10 amazing and rare picture of the world – हर बात, हर दर्द को तस्वीरें कुछ पल में ही बयाँ कर जाती है। कहते हैं कि लोगों के दिमाग़ पर बातों से ज़्यादा असर तस्वीरों से होता है। ऐसी ही कुछ दुर्लभ और ऐतिहासिक तस्वीरों के बारे में आज हम आपको बताएंगे जिन्होंने पूरी दुनिया को सोचने पर विवश कर दिया। लेकिन इससे पहले तस्वीर और उसे खिंचने वाले कैमरे की कुछ बाते जान लेते हैं।
टेल बॉट ने 1834 में लाइट सेंसिटिव पेपर का आविष्कार किया। 1839 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेकेस और मेंडे डाग्यूरे ने फ़ोटो तत्व खोजने का दावा किया था। ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फ़ॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव पॉजिटिव प्रोसेस की खोज की थी और 7 जनवरी 1939 को फ्रांसीसी वैज्ञानिक आर्गो ने फ्रेंच अकादमी ऑफ साइंस के लिए एक रिपोर्ट बनाई थी, जिसे देखकर सरकार ने 19 अगस्त 1939 में उस प्रोसेस रिपोर्ट को आम लोगों को समर्पित कर दिया और इसी के बाद से ही 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे के रूप में मनाया जाता है। अब आपको हम बताएंगे 10 ऐसी तस्वीरों के बारे में जिन्होंने लोगों के बीच एक प्रश्न छोड़ दिया…
नागासाकी विध्वं’स
जब 1945 में अमेरिकी सेना द्वारा जापान के नागासाकी शहर पर परमाणु हम’ला किया गया था उसी वि’ध्वंसकारी दृश्य को इस तस्वीर द्वारा दिखाया गया है। उस घातक हमले में हजारों जिंदगियाँ पल भर में ही ख़त्म हो गई, जिस दर्द और हमले के प्रभाव को लोग आज भी झेल रहे हैं। यह तस्वीर अमेरिकी एयरफोर्स के द्वारा परमाणु बम गिराए जाने के कारण उड़ते बादलों की ली गयी हैं।
भोपाल गैस त्रा’सदी
भारत के जाने-माने फोटोग्राफर रघु राय ने 1984 में हुए भोपाल गैस त्रास’दी की एक तस्वीर ली थी, जब भोपाल स्थित एक कंपनी से मिथाइल आइसोसायनाइड नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। उस त्रासदी में हजारों लोग अपनी जान गवा दिए थे और अनगिनत लोग ज़िन्दगी भर के लिए अपाहिज बन जीने को मजबूर हो गए। उनके कैमरे द्वारा ली गई तस्वीर में उन लोगों का दर्द पूरा झलक रहा था जिन लोगों ने इन परिस्थितियों से गुजरा था।
जीवन का आरंभ
एण्डोस्कोप द्वारा लेनाट निल्सन ने 1965 में इस तस्वीर को लिया था। यह एण्डोस्कोप द्वारा ली गयी पहली तस्वीर थी, जिसमे जीवन के आरम्भ और जुस्क प्रक्रिया को दिखाया गया था।
अफगान लड़की
यह तस्वीर उन 10 दुर्लभ तस्वीरों में से एक है, जिसे 1984 में लिया गया था। इस लड़की की तस्वीर के जरिए शरणार्थी संकट को पूरी दुनिया के सामने लाया गया था जिसे नेशनल जियोग्राफिक पत्रिका के कवर पर भी छापा गया था। स्टीव मैकरी ने अपने कैमरे से इसका लड़की की तस्वीर को क़ैद की थी।
तुर्की के बीच पर एलन कुर्दी
तुर्की में 2 सितंबर 2015 को एक ऐसा मामला सामने आया था जब 3 साल के एक सीरियाई बच्चे की लाश एक समुद्री तट पर मिली थी। यह बच्चा एक शरणार्थी बच्चा था जिसकी तस्वीर निलुफर डेमियर ने खींची थी। जब यह तस्वीर लोगों के बीच आई तब एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने शरणार्थी संकट का मामला सामने आया था। बच्चे कैलाश के इस तस्वीर में पूरी दुनिया को शरणार्थियों के दर्द को समझा दिया।
गिद्ध और छोटी बच्ची
केविन कार्टर ने 1993 में दक्षिणी सूडान में भुखमरी की एक तस्वीर खींची जिसने पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया। यह तस्वीर न्यू यॉर्क टाइम्स मैगज़ीन में मैं भी छापी गई थी। इस रोंगटे खड़े कर देने वाली तस्वीर के लिए केविन कार्टर को ‘पुलित्ज़र पुरस्कार’ दिया गया लेकिन सूडान यात्रा के कुछ ही समय बाद इन्होंने आत्म ह’त्या कर ली थी।
किम फूक रन
निक उत की यह तस्वीर बहुत ही चर्चा में रही थी जिसमें उन्होंने वियतनाम युद्ध के समय एक गाँव पर बम गिराए जाने के बाद भागते इन बच्चों की तस्वीर ली थी। इस तस्वीर में एक भागती हुई लड़की ने सबसे ज़्यादा लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था और अमेरिका को वियतनाम युद्ध के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। इस तस्वीर के लिए निक उत को इस तस्वीर के लिएपुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।
डायरेक्ट शू’ट
एसोसिएट प्रेस के फोटोग्राफर एडी एडम्स जो की एसोसिएट प्रेस के फोटोग्राफर थे, उनके द्वारा ली गई इस तस्वीर पर काफ़ी ज़्यादा विरोध हुआ था। जिसमें दक्षिणी वियतनाम के पुलिस कमांडर न्यूएन नोग लॉन ने वियतनाम निवासी न्यूएम वान लेम को सिर पर बंदूक रख डायरेक्ट शू’ट कर दिया था। इस तस्वीर के सामने आने के बाद वियतनाम के लिए जो अमेरिका का रवैया था वह पूरी दुनिया के सामने आ गया था। एडी एडम्स को इस तस्वीर के लिए पुलित्ज़र पुरस्कार तो मिला लेकिन पुरस्कार के साथ ही उन्हें लोगों के कड़े विरोध का सामना भी करना पड़ा।
श’हीद
पूरी दुनिया में इस तस्वीर को लेकर चर्चा हुई थी जिसे रॉबर्ट केपा द्वारा 1936 ली गई थी। इस तस्वीर में एक सैनिक को गोली लगते हुए दिखाया गया है। यह तस्वीर भी एक फ्रेंच पत्रिका में छपी थी और उसके बाद पूरी दुनिया में इसे लेकर चर्चा हुई थी।
चांद पर पहला क़दम
यह तस्वीर नील आर्मस्ट्रॉन्ग के प्लेन क्रू द्वारा ली गयी थी जब 1969 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चाँद पर क़दम रख कर इतिहास में अपना नाम दर्ज़ कराया था। यह तस्वीर एक ऐसे ऐतिहासिक पल की है जब किसी मनुष्य ने पहली बार चांद पर क़दम रखा था।
ये थीं 10 ऐसी ऐतिहासिक और दुर्लभ तस्वीरें जिसने अपना प्रभाव लोगों के मन पर ऐसा प्रभाव डाला कि लोग सोचने को मजबूर हो गए। ये तस्वीरें लोगों के बीच काफ़ी चर्चा का विषय भी बनी रही।