Vulture facts: किसी मृत जीव के मांस को नोंच-नोंच कर खाने वाले गिद्ध (Vultures) के बारे में आपने जरूर सुना होगा, जो आसमान में ऊंची उड़ान भरने के दौरान भी जमीन पर शिकार पर नजर टिकाए रखते हैं। गिद्ध सड़े गले किसी भी तरह के मांस का सेवन कर सकता है, जो उसके भोजन का अहम हिस्सा है। Information About Vulture in Hindi
हालांकि गिद्ध की इस आदत की वजह से कई लोग उसे अच्छ पक्षी नहीं मानते हैं, जबकि गिद्ध का नाम हमेशा बुरी चीजों को व्यक्त करने के लिए लिया जाता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गिद्ध हमारे जीवन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है, जिसे प्रकृति का रखवाला भी कहा जा सकता है। Facts about Vultures
प्रकृति का रखवाला होता है गिद्ध (The Importance of Vultures in Nature)
स्कूल की किताबों से लेकर कार्टून में गिद्ध (Vultures) को एक क्रूर और नकारात्मक पक्षी के रूप में दिखाया जाता है, जो बहुत ही बदसूरत और मांसाहारी जीव है। लेकिन हमें यह नहीं भूलाना चाहिए कि प्रकृति ने हर जीव को अलग तरीके से बनाया है, जिसकी वजह से उनका रहन सहन और खानपान विभिन्न प्रकार का हो सकता है।
Why Vultures are important: इसी तरह गिद्ध भी पृथ्वी पर ईको सिस्टम (Nature Eco System) को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है, जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है। गिद्ध को आप साफ सफाई करने वाला पक्षी (Natural cleaners) भी कह सकते हैं, जो धरती से सड़ गला मांस उठाकर खा जाता है।
यह पक्षी फसलों को बर्बाद करने वाले कीड़ों मकौड़ों को भी खत्म कर देता है, जबकि सड़े हुए मांस से उत्पन्न होने वाली बदबू को हवा में नहीं फैलने देता है। अगर गिद्ध मृत जीव व इंसानों के सड़े हुए मांस को न खाए, तो प्राकृतिक चक्र बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगा।
आमतौर पर लोगों को लगता है कि जंगल में रहने वाले शेर, चीता, तेंदुआ और हाइना जैसे जीव सबसे ज्यादा मांस खाते होंगे, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मांस खाने वाले जीवों में गिद्ध का नाम सबसे आगे है।
यह पक्षी हर साल मृत पशुओं और इंसानों का चार करोड़ टन से ज्यादा सड़ा हुआ मांस खा जाता है, जबकि स्तनधारी जीव इसकी डाइट का महज 36 प्रतिशत हिस्सा ही खा पाते हैं। गिद्ध के भोजन में हर प्रकार का मांस, कीड़े मकौड़े और कंकाल शामिल होते हैं, जो पर्यावरण को साफ करने में अहम भूमिका निभाता है।
ऊंचाइयों का राजा है गिद्ध
हवा में उड़ान भरने वाले पक्षियों में गिद्ध सबसे ऊंची उड़ान भरता है, जो माउंट एवरेस्ट की लंबाई से भी कई ज्यादा ऊंचाई में उड़ सकता है। साल 1973 में रूपेल्स वेंचर ने आइवरी कोस्ट में गिद्ध की सबसे ऊंची उड़ान को रिकॉर्ड किया था, जो जमीन से 37, 000 फीट ऊंचाई पर थी।
यह ऊंचाई इतनी ज्यादा है कि उस जगह पर ऑक्सीजन का लेवल बहुत ही कम हो जाता है, जिसकी वजह से कई पक्षी अपना दम तोड़ देते हैं। लेकिन गिद्ध पक्षियों की सभी प्रजातियों से बिल्कुल अलग है, जो आसमान की ऊंचाई पर रहना पसंद करता है।
गिद्ध पर की गई रिसर्च से पता चलता है कि यह पक्षी मुश्किल हालातों और बेहद खराब वातावरण में भी आसानी से सांस ले सकता है, जबकि आसमान में बहुत ज्यादा ऊंचाई पर उड़ने के बावजूद भी गिद्ध की नजर हमेशा अपने इलाके और शिकार पर बनी रहती है।
