Engineer Chai Wala : चाय की अहमियत हम भारतीयों से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता है, जिनकी सुबह की शुरुआत चाय की चुस्कियों के साथ होती है। ऐसे में भारत की सड़कों पर चाय की दुकान या टपरी बहुत ही आसानी से देखने को मिल जाती है, जबकि देश में टी लवर्स की भी कोई कमी नहीं है।
लेकिन क्या आपने कभी इंजीनियर के हाथों बनी चाय का लुफ्त उठाया है, जिनसे अच्छी खासी नौकरी छोड़कर चाय बेचना शुरू कर दिया है। चाय बेचने वाले इस जुनूनी शख्स की कहानी जानने के बाद यकीनन आप भी हैरान रह जाएंगे, जिसने चाय बेचकर अपनी मेहनत के दम पर 7 कैफे खोल लिये हैं।
इंजीनियर बना चायवाला (Engineer Chai Wala)
अब तक आपने प्रधानमंत्री मोदी के चाय बेचने वाले किस्सों के बारे में सुना होगा, जिन्होंने अपने बचपन में रेलवे प्लेटफॉर्म पर चाय बेचने का काम किया था। आज प्रधानमंत्री मोदी के नक्शे कदमों पर चलते हुए कई युवा चाय की दुकान और टपरी खोलकर अपना बिजनेस चला रहे हैं, जिसमें अब एक इंजीनियर का नाम भी शामिल हो गया है। इसे भी पढ़ें – MBA में फेल होने पर प्रफुल्ल ने “MBA चायवाला” नाम से चाय की स्टॉल खोल ली, आज 3 करोड़ का है टर्नओवर
महाराष्ट्र के रहने वाले गणेश ने अपनी मेहनत के दम पर आईआईटी में सीट हासिल की थी, जहाँ उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। इसके बाद गणेश को एक कंपनी में नौकरी मिल गई थी, जहाँ उन्हें शुरुआत में 8 हजार रुपए सैलेरी मिलती थी।
हालांकि कुछ दिन नौकरी करने के बाद गणेश को एहसास हुआ कि उन्हें इंजीनियरिंग के फील्ड में करियर नहीं बनाना है, लिहाजा उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया। 24 वर्षीय गणेश ने इंजीनियरिंग की जॉब छोड़कर पैसे कमाने का एक नया तरीका खोज लिया था, जिसके तहत उन्होंने चाय की एक छोटी की दुकान खोल ली।
परिवार और रिश्तेदारों ने दिए ताने
लेकिन गणेश की चाय की दुकान की कोई आम दुकान नहीं थी, बल्कि उन्होंने अपने टैलेंट के दम पर दुकान को एक शानदार चाय कैफे में तब्दील कर दिया था। दरअसल गणेश को बचपन से ही चाय बनाने और बेचने का शौक था, लेकिन बड़े होने पर उन्हें करियर के तौर पर इंजीनियरिंग का चुनाव करना पड़ा था।
हालांकि गणेश को जल्द ही समझ आ गया कि उन्हें अपने बचपन के शौक को पूरा करना चाहिए, लिहाजा इसके चलते उन्हें अपने परिवार वालों का विरोध भी झेलना पड़ा था। गणेश ने जब इंजीनियरिंग छोड़कर चाय का कैफे शुरू करने का आइडिया परिवार वालों के साथ शेयर किया, तो उनके इस फैसले में किसी ने उनका साथ नहीं दिया था।
गणेश के पिता किराने की दुकान चलाते है, लिहाजा वह चाहते थे कि उनका बेटा गणेश पढ़ाई लिखाई करके एक अच्छी कंपनी व पोस्ट पर नौकरी करे। इसके लिए उन्होंने गणेश की पढ़ाई पर काफी सारे पैसे भी खर्च किए थे, लेकिन जब गणेश ने चाय की दुकान खोलने का फैसला किया तो उनके पिता को काफी दुख हुआ था।
इतना ही नहीं गणेश के रिश्तेदारों ने भी उन्हें ताने सुनाए थे, उनका कहना था कि जब चाय की दुकान खोलनी थी तो इतनी पढ़ाई लिखाई करने का क्या फायदा हुआ। लेकिन गणेश तय कर चुके थे कि उन्हें अपने करियर में क्या करना है, लिहाजा उन्होंने सबकी बातों को अनसुना कर दिया। इसे भी पढ़ें – चाय पीने के बाद खा सकते हैं कप, इस अनोखे Tea Startup के बारे में जानकर खुश हो जाएगा आपका दिल
3 साल में शुरू किए 7 टी कैफे
गणेश ने अपने दम पर चाय की दुकान खोली और उसके इंटीरियर पर खास ध्यान देकर उसे एक कैफे में तब्दील कर दिया, इस दौरान गणेश ने लगभग एक साल तक अपने परिवार को दुकान के बारे में कुछ भी नहीं बताया था। गणेश चाहते थे कि जब उनका कैफे अच्छा चलने लगेगा और उन्हें बिजनेस में मुनाफा होगा, तो वह यह बात अपने परिवार के साथ शेयर करेंगे।
जब गणेश ने चाय बेचना शुरू किया था, तो वह सिर्फ मसाला चाय ही बनाते थे। लेकिन जैसे-जैसे उनका बिजनेस आगे बढ़ा, उन्होंने आठ अलग-अलग फ्लेवर्स वाली चाय बनाना और बेचना शुरू कर दिया था। गणेश के चाय मेकर्स आउटलेट पर आम, स्ट्रॉबेरी, गुलाब, केला, हॉट चॉकलेट समेत नॉर्लम मसाला चाय मिलती हैं, जिसका स्वाद लोगों को काफी ज्यादा पसंद आता है।
गणेश के चाय बेचने का तरीका बिल्कुल अलग है, क्योंकि वह फ्लेवर्स वाले टी बैग को तैयार करते हैं। ऐसे में ग्राहक को जिस फ्लेवर की चाय चाहिए होती है, गणेश उसे उस फ्लेवर का टी बैग दे देते हैं जिसे गर्म पानी और दूध में डुबोकर आसानी से चाय के रूप में तैयार किया जा सकता है।
इतना ही नहीं इन टी बैग्स को खरीद कर घर पर भी अलग-अलग फ्लेवर्स की चाय बनाई जा सकती है, जिसकी वजह से गणेश को इस व्यापार में काफी मुनाफा हो रहा है और उन्हें 3 साल के अंदर 7 अलग-अलग टी आउटलेट खोल लिए हैं। इतना ही नहीं गणेश का कहना है कि जल्द ही उनके आउटलेट पर 20 अलग-अलग फ्लेवर्स की चाय मिलेगी, जिसके ऊपर वह अभी काम कर रहे हैं। इसे भी पढ़ें – ‘बेवफा चाय वाला’ के बाद अब मशहूर हो रहा है ‘MBA फेल कचौड़ी वाला’, बेहद दिलचस्प है स्टार्टअप स्टोरी