The Story of José Salvador Alvarenga – कुछ देर को अपनी आंखें बंद करके कल्पना कीजिए जैसे आप किसी दुर्घटना की वजह से एक ऐसे स्थान पर आ गए हैं जहाँ पर ना तो आपके परिवार का कोई व्यक्ति है और ना ही दूसरे लोग। ना तो आपके पास खाने को खाना है और ना ही वापस घर जाने के लिए कोई साधन। आपको अपने आपको जिंदा रखने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है और इस वजह से आपका मस्तिष्क भी मानो जड़-सा हो गया है। सोचने भर से ही कितना कठिन लगता है ना यह सब… पर शुक्र कीजिए कि केवल आपकी कल्पना है।
परन्तु, क्या आपको पता है असल में यही कल्पना एक शख्स की वास्तविक कहानी है, जिसने अपने जीवन में यह सब सहा और बड़ी मुश्किलों से अपने घर वापस पहुँच पाया। यह शख्स है एक निडर मछुआरा जिनका नाम है, जोस सल्वाडोर अल्वारेंगा (José Salvador Alvarenga)। José Salvador मछली पकड़ने समुद्र में गया था, लेकिन फिर उसके साथ ऐसी दुर्घटना घटी की वापस घर पहुँचने में उन्हें पूरे 438 दिन का वक्त लगा।
कई दफा हमनें नाविकों के साथ हुई दुर्घटनाओं के बारे में सुना है, जो समुद्र से बहकर वीरान टापुओं अनजान जगह या देश में पहुँच जाते हैं। कई बार तो उनके लिए उस वीरान जगह पर जिंदा रहना ही बड़ी चुनौती बन जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था José Salvador के साथ। उन्होंने अपने जीवन के बहुमुल्य 438 दिन जिंदगी और मौत से लड़ते हुए गुजारे, पर आख़िरकार अपनी हिम्मत की वजह से वे अपने घर पहुँच पाए। चलिए जानते हैं उनकी पूरी कहानी।
दोस्त के साथ मछली पकड़ने गए थे José
José एक पेशेवर मछुआरे थे। वह 17 नवंबर, 2012 का दिन था, जब José अपने मेक्सिको में स्थित गाँव से बाहर निकलकर मछली पकड़ने के लिए समुद्र में गए। वे अपने साथी Córdoba के साथ गए थे। उनके मुताबिक उन्हें यह काम पूरा करने में केवल 1 दिन ही लगने वाला था, पर किसको पता था कि आगे कुछ ऐसा हो जाएगा कि 30 घण्टो का समय 438 दिन में बदल जाएगा।
जब आया तूफ़ान
उन दोनों ने ब्लैक टिप शार्क व सेलफिश को पकड़ने की योजना बनाई थी। पहले तो सब कुछ प्लान के अनुसार ही हो रहा था, पर अचानक खतरनाक तूफान आ गया और वे उसमें फंस गए। तेज बरसात और भयानक हवाएँ चल रही थीं, जो मानो आने वाले खतरे का संकेत दे रही हों। फिर भी José अपनी सिंगल इंजन वाली टॉपलेस बोट में बैठकर आगे बढ़ते गए, लेकिन ऐसा करना उनके लिए बहुत खतरनाक साबित हुआ। वे दोनों उस तूफ़ान में फंस चुके थे और उनकी नांव का मोटर व उनका रेडियो इत्यादि सभी जरूरी चीजें भी ख़राब हो गयी थीं।
अब तो उन्हें जैसे तैसे बस अपनी जान बचानी थी, इसलिए उन्होंने अपनी पकड़ी हुई करीब 500 किलो मछली पुनः समुद्र में डाल दी, ताकि बोट का वजन कम हो जाए। उनके पास ना तो नाव को चलाने के लिए पतवार थी, ना अंधेरे को दूर भगाने के लिए टॉर्च था और न ही खाने-पीने का सामान। ऐसा कोई उपकरण भी नहीं था, जिससे वे किनारे पर संपर्क कर पाते। उनकी नाव पानी के तेज़ बहाव के साथ बहती चली जा रही थी। कोसों दूर तक ज़मीन नहीं दिखाई पड़ रही थी।
मछली, कछुए व समुद्री पक्षी का कच्चा मांस खाना पड़ा
जब भूख असहनीय हो गयी तो José व उनके साथी ने खुद मछलियाँ, जेली फ़िश, कछुए, समुद्री पक्षी इत्यादि पकड़ लिए और उनका कच्चा मांस खाकर अपनी भूख शांत की। पहले तो वे बारिश का पानी पी लेते थे, पर फिर एक वक्त ऐसा भी था कि उनके पास पीने का पानी भी नहीं था, इसलिए उन्होंने कछुए का रक्त पीया, यहाँ तक कि मूत्र भी पीना पड़ा था। वे दोनों समुद्र में तैरकर आती हुई प्लास्टिक की वस्तुओं को भी बचाकर रखा करते थे, ताकि जरूरत पड़ने पर काम आए।