गिद्ध भोजन की तलाश में लंबी यात्राएँ करने के लिए जाना जाता है, जो भूखा होने के बावजूद भी तंजानिया से केन्या, सूडान और इंथोपिया जैसे देशों को हवा में उड़ते हुए पार कर लेता है। इसके अलावा सूखे के दौरान भोजन की कमी होने पर गिद्ध जंगल के जानवरों का पीछा करते हुए लंबी दूरी तय करता है, ताकि उसे भरपेट भोजन मिल सके।
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पैरों पर पेशाब करता है गिद्ध
गिद्ध पर्यावरण को साफ और शुद्ध रखने में अहम योगदान देता है, लेकिन यह पक्षी अपनी साफ सफाई का भी खास ख्याल रखता है। गिद्ध अपने पैरों पर पेशाब करता है, जो आपको और हमें बहुत ही अजीबो गरीब आदत लग सकती है।
लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो गिद्ध ऐसा इसलिए करता है, ताकि वह खुद को बीमारियों और इंफेक्शन से बचा सके। दरअसल गिद्ध मृत जीवों और उनके सड़े मांस पर पैर रखता है, जिसकी वजह से उसके पैरों पर गंदगी और बैक्टीरिया चिपक जाते हैं।
ऐसे में अगर उस गंदगी को पैरों से हटाया न जाए, तो वह गिद्ध के पूरे शरीर में फैल सकती है और उसे बीमार करने का कारण बन सकती है। इसलिए गिद्ध अपने पैरों पर पेशाब करता है, जिसमें मौजूद अम्लीय तत्व बैक्टीरिया और गंदगी को खत्म करने का काम करते हैं।
बिजली के खंभों पर बनाते हैं घोंसला
गिद्ध एक ऐसा पक्षी है, जो बिजली के खंभों पर अपना घोंसला बनाता है। गिद्ध को बिजली के खंभे या तारों से डर नहीं लगता है, जबकि उनमें हर वक्त तेज वॉट का करंट दौड़ रहा होता है। दरअसल बिजली के खंभे खेतों के बीच में होते हैं, जहाँ घोंसला बनाने पर गिद्ध को भोजन ढूँढने और उसे अपने बच्चों तक पहुँचाने में आसानी होती है।
इसके अलावा गिद्ध लंबी दूरी तय करने के लिए भी बिजली के खंभों का इस्तेमाल करते हैं, जो तार के माध्यम से कई किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले होते हैं। ऐसे में गिद्ध इन बिजली के खंभों और तारों की दिशा में आगे बढ़ते हुए लगभग 1, 000 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय कर सकते हैं, जिसकी वजह से वह दिशा नहीं भटकते हैं।
यही वजह है कि गिद्ध को बहुत ही तेज और बुद्धिमान पक्षी माना जाता है, जो हर काम बहुत ही सोच समझ योजना के साथ पूरा करता है। यही वजह है कि सऊदी अरब की स्थानीय मीडिया ने एक बार गिद्ध को इजराइल का जासूस घोषित कर दिया था, क्योंकि उनके इलाके में गिद्धों की आवाजाही अचानक से बढ़ गई थी।
ड्राई फ्रूट्स खाने के शौकीन होते हैं गिद्ध
अगर आपको लगता है कि गिद्ध सिर्फ मृत जीवों का सड़ा हुआ मांस ही खाता है, तो आप बिल्कुल गलत हैं। क्योंकि यह पक्षी मांस के अलावा ड्राई फ्रूट्स खाने का भी शौकीन है, जो अखरोट और अंजीर जैसी चीजों को पेड़ से झड़ाकर या तोड़कर खाना पसंद करता है।
इसके अलावा गिद्ध मछली और छोटे पक्षियों को भी अपने भोजन के रूप में खाता है, लेकिन इसे सड़े हुए मांस के मुकाबले ताजा मांस और कीड़े खाना सबसे ज्यादा पसंद होता है। वहीं गिद्ध की लैप्पेट फेस्ड वल्चर प्रजाति मुर्गी के जिंदा बच्चों को भोजन के रूप में खाना पसंद करता है, हालांकि भोजन न मिलने की स्थिति में गिद्ध सड़ा हुआ मांस खाने पर मजबूर हो जाता है।
गिद्ध की बिर्डड वल्चर प्रजाति दुनिया का एकमात्रा ऐसा जीव है, जो अपने भोजन में 70 से 90 प्रतिशत हड्डियों का सेवन करता है। गिद्ध के पेट में मौजूद अम्लीय तत्व हड्डियों से पोषक तत्व अवशोषित करने का काम करते हैं, जिन्हें आमतौर पर दूसरे जानवर छोड़ देते हैं।
