Sunroof Car Advantages and Disadvantages : इन दिनों कार में सनरूफ का चलन काफ़ी तेजी से प्रचलित हो रहा है, जिसकी वज़ह से ग्राहकों को कम क़ीमत में इलेक्ट्रिक सनरूफ की सुविधा मिल जाती है। सनरूप के जरिए कार को शानदार और आकर्षक लुक दिया जाता है, जो फोटोशूट और वीडियोग्राफी काफ़ी फायदेमंद लगता है।
लेकिन क्या सच में कार में इलेक्ट्रिक सनरूफ फीचर की ज़रूरत होती है या फिर यह कंपनी द्वारा ज़्यादा से ज़्यादा कार बेचने का महज़ एक बहाना है। शहरों में रहने वाले ज्यादातर लोग सनरूफ को बेहतरीन फीचर मानते हैं, लेकिन क्या सच में यह फीचर ज़रूरी है?
महंगा साबित होता है सनरूफ फीचर (Car Sunroof)
अगर आप सनरूप फीचर वाली कार खरीदते हैं, तो उसकी क़ीमत सामान्य कार के मुकाबले ज़्यादा होगी। इसके साथ अगर इलेक्ट्रिक सनरूफ एक बार खराब हो जाए, तो उसे ठीक करवाना काफ़ी खर्चीला और समय बर्बाद करने वाला काम साबित होता है।
सनरूफ फीचर खराब हो जाने के बाद कार ऑनर के पास दो ही विकल्प बचते हैं। पहल ये कि ग्राहक ज़्यादा पैसे देकर उसे ठीक करवा ले, या फिर सनरूप फीचर को हमेशा के लिए बंद करवा दें। एक रिसर्च से पता चलता है कि सनरूफ फीचर वाली कार लेने वाले ज्यादातर लोग खराब होने के बाद उसे हमेशा के लिए बंद करवा देते हैं।
इस हिसाब से देखा जाए तो आप जिस सनरूप फीचर के लिए ज़्यादा पैसे देकर कार खरीदेंगे, वहीं आपके ख़र्च बढ़ाने का काम करेगा। इस तरह ज़्यादा रुपए ख़र्च करने के बावजूद भी सनरूप फीचर ग्राहकों के लिए ज़्यादा फायदेमंद साबित नहीं हो पाता है।
मौसम पर बेअसर है सनरूफ
अगर आप भारत में रहते हैं तो यहाँ के मौसम से अच्छी तरह से परिचित होंगे। भारत में मौसम बदलता रहता है, जिसकी वज़ह से सनरूफ फीचर किसी भी तरह से यहाँ के माहौल के हिसाब से फीट नहीं बैठता है।
भारत के ज्यादातर हिस्सों में गर्मी का मौसम रहता है, ऐसे में 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान में आप सनरूफ फीचर का फायदा नहीं उठा पाएंगे। जबकि बरसात के मौसम में तेज बारिश में भी सनरूफ फीचर का कोई इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
हालांकि ठंडे इलाकों में सनरूफ फीचर का फायदा उठाया जा सकता है, जहाँ पहाड़ों में कार चलाते समय धूप का मज़ा उठाया जा सकता है। लेकिन पहाड़ों में रहने वाले ज्यादातर लोग सनरूफ फीचर वाली कार खरीदना पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि यह बजट के हिसाब से काफ़ी महंगी और रखरखाव के हिसाब से काफ़ी खर्चीली होती है।
इसके अलावा पहाड़ों पर सनरूफ फीचर का मज़ा कुछ ही देर के लिए उठाया जा सकता है, क्योंकि ठंडी हवा कार के अंदर चल रहे ब्लोवर का असर ख़त्म कर देती है। ऐसे में ग्राहक सिर्फ़ कुछ देर के लिए सनरूफ फीचर का फायदा उठाकर फोटो क्लिक करवा सकता है, बाकि इस फीचर का कोई दूसरा इस्तेमाल नहीं है।
लीकेज की समस्या
आमतौर पर कार में लीकेज की समस्या नहीं होती है, क्योंकि कार को अच्छी तरह से कवर किया जाता है। लेकिन अगर आप सनरूफ फीचर वाली कार खरीदते हैं, तो इसमें आपको लीकेज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल कई बार खुलने और बंद करने की वज़ह से सनरूफ की ग्लास ढीला हो जाता है, जिसकी वज़ह से उसकी फिटिंग में फ़र्क़ आ जाता है। ऐसे में बरसात के मौसम में अक्सर सनरूफ से पानी का रिसाव होने लगता है, जो आपकी लॉन्ग ड्राइव का मज़ा किरकिरा कर सकता है।
इसके अलावा अगर एक बार कार में सनरूफ फीचर की फीटिंग खराब हो जाती है, तो उसे सामान्य करने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह फीचर ग्राहकों के लिए सुविधाजनक होने के बजाय ज़्यादा खर्चीला और परेशानी खड़ी करने वाला साबित होता है।
कम हो जाती है रिसेल वैल्यू
सनरूफ फीचर वाली कार खरीदने पर ग्राहकों को उसके ऊंचे दाम चुकाने पड़ते हैं, लेकिन अगर आप कार को रिसेल करने की कोशिश करते हैं तो यह सौदा ग्राहक के लिए नुकसानदायक साबित होता है।
दरअसल सनरूफ की सेटिंग खराब होने और पानी के रिसाव की वज़ह से कार में गैप और जंक की समस्या पैदा हो जाती है, जिसकी वज़ह से कार के लुक में काफ़ी असर पड़ता है। ऐसे में अगर ग्राहक कार को रिसेल करने की कोशिश करता है, तो उसे कार की बहुत ही कम क़ीमत मिलती है।
फायदेमंद नहीं है सनरूफ कार (Sunroof Car)
ऐसे में देखा जाए तो आप जिस सनरूफ फीचर के लिए 2 से 3 लाख रुपए ज़्यादा ख़र्च करते हैं, वह आख़िर में ग्राहक के लिए नुकसानदायक फीचर साबित होता है। इसके अलावा जितने समय तक कार आपके पास रहेगी, उसके रखरखाव में उतने ही पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे।
इस तरह सनरूफ कार किसी भी लिहाज से ग्राहक के लिए फायदेमंद साबित नहीं होती है, यह बस शो-ऑफ का महज़ एक तरीक़ा है। भारतीय बाजारों में सनरूफ कार की मांग बढ़ रही है, लेकिन इसकी लोकप्रियता और क़ीमत ग्राहक के लिए उपयोगी साबित नहीं हो सकती। Sunroof Car Advantages and Disadvantages