Farmer Success Story: भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ आधी से ज्यादा आबादी खेती के उत्पादन पर निर्भर करती है। हालांकि इसके बावजूद भी कई लोग गाँव में अपने खेत छोड़कर शहरों में नौकरी करने के लिए आ जाते हैं, लेकिन जब उन लोगों को एहसास होता है कि खेती किसानी ही कमाई का अच्छा विकल्प है तो वह वापस गाँव लौटकर आ जाते हैं।
ऐसा ही कुछ किया था उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में रहने वाले भंवरपाल सिंह ने, जिन्होंने कड़ी मेहनत करके वकालत की पढ़ाई पूरी की थी। लेकिन भंवरपाल सिंह को अचानक गाँव लौटना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने वकालत छोड़ दी और गाँव में ही आलू की खेती करने लगे थे।
वकालत छोड़कर शुरू की आलू की खेती
उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरसौल ब्लॉक के अंदर महुवा नामक एक छोटा-सा गाँव मौजूद है, जहाँ रहने वाले भंवर पाल सिंह (Bhanwar Pal Singh) ने वकालत की पढ़ाई की थी। इसके बाद वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर वकील काम करते थे, लेकिन साल 2000 में भंवरपाल सिंह के माता-पिता का अचानक निधन हो गया जिसकी वजह से उन्हें गाँव लौटना पड़ा था। इसे भी पढ़ें – दुबई की अच्छी नौकरी छोड़कर शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, कमा रहे 7 लाख रुपए
भंवरपाल सिंह यह सोचकर गाँव नहीं आए थे कि उन्हें खेती बाड़ी करनी है, लेकिन माता-पिता की मृत्यु के बाद जब उन्होंने कुछ वक्त गाँव में गुजारा तो उनका मन बदल गया। इसके बाद भंवरपाल सिंह ने अपनी 22 एकड़ जमीन में आलू की खेती शुरू कर दी, क्योंकि उस वक्त मार्केट में आलू की मांग काफी ज्यादा थी।
इतना ही नहीं भंवरपाल सिंह ने गाँव में 100 एकड़ जमीन अलग से किराए पर ली और उसमें भी आलू की खेती शुरू कर दी, जिसकी वजह से उन्होंने एक एकड़ जमीन में 400 से 500 क्विंटल आलू का उत्पादन करने में सफलता हासिल कर ली। इस तरह भंवरपाल सिंह ने प्रति हेक्टेयर एक से डेढ़ लाख रुपए का मुनाफा कमाया, जबकि उनकी सालाना कमाई 1 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर गई।
आलू की खेती में मुनाफा कमाने के बाद भंवरपाल सिंह ने फिर कभी इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ रूख नहीं किया और हमेशा-हमेशा के लिए वकालत छोड़ दी, जिसके बाद वह अपने गाँव में आलू की खेती करने के लिए मशहूर हो गए थे। वर्तमान में भंवरपाल सिंह आलू की खेती करने के साथ-साथ उसके बीजों के सबसे बड़े उत्पादक भी माने जाते हैं, जिनकी पहचान पूरे उत्तर प्रदेश में है।
इतना ही नहीं भंवरपाल सिंह कई राज्यों में आलू के बीजों का निर्यात भी करते हैं, जिससे उन्हें अच्छी खासी कमाई हो जाती है। वह विभिन्न प्रकार के आलू और उसके बीजों का उत्पादन करते हैं, जिसमें कुफरी ज्योति, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी सुखाती, कुफरी नीलकंठो, कुफरी संगम और कुफरी फ्राई सोना जैसी वैराइटी शामिल है।
प्रधानमंत्री मोदी दे चुके हैं अवॉर्ड
वकालत की पढ़ाई करने वाले भंवरपाल सिंह ने शायद ही कभी सपने में सोचा होगा कि उन्हें खेती के क्षेत्र में भारत के प्रधानमंभी नरेंद्र मोदी से अवॉर्ड मिलेगा, लेकिन ऐसा सच में हुआ। साल 2013 में पीएम मोदी ने भंवरपाल सिंह को गुजरात वैश्विक कृषि समिट में अवार्ड से सम्मानित किया था, जबकि साल 2020 में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्लोबल पोटेटो कॉन्क्लेव में सर्वश्रेष्ठ आलू उत्पादन के लिए भंवरपाल सिंह को अवॉर्ड दिया था।
इतना ही नहीं भंवरपाल सिंह को आलू और उसके बीज के उत्पादन को लेकर कई बार सम्मानित किया जा चुका है, जिसकी वजह से उन्हें उत्तर प्रदेश के अलावा विभिन्न राज्यों में भी बेहतरीन किसान के रूप में जाना जाता है, जबकि भंवरपाल सिंह आलू का उत्पादन करके सालाना करोड़ों रुपए का मुनाफा भी कमा रहे हैं। इसे भी पढ़ें – शिमला मिर्च की खेती से बदल गई किसान की किस्मत, हर साल कमाता है 1 करोड़ रुपए का मुनाफा