Story of Baba Amar Bharati – इंसान अगर कुछ करने की ठान ले, तो अपने आत्मविश्वास के दम पर उसे हासिल भी कर सकता है। हम आपके साथ ऐसी बहुत-सी प्रेरणादायक कहानियाँ शेयर कर चुके हैं, जिसमें इंसान के हौंसले और संघर्ष के आगे पूरी दुनिया को घुटने टेकने पड़े।
लेकिन आज हम आपको जिस व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, उनके आत्मविश्वास और मजबूत इरादों को जानने के बाद आपके भी होश उड़ जाएंगे। हम बात कर रहे हैं साधु महाराज अमर भारती (Amar Bharati) की, जिन्होंने पिछले 48 सालों से एक हाथ हवा में उठा रखा है। तो आइए जानते हैं इनकी अविश्वसनीय कहानी- Story of Amar Bharati
कौन हैं अमर भारती (Story of Amar Bharati)
अमर भारती (Amar Bharati) कौन हैं, यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब दे पाना हर किसी के लिए आसान नहीं है। इस शख्स को जो कोई भी जानता है, वह उन्हें अलग-अलग नामों से सम्बोधित करता है। अमर भारती को कोई साधु कहता है, तो कई लोग इन्हें अजीबो-गरीब व्यक्ति मानते हैं।अमर भारती असल में एक संन्यासी हैं, जिन्होंने पिछले 48 सालों से अपना एक हाथ हवा में उठा कर सभी को चौंका दिया है।
जहाँ एक तरफ किसी आम इंसान के लिए 10 मिनट भी अपने हाथ को हवा में रोके रखना मुमकिन नहीं है, वहीं अमर भारती ने साल 1973 से अपने एक हाथ को हवा में ही रोक कर रखा है। तब से लेकर अब तक 48 साल गुजर चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपना हाथ नीचे नहीं किया।
इसे अमर भारती की घोर तपस्या कहा जाए या फिर अटूट आत्माविश्वास, जिसके दम पर वह मानव शरीर को होने वाले दर्द से मुक्ति प्राप्त कर चुके हैं। हालांकि अमर भारती का जीवन शुरुआत से ही ऐसा नहीं था, बल्कि संन्यासी बनने से पहले वह भी आम जीवन जीते थे।
घर परिवार छोड़कर बन गए साधु
भारत में साधु संतों की संख्या सैकड़ों में है, जो सांसारिक मोह को त्याग कर घोर तपस्या और योग में डूब रहते हैं। हालांकि अमर भारती बचपन ही साधु नहीं थे और न ही उन्होंने कभी तपस्या करने के बारे में सोचा था, लेकिन उनके जीवन में ऐसा मोड़ आया कि वह संन्यासी ही बन गए।
संन्यासी रूप धारण करने से पहले अमर भारती एक सामान्य इंसान थे, जो एक प्राइवेट बैंक में नौकरी करते थे। उनकी शादी भी हुई थी और तीन बच्चे भी थे, सब कुछ बिल्कुल ठीक और सुखद चल रहा था। लेकिन अचानक अमर भारती का मन परिवार और सांसारिक मोह से उठने लगा, जिसके बाद उन्होंने सब कुछ त्याग देने का फैसला कर लिया।
अमर भारती ने वैराग्य का रास्ता अपनाने के लिए अपनी नौकरी, परिवार, दोस्त और रिश्तेदारों को छोड़ दिया, जिसके बाद वह धर्म की एक ऐसी राह पर चल पड़े जहाँ से उनका लौट पाना लगभग असंभव हो गया।
अमर भारती ने अपना आगे का पूरा जीवन भगवान शिव को समर्पित कर दिया और तपस्या व योग साधना में डूब गए। उन्होंने अपनी इच्छाओं और इंद्रियों को काबू करना शुरू कर दिया, ताकि वह साधु रूप में एक साधारण जीवन व्यतीत कर सके।
अपनी मानव इच्छाओं को काबू में करने के लिए अमर भारती ने एक हाथ को हवा में उठा कर रखना शुरू कर दिया, ताकि उनके मन में कामुक विचार न सके। हालांकि शुरुआत में इस काम को करते हुए उन्हें दर्द एहसास होता था, लेकिन आखिरकार उन्होंने अपनी इच्छाओं को आत्मविश्वास के बल पर हरा दिया।
आत्मविश्वास के दम पर काट दिए 48 साल
अमर भारती (Amar Bharati) ने साल 1973 में तपस्या के दौरान ही अपने एक हाथ को हवा में रोक दिया था, जिसकी वजह से उन्हें कुछ ही मिनटों बाद दर्द का एहसास होने लगा। हालांकि अमर भारती यह ठान चुके थे कि वह साधु का जीवन व्यतीत करेंगे, इसलिए उन्होंने काफी दर्द होने के बावजूद भी हाथ को नीचे नहीं किया।
इस तरह पहले कुछ घंटे बीते फिर यह घंटे, दिन, हफ्ते, महीने और साल में तब्दील होते चले गए, लेकिन अमर भारती का हाथ हवा से नीचे नहीं आया। अमर भारती ने लगभग 2 सालों तक हाथ को हवा में उठाए रखने का दर्द सहन किया, जिसके बाद उनका हाथ धीरे-धीरे सुन्न होने लगा।
अब नहीं होता है तकलीफ का एहसास
अमर भारती द्वारा हाथ को हवा में उठाए रखने के 2 साल बाद उनकी तकलीफें धीरे-धीरे कम होने लगी, क्योंकि उनका हाथ सुन्न हो चुका था और इसकी वजह से उन्हें दर्द का एहसास नहीं होता था। यहाँ तक कि अमर भारती का हाथ इस कदर अकड़ गया था कि उसे नीचे करने में उन्हें ज्यादा दर्द महसूस होता था।
इसी वजह से अमर भारती ने अपने हाथ को नीचे नहीं किया और हवा में ही उठाए रखा, जिसकी वजह से उनका हाथ हवा में ही ठहर गया। ऐसे में आज 48 साल गुजर जाने के बावजूद भी अमर भारती का हाथ हवा में ही मौजूद है, जिसे वह चाहकर भी नीचे नहीं कर सकते हैं।
भक्ति करने के साथ भावनाओं को किया काबू
इतने साल गुजर जाने की वजह से अमर भारती का हाथ काफी कमजोर और कुपोषित हो गया है, क्योंकि उसे पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाते हैं। लेकिन साधु बनने के लिए अमर भारती का अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना बेहद जरूरी था, जिसके लिए उन्होंने एक हाथ हवा में उठा लिया था।
इसके अलावा अमर भारती भगवान शिव की तपस्या करने के साथ-साथ समाज कल्याण के लिए भी कार्य करना चाहते थे, ताकि संसार में शांति बनी रहे और युद्ध जैसी भावनाओं को पूरी तरह से खत्म किया जा सके।
आज अमर भारती को पूरी दुनिया में पहचाना जाता है, जिसकी वजह है हवा में ठहरा हुआ उनका एक हाथ। अमर भारती की तरह कई लोगों ने अपने हाथ को हवा में रोकने की कोशिश की है, लेकिन अब तक कोई भी उनका रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाया है।
अमर भारती की कहानी (Story of Amar Bharati) जानने के बाद आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि अगर मनुष्य चाहे तो अपने आत्मविश्वास के बल पर न सिर्फ चुनौतियों को पार कर सकता है, बल्कि अपनी भावनाओं और इच्छाओं को नियंत्रित भी कर सकता है।