Keyboard Facts: आज के आधुनिक समय में कंप्यूटर और लैपटॉप का इस्तेमाल करना बहुत ही आम बात हो गई है, जिसकी वजह से लगभग हर घर में यह स्मार्ट इलेक्ट्रिक आइटम देखने को मिल जाता है। ऐसे में अगर आपने कभी कंप्यूटर या लैपटॉप के की-बोर्ड को ध्यान से देखा हो, तो आपने यह नोटिस किया होगा कि उसमें मौजूद लेटर्स एल्फाबेट की सही फॉर्म में नहीं होते हैं।
इसी वजह से कंप्यूटर या लैपटॉप चलाने से पहले व्यक्ति को टाइपिंग सीखना जरूरी है, ताकि उसे की-बोर्ड पर लिखा हर लेटर अच्छी तरह से याद हो जाए और उसे काम करने में परेशानी का सामना न करना पड़े। लेकिन यहाँ सवाल खड़ा होता है कि आखिर की-बोर्ड पर मौजूद लेटर्स सही पैटर्न में क्यों नहीं होते हैं और उन्हें Qwerty पैटर्न में लिखे जाने के पीछे क्या वजह है।
टाइपराइट से मिला Qwerty पैटर्न
कंप्यूटर या लैपटॉप के आविष्कार से पहले किसी भी पत्र, लेख या किताब को लिखने के लिए टाइपराइटर का इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें अंग्रेजी के सभी लेटर्स एल्फाबेटिकल फॉर्म में लिखे हुए होते थे। ऐसे में सभी लेटर्स के एक लाइन में होने की वजह से किसी भी व्यक्ति को टाइपिंग सीखने जरूरत नहीं पड़ती थी, जबकि उस व्यक्ति की टाइपिंग स्पीड भी काफी ज्यादा होती थी। इसे भी पढ़ें – आलू-प्याज बेचने वाले की बेटियाँ बनी मिसाल, सगी बहनें एक साथ दारोगा बन कर बढ़ा दिया पिता का मान
ऐसे में टाइपिंग स्पीड बहुत तेज होने की वजह से अक्सर टाइपराइटर के बटन जाम हो जाते थे, क्योंकि प्रोफेशनल टाइपर्स जल्दी-जल्दी लिखने के चक्कर में बटन को बहुत तेजी के साथ प्रेस करते थे। उस स्थिति में टाइपराइट खराब हो जाता था और उनके बटन बदलने में काफी पैसा खर्च होता था, जिसकी वजह से लेटर्स के पैटर्न को बदलने के आइडिया पर काम किया गया।
टाइपिंग स्पीड कम करता है Qwerty फॉर्म
इसके बाद टाइपराइट के सभी लेटर्स को Qwerty फॉर्म में सेट किया जाने लगा, जिसकी वजह से टाइपिंग करने वाले लोगों को लेटर्स को याद करने में समय लगता था और इसकी वजह से उनकी टाइपिंग स्पीड अपने आप कम हो जाती थी। इस तरह Qwerty फॉर्म का आविष्कार हुआ, जिसने की-बोर्ड के बटनों को लंबे समय तक ठीक रखने में अहम भूमिका निभाई।
इसके बाद जब बाज़ार में कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे प्रोडक्ट्स आए, तो उनके की-बोर्ड में ही अंग्रेजी के लेटर्स को एल्फाबेटिकल रखने के बजाय Qwerty फॉर्म में ही रखा गया था। इसकी वजह से टाइपिंग स्पीड सामान्य से कम हो जाती है, जबकि की-बोर्ड और उसके बटन के खराब होने का खतरा भी न के बराबर रहता है।
इसी कॉसेप्ट को बाद में मोबाइल फोन के की-बोर्ड में भी लागू कर दिया गया था, जिसकी वजह से मोबाइल फोन में ही Qwerty फॉर्म में लेटर्स लिखे हुए होते हैं। की-बोर्ड में लेटर्स का ऊपर नीचे होना अब एक चलन बन चुका है, जिसकी वजह से अगर अब की-बोर्ड में सीधे एल्फाबेट्स लिखे जाएंगे तो शायद यूजर्स को इससे परेशानी होगी। इसे भी पढ़ें – MDH का नया विज्ञापन, मसाला किंग धर्मपाल गुलाटी की जगह दिखाई देगा नया चेहरा