हमारे देश के वैज्ञानिक नई-नई खोज करते रहते हैं, ना सिर्फ़ चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में बल्कि आज हर क्षेत्र में हम आगे हैं। इसी प्रकार से जहाँ खेती के लिए पहले पुराने तरीके ही उपयोग में लाए जाते थे वहीं अब नए-नए तरीकों से खेती की जा रही है और इसके साथ ही कृषि में कई प्रकार के शोध और अनुसंधान किए जा रहे हैं, जिससे किसानों को बहुत फायदा मिल रहा है।
ऐसी ही एक खोज की है डॉ. आनंद बहादुर सिंह ने, उन्होंने वाराणसी के शहंशाहपुर में भारतीय किसानों ने अनुसंधान संस्थान में शोध करके ग्राफ्टिंग टेक्निक (Grafting Techniques) से इस प्रकार के पौधे उगाये हैं, जिसमें 2 भिन्न-भिन्न तरह की सब्जियाँ एक पौधे में उगाई जा रही हैं, जैसे कि आलू और बैंगन एक पौधे में अथवा टमाटर और बैंगन एक पौधे में उगाये जा रहे हैं।
डॉ. आनंद बहादुर सिंह का नवीन शोध (Grafting Techniques)
डॉ. आनंद बहादुर सिंह (Dr. Anand Bahadur Singh) वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने एक ही पौधे में दो सब्जियाँ उगाकर एक अनूठा शोध किया है। इसे ग्राफ्टिंग तकनीक (Grafting Techniques) कहा जाता है, जिससे टमाटर के पौधे में बैंगन के पौधे को क़लम करके उन्हें एक ही पौधे में उगा रहे हैं। डॉ. आनंद बहादुर का कहना है कि ये ख़ास पौधे 24-28 डिग्री टेम्प्रेचर में 85% से ज़्यादा नमी और बिना प्रकाश के नर्सरी में ही तैयार किए जा रहे हैं।
किसानों को Grafting Techniques से मिलेगा फायदा
डॉ. आनंद का कहना है कि ग्राफ्टिंग करने के 15-20 दिन पश्चात इन पौधों को खेत में बोया जाता है। फिर इसमें उचित मात्रा में उर्वरक और पानी डाला जाता है, साथ ही पौधे की कांट-छांट भी की जाती है। पौधे लगाने के 60 से 70 दिन के बाद इनमें फल लगना शुरू हो जाते हैं। आपको बता दें कि वर्ष 2013-14 से ग्राफ्टिंग टेक्निक (Grafting Techniques) की शुरूआत हुई थी, जिससे ऐसे किसानों को बहुत फायदा मिला है जहाँ पर बारिश के मौसम में बहुत दिनों तक पानी भरा हुआ रहता है।
शहरों में और टेरेस गार्डन के लिए भी उपयुक्त है Grafting Techniques
इस तकनीक को विशेष रूप से शहरों में रहने वाले ऐसे लोगों के लिए तैयार किया गया है जिन लोगों के पास पौधे उगाने के लिए स्थान की कमी होती है। क्योंकि आजकल शहरों में रहने वाले बहुत से लोग मार्केट की केमिकल वाली सब्जियाँ खाना पसंद नहीं करते हैं अतः अपने घर में ही थोड़ी जगह में सब्जियाँ उगाते हैं या फिर टेरेस गार्डन बनाकर अपने मनपसंद पौधे उगाते हैं।
ऐसे लोगों के लिए यह तकनीक बहुत कारगर है, यही कारण है कि ग्राफ्टिंग टेक्निक शहरी लोगों को भी आकर्षित कर रही है। भारतीय सब्जी अनुसंधान के डायरेक्टर जगदीश सिंह (Jagdish Singh) का बताते हैं कि ग्राफ्टिंग टेक्निक्स से किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा और साथ ही उनकी कमाई भी होगी। जिन लोगों के पास जगह कम है वे लोग भिन्न-भिन्न सब्जियाँ थोड़े स्थान में ही होगा पाएंगे।
अब उगाएंगे तीन सब्जियाँ एक ही पौधे में
वैज्ञानिक जगदीश सिंह बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 2013-14 से ही ग्राफ्टिंग टेक्निक (Grafting Techniques) पर काम करना शुरू कर दिया था। पहले तो उन्होंने आलू और टमाटर दोनों सब्जियाँ एक ही पौधे में उगाई फिर जब उससे अच्छी फ़सल प्राप्त हुई तो उन्होंने बैंगन और टमाटर को भी ग्राफ्टिंग टेक्निक्स एक ही पौधे में उगा लिया। डॉक्टर जगदीश और उनकी सारी टीम अब-अब एक ही पौधे में आलू, टमाटर और बैंगन एक साथ पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके अनुसार करीब 1 या 2 वर्ष में उनका यह लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा।
उम्मीद है ग्राफ्टिंग टेक्निक (Grafting Techniques) से किसान लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही उन लोगों को भी बहुत फायदा मिलेगा, जो गार्डनिंग के शौकीन हैं और अपने घर पर ही उगाए हुए फल और सब्जियाँ खाना पसंद करते हैं।