Indian Railways: भारत में ट्रेन को लाइफ लाइन माना जाता है, जिसके जरिए रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं। ऐसे में भारतीय रेलवे विभाग ने यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ट्रेन में अलग-अलग कोच बनाए हैं, ताकि लंबी दूरी का सफर तय करने में आसानी हो सके।
ऐसे में गर्मी के मौसम में तेज तापमान से राहत पाने के लिए ट्रेन में एसी कोच की सुविधा उपलब्ध होती है, जिसमें एक एसी कोच (AC Coach) में लगभग 70 से 72 लोग यात्रा कर सकते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ट्रेन के कोच में लगा एयर कंडीनशर कितने टन का होता है और कैसे काम करता है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं इस सवाल का मजेदार जवाब।
ट्रेन में लगा AC कितने टन का होता है? (How many tons of AC is used in train coaches?)
भारत में लंबे समय से एसी कोच (AC Coach) का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बनाने का फॉर्मूला भी बीतते वक्त के साथ बदलता रहा है। जहाँ शुरुआती दौर में एसी कोच को अलग तरीके से बनाया जाता था, वहीं आज की हाई स्पीड ट्रेनों के लिए दूसरे फॉर्मूला का उपयोग करके एयर कंडीनशर कोच तैयार किए जाते हैं।
भारत में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा कोच तैयार करने वाली कंपनी है, जो तमिलनाडु के चेन्नई शहर में स्थित है। इस फैक्ट्री में तैयार किए जाने वाले फर्स्ट एसी कोच में 6.7 टन की यूनिट वाला एयर कंडीशनर लगाया जाता है। ये भी पढ़ें – हरे रंग के कपड़े से क्यों ढकी जाती है निर्माणाधीन बिल्डिंग, जानिए इसके पीछे की वजह
वहीं सेकंड एसी कोच में 5.2 टन की दो यूनिट वाली क्षमता का एयर कंडीशनर होता है, जबकि थर्ड एसी कोच में 7 टन की दो यूनिट लगाई जाती है। इसके अलावा एसी चेयर कार में 6.6 टन की दो यूनिट लगाई जाती है, जिसकी वजह से यात्री गर्मी के मौसम में एयर कंडीशनर की ठंडी हवा में सफर करने का लुफ्त उठा पाते हैं।
नई तकनीक से भी बनाए जाते हैं एसी कोच
हालांकि अब रेलवे में नई तकनीक से बनाए जाने वाले एसी कोच का चलन तेजी से बढ़ रही है, जिसे लिंक हॉफमैन बुश (LHB) कोच के नाम से जाना जाता है। इसी कोच की वजह से ट्रेन की स्पीड भी बढ़ गई है, जबकि एयर कंडीशनर के काम की क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। इस एसी कोच में 7 टन की क्षमता वाले दो एयर कंडीशनर लगे होते हैं, यानी ट्रेन के हर एसी कोच में 14 टन का एसी लगा होता है।
इसके अलावा डबल डेकर LHB कोच में 10 टन के दो एसी लगाए जाते हैं, यानी एक कोच में 20 टन वाला एयर कंडीशनर लगा होता है। यही वजह है कि नई तकनीक से बने एसी कोच में अच्छी ठंडक का एहसास होता है, जबकि ट्रेन की रफ्तार भी तेज होती है।
ऐसे में अगर आप भारतीय रेलवे (Indian RAilway) के नई और पुरानी तकनीक से तैयार होने वाले एसी कोच में सफर करते हैं, तो आपको दोनों के बीच अंतर महसूस हो जाएगा। आधुनिक तकनीक से बने एसी कोच तेज रफ्तार के साथ ज्यादा ठंडक भरे होते हैं, जबकि पुराने कोच में कम ठंडक के साथ-साथ ट्रेन की धीमी रफ्तार का एहसास होता है।
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