Sandalwood Farming – हिन्दू धर्म में चंदन की महत्ता किसी से छिपी नहीं है। घर में कोई विवाह शादी हो या कोई बच्चा पैदा हुआ हो। हर समय चंदन की लकड़ी बेहद ज़रूरी होती है। घर में हवन करना हो या कोई पूजा करवानी हो तो भी पंडित लोग चंदन की लकड़ी ज़रूर लाने को कहते हैं। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि चंदन की लकड़ी को बेहद पवित्र माना जाता है। इसे जलाने के बाद इसकी सुगंध जहाँ तक जाती है माना जाता है कि वह जगह पूरी तरह से पवित्र हो जाती है। वहाँ की हवा शुद्ध हो जाती है।
लेकिन आप जब भी चंदन की लकड़ी खरीदने गए होंगे तो आपने देखा होगा कि चंदन की लकड़ी बेहद महंगी मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंदन की खेती भारत में कम ही लोग करते हैं। क्योंकि चंदन की खेती में रखरखाव और चोरी का बहुत डर रहता है। इसलिए लोग इस खेती को करने से बचना चाहते हैं। लेकिन हरियाणा के एक किसान हैं जो आज चंदन की खेती कर करोड़पति बन चुके हैं। आइए आज हम आपको उस किसान के बारे में बताते हैं। साथ ही चंदन की खेती कैसे की जाती है इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
कौन हैं ये किसान
ये किसान हरियाणा के घरौंडा के रहने वाले हैं। घरौडा करनाल जिले में पड़ता है। ये किसान फिलहाल कई एकड़ में चंदन की ही खेती कर रहे हैं। चंदन की खेती इन्हें ऐसी भायी है कि ये अब इस खेती से लाखों नहीं करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। साथ ही लोगों को इस खेती के बारे में जागरूक भी कर रहे हैं।
कैसे होती है चंदन की खेती Sandalwood Farming
उन्होंने बताया कि चंदन की खेती दूसरी फसलों से अलग पूरे 12 साल में तैयार होती है। इसकी खेती के लिए लंबा धैर्य चाहिए होता है। चंदन की खेती के लिए एक एकड़ ज़मीन में 600 चंदन के पेड़ लगाए जा सकते हैं, जो कि धीरे-धीरे तैयार होते रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति एक चंदन का पौधा लगता है तो उससे 5-6 लाख की आमदनी हो सकती है। ऐसे में यदि एक एकड़ में चंदन की खेती की जाए तो आमदनी करोड़ों में होती है। वह पिछले तीन साल से चंदन की खेती कर रहे हैं और दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
चंदन की खेती (Sandalwood Farming) के लिए खेत में सीडलिंग करने की ज़रूरत पड़ती है। यदि हम चंदन के एक पौधे की क़ीमत की बात करें तो इसकी क़ीमत 400-500 रूपये होती है। जो कि खरीदकर आप अपने खेतों में लगा सकते हैं। चंदन की खेती के साथ होस्ट की खेती भी करना बेहद ज़रूरी होता है। यदि होस्ट की खेती नहीं की तो चंदन की खेती संभव नहीं है। होस्ट का हर पौधा चंदन के पौधे के साथ-साथ लगाया जाता है। यदि होस्ट का पौधा मर गया तो चंदन के पौधे का मरना भी निश्चित है। यदि हम एक एकड़ में चंदन की खेती करना चाहते हैं तो 600 चंदन के पौधे लगाने होंगे और 300 होस्ट के पौधे लगाने होंगे।
बरसाती इलाकों में नहीं है संभव
चंदन की खेती (Sandalwood Farming) में पानी की बेहद कम ज़रूरत होती है। इसलिए कभी भी इसकी खेती उन इलाकों में नहीं की जा सकती जहाँ बारिश ज़्यादा होती है। इसकी खेती के लिए खेतों में ढलान इस तरह से करना होता है ताकि यदि बारिश हो भी तो पानी खड़ा ना रहे। इस बात का ख़्याल पूरे बारह सालों तक रखना पड़ता है। वरना सारी मेहनत पर पानी फेर जाएगा।
