आसमान में उड़ते हुए प्लेन को देखकर अक्सर बच्चों को मन में यह ख्याल आता है कि वह बड़े होकर पायलट बनेंगे, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ उनका यह सपना बस सपना बनकर ही रह जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से ताल्लुक रखने वाली सानिया मिर्जा ने बचपन में ही प्लेन उड़ाने का फैसला कर लिया था और आज वह अपना यह सपना साकार करने में सफल हो गई हैं।
मिर्जापुर (Mirzapur) के देहात कोतवाली थाना क्षेत्र में स्थित जसोवर गाँव में जन्मीं सानिया मिर्जा एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जिनका चुनाव हाल ही में एक फाइटर जेट पायलट के रूप में किया गया है। सानिया भारत की दूसरी महिला पायलट हैं, जो सामान्य नहीं बल्कि फाइटर जेट प्लेन उड़ाएंगी।
बचपन से ही पढ़ाई में तेज थी सानिया
सानिया मिर्जा बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी थी, जिन्होंने मिर्जापुर के गुरु नानक गर्ल्स इंटर कॉलेज से स्कूली शिक्षा प्राप्त की है। सानिया ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा में पूरे जिले में टॉप किया था, जिसके बाद उन्होंने साल एनडीए एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी।
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सानिया के पिता पेशे से टीवी मकैनिक हैं, लिहाजा वह सानिया की पढ़ाई लिखाई पर अत्यधिक खर्चा नहीं कर सकते थे। लेकिन इसके बावजूद भी सानिया मिर्जा ने फाइटर जेट पायलट बनने का सपना देखा और उस सपने को साकार करने के लिए दिन रात मेहनत भी की, जिसकी वजह से साल 2022 की एनडीए परीक्षा में उन्हें 148वीं रैंक हासिल हुई है।
ऐसा नहीं है कि सानिया को यह सफलता पहली बार में ही हासिल हो गई, बल्कि इससे पहले भी उन्होंने एनडीए का एग्जाम दिया था। लेकिन उस परीक्षा में सानिया पास नहीं हो पाई थी, हालांकि सानिया ने पहली बार मिली असफलता से सीख ली और दूसरे प्रयास में उन्होंने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया।
अवनी चतुर्वेदी को मानती हैं आदर्श
सानिया मिर्जा देश की पहली फाइटर जेट पायलट अवनी चतुर्वेदी को अपना आदर्श मानती हैं और बचपन से ही उनकी तरह लड़ाकू विमान उड़ाने का सपना देखती थी। ऐसे में सानिया अब खुद देश की दूसरी महिला फाइटर जेट पायलट बन गई हैं, जिससे उनके परिवार और गाँव के लोग काफी ज्यादा खुश हैं।
सानिया ने अपने साथ गाँव की अन्य लड़कियों को भी प्रेरित किया है, ताकि वह पढ़ाई लिखाई करके अपने सपनों को साकार कर सके। आपको बता दें कि साल 2022 की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा में पुरुष और महिलाओं के लिए कुल 400 सीटें थीं, जिसमें से 19 सीटें महिलाओं के लिए निर्धारित थी और उन 19 सीटों में से 2 सीटें लड़ाकू विमान पायलट के लिए तय की गई थी।
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