कहते हैं कि अगर कोई भी इंसान मन में निश्चय कर ले और मन लगाकर मेहनत करे तो मुश्किल से मुश्किल काम भी आसानी से पूरा हो जाता है। हालांकि शुरुआत में दिक्कत अवश्य आती है, लेकिन बाद में राहें आसान होती चली जाती हैं, बस ज़रूरत है तो जी तोड़ मेहनत की।
आज हम एक ऐसे ही दृढ़ निश्चयी युवक प्रणव सिंह ( Pranav Singh ) का उदाहरण देने जा रहे हैं, जो बिहार ( Bihar ) के अरवल (Arval) जिले के निवासी हैं। इन्होंने अपने मज़बूत इरादों से अपनी क़िस्मत और अपनी ज़िन्दगी को बदल दिया है। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के समय जहाँ सभी के उद्योग धंधे ठप पड़े थे और लोग नौकरियों से हाथ धो बैठे थे, वहीं प्रणव सिंह ने लॉकडाउन के इस समय में कुछ ऐसा काम किया जिससे उनकी क़िस्मत चमक गई।
वीडियो के माध्यम से मछली पालन की पूरी जानकारी देखें
4 कट्ठे से की मछली पालन की शुरुआत, आज करते हैं 8 एकड़ ज़मीन में व्यवसाय
प्रणव सिंह ने सिर्फ़ 4 कट्ठे से मछली पालन का यह बिजनेस प्रारंभ किया था। बाद में इसी व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और फल स्वरूप उनका यह मछली पालन का व्यवसाय आज 8 एकड़ में फैल चुका है। मैं अभी यह बिजनेस पार्टनरशिप में करते हैं। आपको बता दें कि इन्होंने फिश फार्मिंग के इस बिजनेस को पारंपरिक तरीके से ना करके बल्कि वैज्ञानिक तकनीक से किया। इसलिए उन्हें इस व्यवसाय से एक ही तालाब से दोगुनी कमाई होने लगी थी।
ईंट भट्ठे से बिगड़ी ज़मीन को खुदवाकर किया उपयोग
प्रणव ने अपने इस कारोबार के बारे में बताया कि जिस स्थान पर उन्होंने मछली पालन के लिए तालाब बनवाया था उसी स्थान पर पहले ईंट भठ्ठे का काम होता था। फिर बाद में जब मिट्टी ख़त्म हो गई तो भट्टे का काम करने वाले यह जगह छोड़ कर चले गए थे। इस काम की वज़ह से यह सारी ज़मीन बंजर हो गई थी। फिर उन्होंने इस बंजर ज़मीन को खुदवा कर उसका तालाब बनवाया और उसमें मछली पालन का काम शुरू किया। सरकारी योजना के तहत इस तालाब की खुदाई की गई थी। यह व्यवसाय शुरू करने में इन्हें ढाई-तीन लाख रुपए का निवेश करना पड़ा था।
एक ही तालाब में 4 प्रजातियों की मछलियाँ पालते हैं
आमतौर पर जो भी मछली पालन का व्यवसाय करते हैं वह व्यक्ति एक तालाब में तीन प्रकार की मछलियाँ रखा करते हैं परंतु प्रणव सिंह ने इसके लिए रिसर्च करके और फिर अपने तालाब में चार प्रकार की मछली की प्रजातियाँ पाली। जिनमें से एक आईएमसी यानी रोहू मछली, कतला और कॉमन क्रॉप मछलियाँ, तथा मांगुर के साथ पंगासिया मछली भी पाली। उन्होंने मार्च में यह काम शुरू किया था, इसके बाद लॉकडाउन हो गया था।
प्रणव सिंह ने यह भी बताया कि अप्रैल माह में उन्होंने तालाब में मछली के बच्चे डाल दिए गए थे फिर लॉकडाउन के समय में यह बच्चे बड़े होकर मछलियाँ बने और फिर इन मछलियों से बहुत फायदा हुआ। इस व्यवसाय के बारे में वे बताते हैं कि केवल 1 एकड़ ज़मीन में बने तालाब से ही लगभग 9 लाख तक की कमाई की जा सकती है। इतना ही नहीं अब तो वे बिहार के मछली पायलटों को फिश सीट भी दिया करते हैं। जिससे उनकी अतिरिक्त कमाई भी हो जाती है।