बिहार राज्य में लोक आस्था का महापर्व छठ, जिसका नाम आते ही लोगों के मन में आस्था का भाव उमड़ने लगता है। छठ का महा पर्व अब सिर्फ़ बिहार ही नहीं बल्कि बिहार से निकलकर अन्य राज्यों, पूरे देश और अब तो विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। अब तो छठ के लिए सरकार ने छुट्टियाँ भी घोषित कर दी है।
ऐसा माना जाता है कि छठ सभी व्रतों में सबसे कठिन व्रत है, क्योंकि इसे बहुत ही नियम से और साफ़ सफ़ाई से मनाया जाता है। इसमें महिलाएँ 72 घंटे तक अन्न पानी के बिना व्रत रखती हैं और पानी में डुबकी लगाकर ढलते और उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
इस महापर्व छठ में जो सबसे प्रमुख प्रसाद होता है, वह होता है गुड़ का बनाया हुआ ठेकुआ (Thekua)। जिसका इस पूजा में एक विशेष महत्त्व होता है और इसके बिना छठ का प्रसाद अधूरा होता है। आइए जानते हैं कि क्या कारण है कि छठ पूजा में ये ठेकुआ इतना महत्त्व रखता है और इसे बनाने की विधि क्या होती है?
इन नामों से भी जाना जाता है ठेकुआ
खजुरिया या ठिकारी के नाम से भी जाना जाने वाला ठेकुआ जिसे छठ के दूसरे दिन यानी खरना के दिन आधी रात में या सुबह में बनाया जाता है। यह बिहार के साथ-साथ यूपी, मध्य प्रदेश, झारखंड इत्यादि राज्यों में भी प्रसिद्ध है।
खजूरिया और ठेकुआ में बस थोड़ा सा का अंतर होता है। ठेकुआ खाने में नरम होता है जो गुड़ में बनाया जाता है और खजुरिया थोड़ा-सा ठोस होता है जो चीनी में बनाया जाता है। इसे बनाने के काफ़ी दिनों बाद तक भी आप खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे गेहूँ के आटे से आम के लकड़ी के द्वारा चूल्हे पर बनाया जाता है।
बनाने में किन चीजों का इस्तेमाल होता है
ऐसा माना जाता है कि ठेकुआ को लोग अपने स्थानीय उपलब्ध चीज़ों के इस्तेमाल से बनाया करते थे। जिसमें गेहूँ के आटे के साथ-साथ गुड़, घी, नारियल, सौंफ का इस्तेमाल होता है और यह भी कहा जाता है कि ठेकुआ भगवान सूर्य को बहुत पसंद है। यही कारण है कि सूर्य को अर्घ्य देते समय इसे शामिल किया जाता है।
इसे बनाने की सामग्री है:-
- गेहूँ का आटा
- घी (मोयन के लिए)
- सूखा नारियल
- गुड़
- इलायची पाउडर
- सौंफ
- मेवे
- तलने के लिए घी
इसे बनाने के लिए पहले पानी उबालकर उसमें पिघलने के लिए गुड़ डाल दें और उसे चलाते रहें। पिघलने के बाद जब गुड़ वाला पानी ठंडा हो जाए, तो थाली में आटा निकाल कर उसमें सूखा नारियल, पिसी इलायची, सौंफ, मेवे की बारीक क’तर’न और मोयन के लिए घी डालकर मिक्स कर लें। इस के बाद इस आटे को गुड़ वाले पानी से गूंथ लें, आटा तैयार होने पर इसकी लोइयाँ बनाले। अब इस लाइए को सांचे की मदद से आकार देकर घी में तल लें। इस तरह आपके ठेकुए तैयार हैं।
क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व? (Why is Chhath Maha Parva celebrated?)
छठ पर्व (Chhath Maha Parva) सूर्य देव की पूजा का पर्व है। इसे मनाने के पीछे कई मान्यता है, जिनमें एक मान्यता यह है कि धार्मिक ग्रन्थ रामायण के अनुसार जब 14 वर्षों के वनवास और रावण पर विजय के बाद अयोध्या लौटने पर भगवान श्री राम और देवी सीता ने सूर्य देव की उपासना करने के लिए ये व्रत रखा था और अगली सुबह अपना व्रत तोड़ा, जिसे आज लोग छठ पूजा के रूप में मनाते हैं।
जबकि दूसरी मान्यता के अनुसार, कर्ण को कुंती और सूर्यपुत्र के रूप में जाना जाता है। महाभारत के अनुसार, कर्ण सूर्य देवता की पूजा किया करते थे और नदी में डुबकी लगाने के बाद खड़े होकर सूर्य देवता की प्रार्थना किया करते थे और उसके बाद उस समय जो भी वहाँ पर उपस्थित रहता उसे वह कुछ ना कुछ दान या प्रसाद देते थे। इसी तरह छठ में भी यही प्रक्रिया चलती है। एक अन्य मान्यता ऐसी है कि पांडवों और द्रौपदी ने अपने खोए हुए राज्य को वापस पाने के लिए इसी तरह की पूजा आराधना की थी।
इस प्रकार इस त्यौहार को लेकर कई अलग-अलग मान्यताएँ हैं, जिसके कारण छठ महापर्व बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। आज हमने बताया कि आख़िर छठ पूजा में ठेकुए का इतना विशेष महत्त्व क्यों है, इसे मनाने के पीछे कौन-कौन-सी मान्यताएँ हैं? बस कुछ दी दिनों में यह पर्व आने वाला भी है। तो बस आप भी तैयार हो जाइए इसे सेलिब्रेट करने के लिए।