सरकार ही करती है खरीद
चंदन की खेती (Sandalwood Farming) करने वाले लोग सीधा सरकार के संपर्क में रहते हैं। क्योंकि चंदन की फ़सल को प्राइवेट एजेंसी नहीं खरीद सकती। क्योंकि चंदन की लकड़ी पर निर्यात पर सरकार की रोक है। इसलिए चंदन की लकड़ी केवल सरकार ही खरीदती है और निर्यात भी सरकार की मंजूरी से ही होता है। चंदन को खेती तैयार होने पर वन विभाग को जानकारी देनी होती है। वन विभाग सरकार से संपर्क करता है और काटने का समय तय करता है। चंदन विश्व की सबसे महंगी लकड़ी है। इसकी लकड़ी 27 हज़ार रूपये प्रति किलो बिकती है। यदि हम चंदन के एक पेड़ की बात करें तो उससे 15 से 20 किलो लकड़ी निकल जाती है। जिसकी क़ीमत 5 से 6 लाख आमदनी होती है।
दो साल बाद पौधे में आती है तेजी
चंदन की खेती के लिए लगभग दो साल का पौधा लाना चाहिए। दो साल का पौधा लगभग तीन फीट तक बड़ा होता है। चंदन की खेती तो किसी भी महीने में की जा सकती है, बस इसे सर्दियों में करने की सलाह कम दी जाती है। साथ ही चंदन के पौधे को पानी से बचाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके लिए पौधे के चारों तरफ़ मेड बना दी जाती है, ताकि पानी खड़ा ना हो। साथ ही इसमें खरपतवार का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है। ताकि पौधे का विकास तेजी से हो सके। चंदन के पौधे को शुरुआती महीनों में 2-3 लीटर पानी की ज़रूरत होती है। पौधा बढ़ने के साथ ये ज़रूरत बढ़ती जाती है।
सांप लटकने की अफवाह है गलत
आपने ये भी सुना होगा कि चंदन के पौधे से सांप लटके होते हैं। खासतौर पर जब वह बड़ा हो जाता है। लेकिन यह पूरी तरह से झूठ है। शुरुआती आठ सालों तक चंदन की लकड़ी चोरी नहीं हो सकती। क्योंकि तब तक चंदन के पेड़ में ख़ुशबू नहीं आती। लेकिन इसके बाद चंदन की खेती की रखवाली करनी पड़ती है। क्योंकि चंदन की खेती की चोरी होने का बहुत डर रहता है। आप समझ गए होंगे ये अफवाह चंदन की लकड़ी को चोरी होने से बचाती है।
साथ ही हो सकती है दूसरी खेती
ऐसा नहीं है कि चंदन की खेती के साथ दूसरी खेती नहीं हो सकती। चंदन के पेड़ बीस फीट की दूरी पर लगाए जाते हैं। ऐसे में इनके बीच दूसरी फ़सल भी बोई जा सकती है। बस ध्यान रखें कि गन्ने या चावल की फ़सल ना बोएँ। ऐसी फसलें पानी बहुत लेती हैं, जो कि चंदन के पेड़ों को नुक़सान पहुँचा सकती हैं। चंदन का पौधा जब बड़ा होता है तो अमरूद की तरह छोटी-छोटी टहनियों में फैल जाता है। इसलिए इसके बीच वही खेती करें जो छाव में आसानी से हो सकती हो।
दो तरह के होते हैं चंदन
चंदन की खेती (Sandalwood Farming) दो तरह की होती है। एक लाल और एक सफेद। भारत में केवल सफेद चंदन की खेती संभव है, क्योंकि भारत की मिट्टी इसी के अनुकूल है। भारत में भी यदि मिट्टी का पीएच मान यदि 4.5 से 5.5 तक होता तो भारत में भी लाल चंदन की खेती की जा सकती है। चंदन की खेती के लिए बर्फीले इलाके से लेकर राजस्थान जैसे तपिश में भी की जा सकती है। इसके लिए तापमान कोई प्रभाव नहीं डालता।