साथी Córdoba की हुई भूख से मौत
करीब चार महीनों तक उन्होंने ऐसे ही गुज़ारा किया, फिर José के साथी Córdoba ने कच्चा मांस खाने को मना कर दिया तथा खाना-पीना छोड़ दिया। अंततः जल्द ही वह भुखमरी से मर गया। साथी के गुज़र जाने के बाद José बिल्कुल अकेले हो गए थे। इसलिए उनके मन में जीवन खत्म करने के विचार भी आते थे।
धीरे-धीरे करके उनका मानसिक संतुलन भी डगमगाने लगा था। अपने साथी की मृत्यु के बाद भी José 6 दिनों तक तो उसके मृत शरीर से बतियाते रहते थे, पर फिर उन्हें लगा कि इस तरह अपना आपा खोने से कुछ नहीं होगा, उन्हें वास्तविकता को स्वीकार करना होगा। फिर José ने अपने साथी की डेड बॉडी को नाव से फेंक दिया। José के साथी Córdoba ने उन्हें कहा था कि मृत्यु के बाद वह उसकी बॉडी को ना खाएँ।
चंद्र कलाएँ गिनकर रखा वक़्त का हिसाब
José ने जीवित रहने के लिए सबकुछ किया। वे अपने प्रारम्भिक स्थल से लगभग 10 हजार किमी से भी ज्यादा दूर थे और उनके पास ना कोई उम्मीद थी और ना कोई सहारा। अतः उन्होंने सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दिया। वे अपनी बोट के आइस बॉक्स पर बैठकर समय काट रहे थे। José आसमान में टिमटिमाते सितारों को देखते रहते और चंद्र कलाओं (Phases of the moon) को गिनकर समय का हिसाब रखते।
कई बार उन्होंने अपने आसपास जहाजों को देखा, परन्तु कोई भी José को नहीं देख पाया। अपने ऊपर से गुजरते हवाई जहाजों को José सिग्नल देना चाहते थे, पर उनके पास सिग्नल देने को कुछ नहीं था। इस तरह उन्हें किसी की मदद नहीं मिल पा रही थी। फिर अपने अकेलेपन में समय काटने के लिए José गाने गाया करते, भजन व प्रार्थना गाया करते थे।
438 दिनों बाद दिखाई दी जमीन
करीब 438 दिवस नरक जैसा जीवन व्यतीत करने के बाद 30 जनवरी, 2014 को José को कुछ दूरी पर पहाड़ दिखाई दिए। जो कि यह मार्शल द्वीप समूह का ही एक छोटा-सा कोना था। फिर José ने देर किए बिना नाव से छलांग लगा दी और तैरकर किनारे तक पहुँच गए। अंततः José किनारे पर आकर जमीन पर पहुँचे और बेहोश हो गए। वहाँ के स्थानीय लोगों ने जब उन्हें बेहोंश पड़े देखा तो उसे घर ले आए।
José जब होश में आए तो उन्होंने अपने पास Beach House के मालिकों को देखा, जिन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को José के बारे में सूचना दे दी थी। पुलिस ने जब देखा कि José के टखने सूज गए थे, आंखों की रौशनी कम हो गई थी, वह बहुत कठिनाई से चल पा रहे थे और उनके बाल जैसे किसी झाड़ी की तरह उलझे हुए दिख रहे थे, तो पुलिस को लगा कि José के साथ किसी ने हिंसा की है, परन्तु José ने उन्हें सच बताया और इस बात की इन्वेस्टिगेशन भी की गई, जिससे पता चला कि वे बिल्कुल सच कह रहे हैं।
परिवार वालों ने मृत मान लिया था
José जब अपने घर वापस लौटे तो उन्हें देखकर सभी हैरान रह गए क्योंकि सब को लगा कि वे अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके लौटने पर José के माता-पिता व उनकी बेटी की-की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। José के जाने के बाद उनकी 14 वर्षीय बेटी फातिमा अपने नाना-नानी के साथ ही रहने लगी थी। खैर, अब José अपने परिवार के साथ हैं और अपनी पिछली जिंदगी भुलाकर नॉर्मल होने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब उन्हें समुद्र के नजदीक जाने से भी भय लगता है और वह मछली नहीं पकड़ते।
जो भी हो, पर José Salvador Alvarenga की हिम्मत काबिले तारीफ़ है, क्योंकि इतने दिन नारकीय जीवन जीने के बाद भी उन्होंने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और अंततः जिंदा वापस लौट आए।