Cow Dung Products: शहरों की भीड़भाड़ से दूर गाँव शुद्ध हवा के साथ-साथ शांति और सुकून का एहसास होता है, जहाँ ज्यादातर लोग छुट्टियाँ बिताने के लिए जाते हैं। गाँव में खेतों के किनारे या घरों के बाहर गोबर का ढेर लगा होता है, जिसका इस्तेमाल खाद के रूप में किया जाता है।
वहीं कई लोग गोबर के कंडे बनाकर उनका इस्तेमाल चूल्हा जलाने के लिए करते हैं, जबकि मिट्टी के घरों की गोबर से लिपाई करके उन्हें ठंडा रखा जाता है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में रहने वाले एक शख्स ने गोबर का इस्तेमाल करके विभिन्न आइटम्स (Cow Dung Products) बनाने का कारोबार शुरू किया है, जिसे वह सालाना 36 लाख रुपए की कमाई करता है।
गोबर से विभिन्न प्रोडक्ट्स बनाने वाला शख्स (Cow Dung Products)
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के रायपुर (Raipur) शहर में गोकुल नगर (Gokul Nagar) में रहने वाले रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) पेशे से एक पशुपालक है, जिनके घर में दर्जनों गाय भैंस हैं। ऐसे में उन पशुओं का गोबर बहुत ज्यादा हो जाता है, जिसे रोजाना खेत में खाद के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में रितेश अग्रवाल ने गोबर के ढेर से छुटकारा पाने के लिए एक नायाब तरीक खोज निकाला, जिसके तहत उन्होंने गोबर का इस्तेमाल करके हैंड बैग, पर्स, दीपक, ईंट, अबीर-गुलाल, चप्पल और मूर्तियों समेत कई चीजें बनाने का काम शुरू कर दिया। ये भी पढ़ें – वातानुकूलित घर बनाया वह भी देसी गाय के गोबर से, खर्चा सीमेंट के घर से 7 गुना कम
रितेश अग्रवाल ने अपने स्कूली शिक्षा रायपुर से ही पूरी की है, जिसके बाद उन्होंने साल 2003 में ग्रेजुएशन पूरा किया था और कंपनी में नौकरी करने लगे। लेकिन रितेश का मन नौकरी करने में नहीं लगता था, इसलिए उन्होंने एक के बाद एक कई जॉब्स चेंज की।
ऐसे में आखिरकार रितेश अग्रवाल ने साल 2015 में नौकरी छोड़ दी और पशुपालन करने का फैसला किया, क्योंकि उन्होंने सड़कों पर कई आवारा गायों और पशुओं को घूमते हुए देखा था। ऐसे में रितेश सबसे पहले एक गौशाला से जुड़े और उन्होंने गौ सेवा का काम शुरू कर दिया था, इस दौरान उन्होंने गाय से जुड़े अन्य प्रोडक्ट्स बनाने का काम भी सीख लिया था।
इस तरह गौशाला के साथ काम करते हुए रितेश ने गाय के गोबर से विभिन्न चीजें बनाना सीख लिया, जिसके लिए लोगों को विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है। रितेश ने राजस्थान के जयपुर और हिमाचल प्रदेश में जाकर ट्रेनिंग ली थी, जिसके बाद उन्होंने गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार करने हुनर सीख लिया।
‘एक पहल’ नामक संस्था बनाती है गोबर उत्पाद
रितेश अग्रवाल ने गाय के गोबर (Cow Dung) से विभिन्न चीजें बनाना सीख लिया था, इसि दौरान छत्तीसगढ़ में सरकार की तरफ से गोठान मॉडल शुरू किया गया था। रितेश भी इस मॉडल से जुड़कर काम करने लगे, जिसमें उन्होंने गोबर का इस्तेमाल करके चप्पल और बैग इत्यादि बनाए, जबकि दूसरे लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दी।
इसके बाद रितेश ने साल 2019 में ‘एक पहल’ (Ek Pahal) नामक संस्था की स्थापना की, जिसमें गाय के गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं। गोबर से चप्पल बनाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों, चूना और गोबर पाउडर की जरूरत होती है, जिसे एक साथ मिलाकर चप्पल बनाई जा सकती है।
1 किलोग्राम गाय के गोबर (Cow Dung) से लगभग 10 चप्पलें तैयार की जा सकती हैं, जो 3 से 4 घंटे तक बारिश में भीगने के बावजूद भी खराब नहीं होती हैं। इतना ही नहीं उन चप्पलों को धूप में सूखाकर आसानी से दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पैरों को ठंडक पहुँचने का काम भी करती हैं।
इतना ही नहीं एक पहल संस्था में गोबर का इस्तेमाल करके अबीर और गुलाल भी तैयार किया जाता है, जिसके लिए सबसे पहले गोबर को अच्छी तरह से सूखाया जाता है और फिर उसे पाउडर में तब्दील कर लिया जाता है। इसके बाद गोबर पाउडर में फूलों की सूखी पत्तियों का पाउडर मिलाया जाता है, जबकि रंग के लिए हल्दी पाउडर और धनिया के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। ये भी पढ़ें – इंजीनियर ने गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन बनाने के बाद, अब बना दी गोबर सुखाने की मशीन, देशभर में बढ़ी मांग
स्थानीय लोगों को दे रहे हैं रोज़गार
रितेश अग्रवाल की संस्था से कई स्थानीय लोग जुड़े हैं, जो वहाँ काम करते हुए गोबर से विभिन्न चीजें तैयार करते हैं। रितेश खुद स्थानीय लोगों को सामान बनाने की ट्रेनिंग देते हैं, जिसके बाद काम सीख जाने के बाद उन्हें नौकरी पर रख लिया जाता है।
इस तरह रितेश अग्रवाल स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहे हैं, जबकि गोबर से बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। एक पहल संस्था द्वारा तैयार किए गए प्रोडक्ट्स की मांग छत्तीसगढ़ समेत विभिन्न राज्यों में तेजी से बढ़ रही है, जिससे रितेश सालाना 36 लाख रुपए की कमाई करते हैं।
मुख्यमंत्री भी इस्तेमाल कर चुके हैं गोबर का बैग
हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेष बघेल साल 2022 का बजट सत्र पेश करने के लिए विधानसभा पहुँचे थे, इस दौरान उनके हाथ में गाय के गोबर से बना बैग था। उस बैग को रितेश और उनकी संस्था ने मिलकर तैयार किया था, जिसे बनाने में 10 दिन का वक्त लगा था।
रितेश की मानें तो देश भर में प्लास्टिक की चीजों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, जिससे पर्यावरण दूषित होता है। इसके साथ ही गाय उस प्लास्टिक का सेवन भी कर लेती हैं, जो उनके पेट में चिपक जाता है और गाय बीमारी पड़ जाती है। ऐसे में गाय के गोबर से बने प्रोडक्ट्स से प्लास्टिक प्रदूषण कम होगा, जबकि गायों की सेहत भी खराब नहीं होगी।
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