कुछ लोग नए-नए तरीकों को अपनाने में माहिर होते हैं। वह हमेशा एक ही ढर्रे पर चलना नहीं चाहते और कहते भी हैं कि “परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है” जब तक आप अपने काम में या ख़ुद में बदलाव नहीं लाएंगे तब तक आप आगे नहीं बढ़ सकते हैं। खेती में भी लोगों के बीच अब तक यही धारणाएँ चली आ रही थी कि सिंघाड़े की खेती हमेशा पानी में ही की जाती है, लेकिन अब कुछ किसान इसे बदल रहे हैं, वह पानी के बदले इसे मिट्टी में भी उगा रहे हैं और कम ख़र्च में ज़्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।
खेती के साथ होम्योपैथी के द्वारा लोगों का इलाज़ भी कर रहे है
यह है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के रहने वाले सेठपाल सिंह (Sethpal Singh), जो मिश्रित खेती करतें हैं। वह खेतों में रासायनिक खाद के बदले जैविक उर्वरक का प्रयोग करते हैं, ताकि इससे स्वास्थ्य ठीक रहे। जैविक उर्वरक से मिट्टी की उर्वरा क्षमता भी अच्छी रहती है। किसान सेठ पाल सिंह ने खेती के साथ-साथ होमियोपैथी से डिग्री प्राप्त कर गाँव में लोगों का इलाज़ भी कर रहे है
1995 में गाँव के प्रधान भी बने
सेठ पाल सिंह (Sethpal Singh) अपनी ज़िन्दगी में बहुत अलग-अलग काम किए हैं। लेकिन उनकी ज़िन्दगी में बदलाव तब आया जब वह अपने गाँव के प्रधान बने। तभी उन्हें यह महसूस हुआ कि अगर गाँव में विकास करना है तो उसके लिए किन-किन कार्यों को करना ज़रूरी है। प्रधान बनने के बाद उन्होंने देखा कि गाँव के जितने भी किसान हैं वह बहुत पिछड़े हुए हैं और उन्हें नई तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिए सीखना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए उन्होंने ख़ुद कृषि विज्ञान केंद्र जाना शुरु किया और नए-नए तरीकों को सीख किसानों की मदद की। केवीको ने उन्हें यह सलाह दी कि वह ख़ुद भी ट्रेडिशनल खेती के साथ, सब्जियों और फल-फूल की खेती करें।
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खेतों में काम करना शुरू किया
सेठपाल सिंह ने केवीको की सलाह मानकर सबसे पहले फ्रेंच बिन्स की खेती की। उन्हें खेतों में काम करता देख गाँव के लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ और लोगों ने कहा कि प्रधान जी आप यह काम क्यों कर रहे हैं? लेकिन उन्होंने खेती करना नहीं छोड़ा। उन्होंने खेती करने के लिए केविको से खाद बनाना सीखा और जैविक खाद ख़ुद ही बनाने लगे और पारंपरिक फसलों के साथ-साथ सब्जियों और फलों को भी खेती करने लगे।
पानी के बदले मिट्टी में उगाए सिंघाड़े
उनकी खेती में सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि उन्होंने सिंघाड़े को पानी के बदले मिट्टी में ही उगाना शुरू किया। सिंघाड़े की खेती उन्होंने सिर्फ़ 1 एकड़ भूमि में की और जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हुआ और लागत भी कम था। उनकी खेती में सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि उन्होंने सिंघाड़े को पानी के बदले मिट्टी में ही उगाना शुरू किया। सिंघाड़े की खेती उन्होंने सिर्फ़ 1 एकड़ भूमि में की और जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हुआ और लागत भी कम था।
रिले कोर्पिंग से हुआ फायदा
उन्हें रिले कोर्पिंग की मदद से उन्हें अधिक फायदा हुआ। रिले क्रॉपिंग का मतलब यह हुआ कि आप एक के बाद एक फसलों को उगा सकते हैं और उनसे पैसे कमा सकते हैं। उन्होंने भी सिंघाड़े की खेती के बाद उससे पानी को बाहर निकाल दिया और उसमें सब्जियों की खेती कर दी। अपने खेतों में उन्होंने मेथी मिर्च करेला जैसी और भी कई सब्जियों को लगाया और उससे लगभग 4 लाख का मुनाफा भी उन्हें हुआ।
एक ही खेत में 2 सालों तक अलग-अलग सब्जियों को उगाया
उसके बाद उन्होंने अपनी एक एकड़ भूमि में चावल की पूसा 1507 क़िस्म को लगाया। इसके लिए उन्होंने जैविक उर्वरक का निर्माण किया था। इसी वज़ह से 1 एकड़ में लगभग 750 किलोग्राम चावल का उत्पादन हुआ। वह बार-बार इसी 1 एकड़ ज़मीन में खेती करते और उसके जो भी एग्रो-वेस्ट रह जाते उन्हें मिट्टी में मिल जाने देते थे। जिससे मिट्टी की उर्वरा क्षमता बनी रहे और इसीलिए उनके खेतों में अधिक पैदावार होने लगी। इसी तरह उन्होंने लगभग 2 सालों तक वहाँ अलग-अलग सब्जियों को उगाया।
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300 क्विंटल सब्जियों की बिक्री करते हैं
अपनी खेती को लेकर सेठ पाल सिंह ने यह बताया कि उन्होंने कभी अपने खेतों में पराली को नहीं जलाया है और ना ही अपने खेतों की कभी जुताई की है। इसके बावजूद भी उनके खेतों में इतनी पोषक तत्व मौजूद हैं कि पैदावार अच्छी होती है। उन्होंने अपने खेतों में सिर्फ़ सब्जियाँ ही नहीं बल्कि 160 आम और 122 अमरूद के भी पेड़ भी लगाया है। उनके खेतों के फलों की बिक्री लगभग 300 क्विंटल तक हो जाती है। कई राज्यों जैसे, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में उनके फलों की बिक्री होती है।
मछली पालन भी कर रहे हैं
कई प्रतिभाओं के धनी सेठ पाल सिंह ने सिर्फ़ खेती ही नहीं बल्कि कुछ जगह में तालाब का निर्माण कर मत्स्य पालन के काम की भी शुरुआत की है। उन्होंने अपने तालाब के आसपास आड़ू, लीची और केले जैसे फलों के पौधे भी लगाए हैं ताकि वहाँ ठंडक बनी रहे।
वर्तमान समय में सेठ पाल जी सभी किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं जो किसान खेती में कुछ अच्छा कर ज़्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं। सेठ पाल जी ने किसानों के लिए अपना एक नंबर भी जारी किया है जिससे किसान उनसे खेती की जानकारीयाँ हासिल कर सकते हैं। उनका नंबर है:-9012911278.
इतने सारे कामों को सेठ पाल जी को करते देख लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। लोग इनसे काफ़ी कुछ सीख रहे हैं।