Strawberry Farming – आधुनिकीकरण से साथ-साथ आज किसान भी आधुनिक होते जा रहे हैं। पारंपरिक फसलों की खेती छोड़ बहुत से किसान आज तमाम तरह की दूसरी फसलें तो उगा ही रहे है। साथ ही साथ आज वह खेती के लिए आधुनिक बीज और आधुनिक उपकरण का भी बखूबी प्रयोग कर रहे हैं। जिससे उनकी मेहनत कम और आमदनी ज़्यादा हो रही है।
आज भी हम आपको देश के एक ऐसे ही किसान की कहानी बताने जा रहे हैं। जो पारंपरिक खेती को छोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती की तरफ़ अग्रसर हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत में भले ही उन्हें कुछ परेशानी उठानी पड़ी। पर जैसे ही वह इस फ़सल के बारे में बारीकी से जान गए। सब कुछ सामान्य हो गया। आइए जानते है कौन हैं वह किसान और कैसे शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती।
विशाल जसदिया (Vishal Jasdiya)
इन किसान का नाम है विशाल जसदिया (Vishal Jasdiya) ये गुजरात (Gujarat) के जामनगर (Jamnagar) जिले के आनंद गांव के रहने वाले हैं। विशाल पुरानी परंपरागत खेती से परेशान होकर आज स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट और तमाम तरह की सब्जियों की खेती करते हैं। फिलहाल ये इस तरह से 32 बीघे पर खेती कर रहे हैं। जिससे सालाना इनकी 40 लाख आमदनी होती है।
नौकरी से नहीं मिली संतुष्टि
ऐसा नहीं है कि विशाल ज़िन्दगी से हार कर खेती की तरफ़ आए हैं। वह इससे पहले कोरोमंडल इंटरनेशनल कंपनी में शानदार नौकरी करते थे। इस कंपनी में उन्हें अच्छा पद और अच्छा वेतन भी मिलता था। तीन साल तक उन्होंने काम किया। फिर लगा कि शहर की चकाचौंध से बेहतर है गांव में ही रहकर कुछ किया जाए। इसी संकल्प के साथ उन्होंने 2019 में नौकरी को अलविदा भी कह दिया था और गाँव आ गए।
दोस्त ने दी स्ट्रॉबेरी की खेती की सलाह (Strawberry Farming)
तभी उन्होंने सोचा कि गाँव में खेती का अच्छा विकल्प है। लेकिन वह पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को आज़माना चाहते थे। क्योंकि पुरानी खेती में कभी भी लाभ नहीं होना था। इसी बीच उनके एक मित्र ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) बेहद आसानी से की जा सकती है। साथ ही इसमें लागत कम आती है और मुनाफा भी जल्दी कमाया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश में जाकर हासिल की जानकारी
आपको बता दें कि स्ट्रॉबेरी की खेती ज्यादातर ठंडे इलाकों में की जाती है। ऐसे में विशाल ने स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए हिमाचल प्रदेश का रुख किया। यहाँ वह स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले तमाम किसानों से मिले। साथ ही इस दौरान भी पता लगा कि स्ट्रॉबेरी की कुछ किस्मों की खेती गुजरात में भी की जा सकती है। इससे पहले विशाल को डर था कि कहीं स्ट्रॉबेरी की खेती गुजरात के मौसम में संभव ना हो। लेकिन वह भ्रम भी उन किसानों से मिलकर दूर हो गया। इस दौरान विशाल को स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी मिली। पता लगा कि स्ट्रॉबेरी की खेती में कौन कौन-सी सावधानी ज़रूरी होती है।
शुरुआत में ही दो लाख की हो गई आमदनी
विशाल जसदिया बताते हैं कि सब कुछ जानने के बाद उन्होंने दिसम्बर 2019 में काम करना शुरू कर दिया। दिसम्बर माह में ही उन्होंने 1 बीघा ज़मीन पर लगभग 6 हज़ार स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए। उम्मीद के मुताबिक जनवरी में ही इन पौधे में फल आ गए। इस एक बीघा जमीन में ही 3000 किलोग्राम से ज्यादा स्ट्रॉबेरी की फसल आई, जिसे उन्होंने राजकोट में बेचा था। पहली बार में ही स्ट्रॉबेरी से उन्हें 2 लाख रुपए मिले। जिसके बाद घर आते ही उन्होंने इस फ़सल का दायरा विस्तार करने का निर्णय ले लिया। अब वह 32 बीघा ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ ड्रैगन फ्रूट और सब्जियाँ भी उगते हैं। उनके मुताबिक एक बीघा ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती में करीब 3 लाख की लागत आती है। जिससे 6-7 लाख रुपए तक आराम से कमाए जा सकते हैं।
इस तरह से होती है स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming)
स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming) के लिए सबसे उपयुक्त समय अगस्त से सितंबर माना जाता है। इसके लिए बलुई या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इसके लिए तापमान 30 डिग्री से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर गर्मी बढ़ती है तो प्लांट्स को नुकसान पहुंचता है। फ्रूट्स खराब हो जाते हैं। इसके पौधों को हर रोज़ साफ़ करना होता है। सूखे पत्तों को नियमित हटाना पड़ता है। ताकि हार्वेस्टिंग के दौरान कोई परेशानी न हो। साथ ही ड्रिप इरीगेशन प्रणाली से पौधों की सिंचाई करनी होती है। ताकि पौधों में नमी हमेशा बनी रहे।
विटामिन से भरपूर होता है ये फल
स्ट्रॉबेरी का फल पोषक तत्व और विटामिन से भरपूर होता है। स्ट्रॉबेरी खाने से दांतों में भी चमक बढ़ जाती है। साथ ही स्ट्रॉबेरी का प्रयोग आइसक्रीम, जेली और मिठाइयों के बनाने में भी भरपूर प्रयोग होता है। ऐसे में स्ट्रॉबेरी स्वाद के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद रहती है। इसलिए इसका सेवन हम सभी को ज़रूर करना चाहिए।