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रियल हीरो बनकर उभरे पाटिल, 5 सालों से सड़क के किनारे खड़े होकर लोगों को पानी में कचरा डालने से रोकते हैं

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वर्तमान समय में प्रदूषण एक ऐसी समस्या बन चुकी है जिसे कोई भी जगह अछूता नहीं है। प्रदूषण हमें चारों ओर से इस क़दर घेरे हुए हैं कि लोगों से लेकर जानवरों और पक्षियों तक का जीना मुहाल हो गया है। लेकिन इस समस्या की वज़ह भी हम इंसान ही हैं। हवा से लेकर जल्द हर चीज प्रदूषित हो चुका है।

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जहाँ कुछ लोग हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करने का काम करते हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस को लेकर बेहद चिंतित हैं और पर्यावरण से प्रदूषण को कम करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। इनमें से एक नाम आता है चंद्र किशोर पाटिल जी (Chandra Kishore Patil) का। जो जल प्रदूषण को रोकने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।

Chandra Kishore Patil
twitter

चंद्र किशोर पाटिल (Chandra Kishore Patil) जी नासिक के इंदिरा नगर के रहने वाले हैं जो पूरे दिन सड़क के किनारे लोगों को पानी में कचरा डालने से रोकते हुए दिखाई दे जाते हैं। उनकी इस कहानी को आईएफएस अधिकारी श्वेता बोद्दु ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। जो बहुत ही ज़्यादा वायरल हो रहा है और लोग उनकी बहुत तारीफें कर रहे हैं। कुछ लोगों ने तो उन्हें रियल हीरो तक कहा है।

IFS अधिकारी श्वेता ने अपने इस पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “मैंने इस व्यक्ति को पूरे दिन सड़क में हाथ में सीटी लेकर खड़े देखा। वह लोगों को नासिक की गोदावरी नदी में प्लास्टिक की थैलियों को फेंकने से रोक रहे थे।”

हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत के दौरान चंद्र किशोर पाटिल जी ने कहा कि वह नदी के पास ही रह रहे हैं। हर साल त्योहारों के बाद लोगों के कचरा फेंकने से नदी का पानी गंदा हो जाता है। तो इसी से चिंतित होकर उन्होंने नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ करने का फ़ैसला लिया और वह पिछले 5 सालों से लोगों से नदी में कुछ ना फेंकने की अपील करते हैं और कचरे को नदी के बाहर ही रखवा लेते हैं, जिसे बाद में नगर निगम ले जाता है।

Chandra Kishore Patil
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उन्होंने कहा कि “मैं पिछले पांच साल से हर साल ऐसा कर रहा हूँ और जब तक मेरा स्वास्थ्य ठीक है, तब तक मैं इस काम को जारी रखूंगा। मैं सुबह से रात 11 बजे तक नदी के किनारे एक सीटी के साथ खड़ा रहता हूँ और लोगों को नदी में कचरा नहीं फेंकने के लिए अपील करता हूँ। कई लोग तो मेरे साथ बुरा व्यवहार भी करते हैं, लेकिन मैं फिर भी में उन्हें इस तरह के काम करने के लिए मना करता हूँ।”

जब बातचीत के दौरान उनसे पूछा गया कि वह प्रतिरोध से कैसे निपटते हैं, तो उन्होंने कहा कि वह नदी के पानी से बोतलें भरते हैं और लोगों से भी इसे लेने के लिए कहते हैं। जब वे मना करते हैं, तो वह उन्हें नदी में गंभीर प्रदूषण की गंभीर समस्या के बारे में जागरूक करते हैं। जिससे लोग आसानी से समझ लेते हैं।

चंद्र किशोर पाटिल सही मायने में अपने देश के लिए अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। उन्हें रियल हीरो कहने में कोई दो राय नहीं है।

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