HomeGARDENINGभारत में पहली बार हो रही हींग की खेती, जानिए हींग के...

भारत में पहली बार हो रही हींग की खेती, जानिए हींग के बनाने की प्रक्रिया, कैसे यह हमारे किचन तक पहुँचती है?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में दुनिया के 40 से 50% हींग की खपत होने के बाद भी यहाँ पर हींग की खेती नहीं होती। लेकिन कुछ दिनों पहले ख़बर आई की CSIR और IHBT पालमपुर ने देश में पहली बार लाहौल-स्पीति के एक गाँव कवारिंग में हींग की खेती की शुरुआत की है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको हींग के बारे में और भी बहुत सारे महत्त्वपूर्ण तथ्य बताएंगे….

जानिए कि आख़िर हींग क्या है?

Heeng
TOI

हर घर के किचन में मौजूद रहने वाला हींग देखने में छोटे-छोटे कंकड़ की तरह नज़र आता है। जो सौंफ के ही एक प्रजाति के पौधे से तैयार किया जाता है। देखने में इस पौधे की ऊंचाई एक से डेढ़ मीटर तक होती है। वैसे तो हींग एक ईरानी पौधा है, लेकिन इसकी खेती भूमध्य सागर क्षेत्र से लेकर मध्य एशिया तक की जाती है। इसे भारत में कई नामों से जाना जाता है जैसे-हिंगु, हींगर, यांग, इंगुआ इत्यादि।

खाना बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली हींग मुख्यतः दो प्रकार की होती है

पहली काबूली सुफाइद (दुधिया सफेद हींग) और दूसरी हींग लाल। सफ़ेद हींग जो होती है वह आसानी से पानी में घुल जाती है, जबकि लाल या काली हींग पानी में नहीं घुलकर तेल में घुलती है। हींग की गंध बहुत तेज होती है क्योंकि इसमें सल्फर की मात्रा पाई जाती है। बाजार में कई तरह से हींग उपलब्ध होते हैं जैसे- ‘टियर्स’ यानी पतले, ‘मास’ यानी ठोस और ‘पेस्ट’ यानी पाउडर के रूप में।

ऐसे तैयार किया जाता है हींग

Heeng
gardeningknowhow

हींग को तैयार करना इतना भी आसान नहीं होता जितनी आसानी से यह हमारे किचन में उपलब्ध हो जाता है। इसे फेरुला एसाफोइटीडा नाम के पौधे की जड़ से रस निकाल कर एक कठिन प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है। जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान, कजाखस्तान, उजबेकिस्तान और ईरान के ठंडे शुष्क पहाड़ों पर पाया जाता है।

हींग को तैयार करना है इतना भी आसान नहीं होता जितनी आसानी से यह हमारे किचन में उपलब्ध हो जाता है। इसे फेरुला एसाफोइटीडा नाम के पौधे की जड़ से रस निकाल कर एक कठिन प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है। जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान, कजाखस्तान, उजबेकिस्तान और ईरान के ठंडे शुष्क पहाड़ों पर पाया जाता है।

कम उत्पादन है इसकी महंगाई का कारण

Heeng
financialexpress

हींग बनाने की प्रक्रिया और इसकी खेती भारत में ना होने और मांग ज़्यादा होने के कारण ही यह हमें महंगे दामों में खरीदना पड़ता है। दरअसल, फेरुला एसाफोइटीडा का हर पौधा सिर्फ़ 500 ग्राम ही हींग रेजिन पैदा करता है और इसमें भी करीब 4 साल लग जाते हैं। जबकि बाज़ार में इसकी खपत भी बहुत अधिक है।

एक अनुमान के अनुसार भारत में हर साल करीब 1, 200 टन हींग, 600 करोड़ रुपये ख़र्च कर आयात करता है। इसलिए बाज़ार में इसकी क़ीमत अधिक है। हींग की ज़्यादा खपत सिर्फ़ भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका, यूके, कनाडा, मलेशिया, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और जापान देशों में भी है। इस तरह अगर हींग की खेती भारत में शुरू होती है तो यह भारत के लिए बहुत अच्छी बात होगी और लोगों को भी सस्ते क़ीमत पर उपलब्ध हो पाएगी।

आयुर्वेद में भी है हींग के फायदे

Heeng
financialexpress

भारत में हींग का प्रयोग कुछ सालों से नहीं बल्कि कई ईसा पूर्व से ही हो रहा है जिसका ज़िक्र आयुर्वेद के चरक संहिता में भी मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार भी हींग बहुत लाभकारी होता है खाने के स्वाद के साथ-साथ यह हमारे शरीर के पाचन शक्ति, काली खांसी, गले में खराश, हिस्टीरिया, शारीरिक थकान में भी सहायक होता है।

हींग का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा मात्रा में नहीं बल्कि बहुत ही सीमित मात्रा में करनी चाहिए और यह भी याद रखें कि इसे इस्तेमाल करने से पहले हमें घी में पका ले। वरना कच्ची हींग का इस्तेमाल करना आपके लिए समस्याएँ खड़ी कर सकती है।

इस प्रकार भारत अगर हींग की खेती करने में सफल रहता है तो भारत का नाम भी एक हींग उत्पादक देशों में गिना जाएगा और इसके आयात का ख़र्च भी बच जाएगा।

यह भी पढ़ें
News Desk
News Desk
तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

Most Popular