Guard Kamal Kishore Mandal become Assistant Professor: कहते हैं कि अगर इंसान अपने मन में कुछ ठान ले, तो वह मुश्किल से मुश्किल वक्त को पार करके भी सफलता प्राप्त कर ही लेता है। ऐसे में बिहार के रहने वाले कमल किशोर मंडल ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिसके बारे जानकर हर युवा प्रेरित हो सकता है।
दरअसल 42 वर्षीय कमल किशोर मंडल (Kamal Kishore Mandal) विश्वविद्यालय में अस्सिटेंड प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं, लेकिन कमल हमेशा से यह नौकरी नहीं करते थे। बल्कि वह जिस कॉलेज में बतौर प्रोफेसर बच्चों को पढ़ाते हैं, उसी कॉलेज में कभी गार्ड की नौकरी किया करते थे।
कॉलेज के गार्ड से प्रोफेसर बने कमल किशोर
बिहार के भागलपुल जिले के मुंडीचल इलाके से ताल्लुक रखने वाले कमल किशोर मंडल (Kamal Kishore Mandal) एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें बचपन से ही पढ़ाई लिखाई का काफी शौक था। ऐसे में साल 2003 में कमल किशोर मंडल आरडी एंड डीजे कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे। इसे भी पढ़ें – गुजरात के इस सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूल की तरह होती है पढ़ाई, प्रिंसिपल खुद करते हैं साफ-सफाई
लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से कमल किशोर को कॉलेज की फीस भरने और रहने खाने की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था, लिहाजा उन्होंने अपने ही कॉलेज में नाइट गार्ड के रूप में नैकरी शुरू कर दी थी।
कमल किशोर ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए गार्ड की नौकरी करने का मन बनाया था, लेकिन उनकी जिंदगी में संघर्ष कम नहीं हुआ था। गार्ड की नौकरी शुरू करने के 1 महीने बाद ही उनका ट्रांसफर तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंबेडकर विचार और सामाजिक कार्य विभाग में हो गया था, जिसकी वजह से वह अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाए।
ऐसे में साल 2008 में उन्हें गार्ड के पद से हटाकर चपरासी की नौकरी दे दी गई, जिसकी वजह से कमल किशोर मंडल कॉलेज में छात्रों के बीच ज्यादा समय बिताने लगे थे और इसी दौरान उनके मन में दोबारा से पढ़ाई शुरू करने का विचार आया। इसके बादर कमल किशोर ने अपने विभाग से पढ़ाई की अनुमित मांगी और एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2013 में पीएचडी में एडमिशन ले लिया था। इसे भी पढ़ें – भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान के नाम पर बन रही है सड़क, उसी में दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं माता-पिता
कमल किशोर ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर साल 2017 में पीएचडी पूरी करने में सफलता हासिल कर दी थी, जिसके बाद साल 2019 में उन्हें पीएचडी की डिग्री से सम्मानित किया गया था। इसी बीच कमल किशोर ने नेट की परीक्षा भी पास कर ली थी, जिसके बाद साल 2020 में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोन ने टीएमबीयू में चार सहायक प्रोफेसर पदों की रिक्ति का विज्ञापन दिया था।
इन पदों को प्राप्त करने के लिए 12 उम्मीदवारों ने इंटरव्यू दिया था, जिसके बाद साल 2022 में इंटरव्यू का नतीजा सामने आया और कमल किशोर मंडल को असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चुन लिया गया था। इस तरह कमल किशोर मंडल ने जिस कॉलेज में गार्ड की नौकरी की थी, उन्हें वहीं पर प्रोफेसर का जॉब मिल गया।
पिता बेचते थे सड़क किनारे चाय
कमल किशोर (Kamal Kishore Mandal) का जीवन बचपन से ही संघर्षों से भरा हुआ था, जबकि उनके पिता गोपाल मंडल परिवार का खर्च चलाने के लिए सड़क किनारे चाय का स्टॉल लगाते थे। ऐसे में कमल किशोर मंडल भी कभी-कभी अपने पिता की स्टॉल पर मदद करते थे।
प्रोफेसर कमल किशोर मंडल (Professor Kamal Kishore Mandal) का जीवन उन सभी युवाओं को प्रेरित करता है, जो आर्थिक तंगी और परेशानियों की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। शिक्षा एक ऐसा हथियार है, जिसके दम पर ऊंचे से ऊंचे मुकाम तक पहुँचा जा सकता है और कमल किशोर मंडल ने यह साबित कर दिखाया है। इसे भी पढ़ें – राजस्थान की भगवती देवी ने डूबने नहीं दिया अपना ‘चांद’, किडनी देकर बचाया अपना सुहाग