Rare Rugda Mushroom : हमारे देश में खाने पीने के शौकीन लोगों की कोई कमी नहीं है, इसलिए तो यहाँ वेज से लेकर नॉनवेज तक हर प्रकार का फूड आइटम बाज़ार में लॉन्च होते ही पॉपुलर हो जाता है। ऐसे में बाज़ार में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली डिशज़ में मटन, चिकन, चाप और मशरूम का नाम टॉप पर रहता है।
आमतौर पर मशरूम की गिनती शाकाहारी भोजन में की जाती है, जिसका इस्तेमाल करके अलग-अलग प्रकार की डिशज़ बनाई जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में मशरूम की एक ऐसी प्रजाति भी पाई जाती है, जिसका स्वाद बिल्कुल नॉनवेज की तरह होता है।
नॉनवेज के स्वाद वाला मशरूम (Rare Rugda Mushroom)
दुनिया भर में मशरूम की 2 हजार से ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से सिर्फ 283 प्रजातियों को भोजन के रूप में ग्रहण किया जा सकता है। इसके अलावा मशरूम की सभी प्रजातियाँ इंसान के स्वास्थ्य के हानिकारक होती हैं, जिसमें खास प्रकार का जहर और कैमिकल पाया जाता है।
शुरुआती दौर में मशरूम सिर्फ जंगलों में उगते थे, लेकिन बीतते समय के साथ मशरूम की मांग बढ़ने लगी और किसानों ने घर पर इसकी खेती शुरू कर दिया। ऐसे में आज हम आपको मशरूम की उस प्रजाति से अवगत करवाने वाले हैं, जिसका स्वाद बिल्कुल नॉनवेज की तरह होता है।
इसे रुगड़ा मशरूम (Rugda Mushroom) के नाम से जाना जाता है, जो सिर्फ जंगलों में प्राकृतिक तरीके से ही उगता है और इंसान अब तक इस मशरूम की खेती करने का सही तरीका नहीं खोज पाया है। झारखंड के घने जंगलों में साल, महुआ और बांस के पेड़ों के नीचे तने के पास उगने वाला रुगड़ा मशरूम स्थानीय लोगों की कमाई का मुख्य जरिया है।
झारखंड के लोगों की कमाई का है मुख्य जरिया
झारखंड की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आता है, जो अपना जीवन यापन करने के लिए जंगलों में पैदा होने वाली वनस्पति पर निर्भर होते हैं। इन्हीं जंगलों में पेड़ों के तने के आसपास रुगड़ा मशरूम (Rugda Mushroom) उगता है, लेकिन यह मशरूम जमीन के ऊपर नहीं बल्कि मिट्टी के अंदर विकसित होता है।
यही वजह है कि इस प्रजाति के मशरूम को दुर्लभ माना जाता है, जिसे मिट्टी के खोदकर निकालने में काफी ज्यादा मेहतन लगती है। झारखंड के स्थानीय लोग रुगड़ा मशरूम को शाकाहारी मटन कहते हैं, जो पूरे साल भर में सिर्फ एक बार बरसात के मौसम में ही उगता है।
ऐसे में इस शाकाहारी मटन की कीमत का ज्यादा होना लाजिमी है, जिसे ढूँढने के लिए आदिवासी समुदाय के लोग झुंड बनाकर जंगल में जाते हैं और फिर पेड़ों के आसपास की मिट्टी को खोदकर रुगड़ा मशरूम (Rugda Mushroom) को बाहर निकालते हैं। इस मशरूम का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाई बनाने के लिए भी किया जाता है।
सेहत के लिए लाभदायक होता है रुगड़ा मशरूम
रुगड़ा मशरूम (Rugda Mushroom) न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होता है, बल्कि इसमें प्रोटीम और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इस मशरूम का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है, जबकि ब्लड प्रेशर, शुगर और दिल के मरीजों के लिए रुगड़ा मशरूम काफी फायदेमंद साबित होता है।
रुगड़ा मशरूम (Rugda Mushroom) को बाज़ार में 10 हजार से 15 हजार रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता है, जबकि कुछ इलाकों में इसकी कीमत 20 से 25 हजार रुपए प्रति किलोग्राम भी होती है। यह एक दुर्लभ मशरूम है, जिसे खाने से ज्यादा दवाईयाँ बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसलिए ज्यादातर लोग रुगड़ा मशरूम के बारे में नहीं जानते हैं।
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