होने के कारण वह रात में हैवी डिनर करते हैं जिससे वह सही से सो नहीं पाते हैं।

इससे उनकी नींद की क्वालिटी काफी प्रभावित होती है। एसिडिक फूड्स रात में खाने से रात में सोने की कमी जैसी बात सर्वेक्षण में सामने आई है। कम नींद, बढ़ता वजन के कारण मानसिक समस्या का होना स्वभाविक है।

बुलिमिया होने का डर

बुलिमिया डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति बिना जरूरत के ज्यादा खाना खाता है। इसे इमोशनल ईटिंग भी कहा जाता है। कभी परेशान या स्ट्रेस की अवस्था में लोग कुछ न कुछ खाते रहते हैं जिससे उसे एक अलग तरह का सुकून मिलता है। पीड़ित व्यक्ति चाहकर भी अपने खानपान पर कंट्रोल नहीं कर पाता है। बहुत से लोगों को कम खाने वाला रोग एनोरेक्सिया और ज्यादा खाने वाला रोग बुलिमिया से पीड़ित होते देखा गया है।

यह डिसऑर्डर आमतौर पर 15 वर्ष की उम्र से शुरू होता है। अक्सर देखा गया है कि लोग तनाव के कारण घर में रहते हैं और बार-बार खाने की तरफ भागते हैं। प्रोफेशनल की माने तो आपके खान-पान की हैबिट ही इस डिसऑर्डर का कारण बनती है। यदि किसी को यह डिसऑर्डर हो तो उन्हें काउंसलिंग की सलाह दी जाती है।

हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए अपनाएँ 5 टिप्स

  • हेल्थी की लाइफ स्टाइल पाने के लिए आपको समय पर खाना-खाना बेहद ही जरूरी है। खाने में आप को पौष्टिक आहार लेना लाभदायक हो सकता है।
  • खाने का बेहतर रूटीन बनाएँ और गैप देकर खाना खाए. हमेशा खाने की आदत से बचें।
  • रात में सोने से 2 घंटा पहले खाना खा लें और हो सके तो रात में लाइट फूड खाना खाएँ।
  • अगर दोबारा खाने का मन करे तो आपको हेल्थी फूड या पत्तेदार सलाद का सेवन करें।
  • जबरदस्ती खाना खाने से बचे। भूख लगने पर ही खाना खाने की आदत डालें।

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News Desk
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तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

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