अब यह कहना गलत होगा कि सिर्फ गाँव के लोग या किसान ही खेती कर सकते हैं, बल्कि अब ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग और शहरों में रहने वाले लोग भी अपने-अपने गाँव आकर खेती की शुरुआत कर रहे हैं। एक बार फिर ऐसा उदाहरण सबके सामने आया है जिसमें एक डॉक्टर महिला ने अपना प्रैक्टिस छोड़कर 1 हेक्टेयर ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। इस खेती से उनकी आमदनी लाखों में हो रही है।
महाराष्ट्र की रहने वाली डॉ. दिपाली (Dr Deepali) जो पेशे से एक डॉक्टर है। इन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा चलाए जा रहे आत्मनिर्भर भारत और मिशन शक्ति का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। इन्होंने बंजर ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर यह दिखा दिया है कि जब आपके अंदर किसी काम को करने की इच्छा है तो कोई भी काम आपके लिए असंभव नहीं है।
डॉ. दिपाली (Dr Deepali)
डॉ. दिपाली (Dr Deepali) जो महाराष्ट्र की रहने वाली हैं लेकिन उनकी शादी उत्तर प्रदेश के एटा (Etah) जिले में हुई है। इनके पति भी दिल्ली में डॉक्टर है। डॉ. दीपाली के पिता महाराष्ट्र में रहकर स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं। वहीं से दीपाली को इसकी जानकारी मिली थी और खेती करने की प्रेरणा भी। उन्होंने सोचा कि जब महाराष्ट्र में स्ट्रॉबेरी की खेती हो सकती है तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं हो सकती। अगर देखा जाए तो महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश का मौसम भी लगभग एक जैसा है। इन्हीं सारी बातों को सोचते हुए वह उत्तर प्रदेश के जनपद एटा स्थित अपने गाँव बासवा आकर स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की। डॉ. दीपाली के साथ उनके ससुर भी खेती में पूरा सहयोग करते हैं।
पिता और ससुर दोनों का पूरा सहयोग मिलता है
डॉ. दीपाली ने बताया कि “महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कल्चर में काफ़ी अंतर है। इसके बावजूद भी मुझे उत्तर प्रदेश में रहकर स्ट्रॉबेरी की खेती करने में कोई समस्या नहीं आती क्योंकि इसमें मेरे पिता और मेरे ससुर दोनों का पूरा सहयोग मिलता है।” डॉ दीपाली ने लगभग 9 से 10 लाख रुपए की लागत से एक हेक्टेयर ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। इस खेती से डॉ दीपाली को लगभग 5 लाख की आमदनी भी हो चुकी है। आगे उन्होंने कहा कि अभी 2 महीने से अधिक तक का समय है, जिसमें लगभग 18 से 20 लाख रुपए तक की कमाई और हो सकती है।
लॉकडाउन में शुरू की खेती
एक मीडिया से बातचीत में डॉ दीपाली (Dr Deepali) ने बताया कि जब लॉकडाउन की वज़ह से सब कुछ बंद पड़ा था तब इस दौरान वह अपने गाँव आई थी। गाँव में रहने के दौरान हैं उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का एक रिस्क उठाया। हाँ लेकिन खेती करने से पहले उन्होंने कुछ महीनों तक स्ट्रॉबेरी की खेती पर पूरा रिसर्च किया। सारी जानकारियों को जैसे इसकी खेती कैसे की जाती है, इसे कहाँ बेचा जाता है और इसकी मार्केटिंग कैसे करनी पड़ती है इत्यादि जानकारियों को इकट्ठा करने के बाद ही उन्होंने खेती की शुरुआत की। वर्तमान समय में डॉ दीपाली स्ट्रॉबेरी को दिल्ली समेत आगरा और कानपुर में भी बेचने के लिए भेजती हैं।
ससुर और बहू दोनों एक साथ इस खेती को कर रहे हैं
डॉ. दीपाली (Dr Deepali) ने जब गाँव आकर स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फ़ैसला लिया तब उनके ससुर ने उन्हें इस बात के लिए मना किया। लेकिन बाद में उनके ससुर भी खेती करने के लिए मान गए और उन्हें मदद करने लगे। आपको बता दे तो डॉ दीपाली के ससुर कॉलेज में प्रिंसिपल के पद पर थे, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ससुर और बहू दोनों एक साथ इस खेती को कर रहे हैं।
उनके ससुर ने कहा कि “मेरा बेटा और बहू दोनों दिल्ली में डॉक्टर है। जब मेरी बहू ने मुझसे कहा कि वह खेती करना चाहती है तब मैंने मना किया। लेकिन जब उसने खेती करने पर ज़ोर दिया तब मैंने भी उसे सहयोग किया।” आज एक तरफ जहाँ एटा जिले में महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की आजादी नहीं है वहीं दूसरी ओर डॉ. दीपाली खेती कर रही हैं। वहाँ अभी तक किसी महिला ने इस तरह की खेती करने का साहस नहीं किया है।
सरकार की ओर से कोई अनुदान मिलता है तो खेती में और अच्छा करेंगी
आगे डॉ दीपाली (Dr Deepali) ने कहा कि उन्हें अभी तक ज़िला प्रशासन की ओर से किसी तरह की कोई मदद नहीं दी गई है, जबकि महाराष्ट्र में अगर कोई इस तरह की खेती करता है तो उसे प्रशासन की ओर से क्रॉप लोन समेत और भी कई सारे अनुदान दिए जाते हैं। लेकिन आगरा, उत्तर प्रदेश में अभी तक इस तरह की कोई बात नहीं हुई है। आगे उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्हें प्रशासन या सरकार की ओर से कोई अनुदान मिलता है तो आगे वह खेती में और भी अच्छा करेंगी। इस तरह वहाँ की और भी महिलाएँ प्रेरित होंगी और वह भी घर से बाहर निकल कर आत्मनिर्भर बनेंगी।