आज विज्ञान का जमाना है। विज्ञान हर दिन कुछ नई खोज कर देता है, जो हमारी कल्पना से भी परे होती है। जैसे कि विज्ञान ने कभी तार वाले फोनों की जगह मोबाइल फ़ोन का आविष्कार कर दिया था। हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब हम रेल, बस की यात्रा के दौरान भी अपने परिचितों से बात कर सकेंगे। लेकिन आज ये बेहद आसानी से संभव है।
आज भी हम आपको विज्ञान की एक ऐसी ही खोज के बारे में बताने जा रहे हैं। लेकिन उस तकनीक को जानने से पहले आप कल्पना कीजिए कि एक दिन आप देखें कि आपके घर के आसपास के सभी बिजली का खंभे गायब हो गए है। शायद आप तभी ये सोचेंगे कि अब तो पूरे शहर में ‘ब्लैक आऊट’ जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी। पानी, बिजली के बिना लोग हाहाकार मचा देंगे। तो ठहरिए जनाब! दरअसल वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक खोज ली है जिससे अब आपके घर आने वाली बिजली सप्लाई बिना तारों के भी संभव हो सकेगी। क्या है ये तकनीक और कैसे करेगी काम। सब कुछ आपको इस लेख में हम विस्तार से बताएंगे।
न्यूजीलैंड में शुरू हो चुका है इस तकनीक पर काम
आपको भले ही ये कहानी कोई काल्पनिक लगे। लेकिन न्यूजीलैंड (New Zealand) देश में इस तकनीक पर काम भी शुरू हो चुका है। दरअसल, न्यूजीलैंड की सरकार और एमरोड नाम की एक कंपनी इस तकनीक को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है। यदि ये समझौता ऐसे ही आगे जारी रहा तो संभव है कि इसी साल इस तकनीक पर ट्रायल भी कर लिया जाए। यदि यह ट्रायल सफल रहा तो बहुत जल्द आपको ये खुशखबरी मिल सकती है कि अब आपके घरों तक आने वाली बिजली बिना तारों के आएगी।
चल रही है ‘केस स्टडी’
इस तकनीक को लेकर न्यूजीलैंड में केस स्टडी की जा रही है। ताकि इसे सफल बनाया जा सके। इस तरह के पायलट प्रोग्राम के हक़ीक़त की ज़मीन पर उतारने के लिए न्यूजीलैंड की दूसरी सबसे बड़ी बिजली वितरक कंपनी पॉवरको इसी साल स्टार्टअप कंपनी एमरोड की तकनीक का परीक्षण शुरू करेगी। इसके बाद इसके नतीजों का परीक्षण किया जाएगा कि क्या ये तकनीक लोगों को मददगार सिद्ध होगी।
इस तकनीक के जरिए होगा संभव
बिना तार के बिजली पहुँचाने की तकनीक ठीक फ़ोन का टावरों की तर्ज पर होगी। जिसके लिए कंपनी ने शुरुआत में 130 फुट का छोटा-सा एरिया इसके लिए उपयोग में लिया है। इस एरिया में प्रोटोटाइप वायरलेस एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर तैनात करने की बात हुई है। इसे सच करने के लिए कंपनी ने एमरोड ने रेक्टिफाइड एंटीना को विकसित किया है। जिसका नाम रेक्टिना दिया गया है।
माना जा रहा है कि इस एंटीना के जरिए जो बिजली जाएगी उसे माइक्रोवेव आसानी से पकड़ सकता है। जिससे एक तरह से बिना तार वाली बिजली से उपकरण चलाना संभव हो जाएगा। आपको बता दें कि इस तरह की तकनीक न्यूजीलैंड के पहाड़ी इलाकों में बेहद कारगर सिद्ध होगी।
उर्जा के क्षेत्र में आ जाएगी क्रांति
एमरोड के संस्थापक ग्रेग कुशनिर कहते हैं कि इस तरह के पावर ट्रांसमिशन की वायरलेस (wireless Power Transmission) सुविधा पहले ही विकसित की जा चुकी है। जो कि लंबी दूरी तक बिजली पहुँचाने में कारगर है। इस तरह की तकनीक उर्जा के क्षेत्र में क्रांति लाने और उर्जा क्षेत्र का भविष्य परिवर्तन करने में बेहद कारगर सिद्ध होगी। आपको बता दें कि इस तरह से बिना तार के बिजली सप्लाई करने की पहली परिकल्पना मशहूर वैज्ञानिक निकोला टेस्ला (Nikola Tesla) ने की थी।
1890 में निकोला टेस्ला ने की थी परिकल्पना
इस परिकल्पना को आज से 130 साल पहले निकोला टेस्ला ने की थी। उन्होंने इस कल्पना पर आगे काम करते हुए एक ‘टेस्ला कॉइल’ नाम की कंपनी भी बनाई थी। उस कंपनी ने एक ट्रांसफार्मर सर्किट पर काम भी किया था, जो कि बिजली पैदा करता था। हालांकि, उनकी कंपनी की कमी यही रही कि वह ये नहीं साबित कर पाए कि इस तकनीक के द्वारा लंबी दूरी की बिजली सप्लाई को भी नियंत्रित किया जा सकता है। कंपनी का कहना है कि आज न्यूजीलैंड सरकार और उनकी कंपनी मिलकर टेस्ला के उसी सपने को साकार करने की कोशिश कर रहे हैं।
ये होंगे इसके फायदे
यदि यह तकनीक बन जाती है तो इसके कई फायदे होंगे। सबसे पहले तो सड़कों पर से तारों का जाल साफ़ हो जाएगा। साथ ही इससे तारों में उलझकर हर साल मरने वाले पक्षियों की परेशानी ख़त्म हो जाएगी। इसके साथ ही हर साल बारिश, आंधी के दौरान जो खंभे टूटने के कारण हमारी बिजली चली जाती है उससे मुक्ति मिल जाएगी। इस तरह की तकनीक से बढ़ती बिजली चोरी की घटनाओं पर भी आसानी से नकेल कसी जा सकती है साथ ही खेतों में हर साल हाईवोल्टेज तारों से लगने वाली आग को भी रोका जा सकता है।