इसके अलावा गिद्ध के पेट में मौजूद अम्ल इतना शक्तिशाली होता है कि वह हैजा और एंथ्रेक्स जैसी बीमारियों को विकसित करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होता है, जिसकी वजह से गिद्ध को कभी भी बैक्टीरिया रूपी बीमारियों या वायरस का सामना नहीं करना पड़ता है।
लगातार कम हो रही है गिद्धों की संख्या
आप भले ही गिद्ध को कितना ही बड़ा खलनायक मान लें, लेकिन इस पक्षी की मौजूदगी हमारी पृथ्वी पर जीवन को संतुलित बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि दुनिया भर में गिद्ध की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
पिछले एक दशक में भारत, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों में गिद्धों की संख्या में 95 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है, जबकि अफ्रीका में भी गिद्धों की संख्या में भारी कमी आई है। गिद्धों की संख्या कम होने का मुख्य कारण भोजन की कमी, विषैले मांस का सेवन और प्रजजन क्षमता में कमी हो सकता है।
दरअसल दुनिया भर में पालतू जीवों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाइयाँ दी जाती हैं, जो उनके शरीर पर विषैला प्रभाव छोड़ती हैं। ऐसे में उन जानवरों की मृत्यु के बाद जब गिद्ध उनके मांस का सेवन करते हैं, तो यह जहर उनके शरीर में भी प्रवेश कर जाता है।
ऐसे में जहरीला मांस खाने की वजह से गिद्धों की बड़ी संख्या में मौत हो जाती है, वहीं जो गिद्ध विषैले मांस को पचा लेने में सक्षम होते हैं उनकी प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है। ऐसे में गिद्ध अपने साथी के साथ सम्बंध नहीं बना पाते हैं और इसके परिणामस्वरूप इस प्रजाति में नए बच्चों का जन्म नहीं हो रहा है।
इसके अलावा इंसान भी बड़े पैमाने पर गिद्धों का शिकार करता है, क्योंकि यह पक्षी गैर कानूनी रूप से हाथी और गैंडे जैसे जीवों को मारे जाने पर जोर-जोर से शोर मचाने लगता है। ऐसे में खुद को बचाने के लिए इंसान गिद्ध का शिकार कर देता है, ताकि उसकी चोरी पकड़ी न जाए।
मुश्किल में पड़ सकता है इंसानी जीवन (What would happen if vultures went extinct)
वर्तमान में गिद्धों की संख्या पर नजर डाली जाए, तो इसका नतीजा बहुत ही चौंका देने वाला साबित होगा। ऐसे में अगर गिद्धों के संरक्षण के लिए जल्द ही सख्त कदम न उठाए गए, तो इस प्रजाति को विलुप्त से होने से नहीं बचाया जा सकेगा।
ऐसे में अगर गिद्ध खत्म हो जाते हैं, तो उसका असर इंसान के जीवन पर भी पड़ेगा। क्योंकि मृत जीवों के शवों को खत्म करने की जिम्मेदारी गिद्धों पर ही होती है। इसलिए अगर गिद्ध खत्म हो जाएंगे, तो दुनिया भर में मृत जीवों के सड़े हुए मांस को ठिकाने लगाना मुश्किल हो जाएगा।
उस स्थिति में हवा में सड़े मांस की बदबू फैल जाएगी, जिसमें सांस लेना इंसान और दूसरे जानवरों के मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पर्यावर का संतुलन बनाए रखने के लिए गिद्धों को जीवित रखना बेहद जरूरी है, वरना हम सभी का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा।
गिद्ध की आबादी को बढ़ाने और उसके शिकार पर रोक लगाने को लेकर दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा गिद्ध के महत्त्व को समझाने के लिए हर साल सितंबर के पहले शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस (International Vulture Awareness Day) मनाया जाता है।