Professor Rajagopalan Vasudevan – हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक के कचरे से पर्यावरण प्रदूषित होता है, आज के समय में तो यह बहुत बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुकी है और यह कचरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ये कचरा हमारे इस सुंदर ग्रह पर अनेक प्रकार के नकरात्मक प्रभाव डाल रहा है, इसकी वज़ह से यह कचरा न सिर्फ़ मनुष्यों बल्कि जीव-जंतुओं के लिये भी एक गंभीर सं कट बन गया है। इसी वज़ह से अब प्लास्टिक से उत्पन्न प्रदूषण एक वैश्विक चिंता का मुद्दा बन गया है और हर प्रकार से कोशिश की जा रही है कि प्लास्टिक के कचरे को रिसाइकल करके उसका पुनरुपयोग किया जा सके।
मदुरै के TCE इंजीनियरिंग कॉलेज के एक प्रोफ़ेसर कई सालों से प्लास्टिक रिसाइक्लिंग करने की दिशा में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं, उन्होंने प्लॉस्टिक के कचरे से सड़कें भी बनवाई हैं। इनके योगदान को देखते हुए ये ‘Plastic Man of India‘ के नाम से भी प्रसिद्ध हो गए हैं। इतना ही इन प्रोफेसर साहब को प्लास्टिक कचरे के रिसायकल के लिए शानदार काम करने के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया है। जाहिर है, इन प्रोफेसर साहब के बारे में पढ़कर आप इनके सँघर्ष, प्रयासों और कार्यों के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक होंगे, तो चलिए जानते हैं कौन हैं वे प्रतिभाषाली प्रोफेसर जिन्होंने प्लास्टिक कचरे से सड़कें बना डाली…
प्रोफेसर राजगोपालन वासुदेवन (Professor Rajagopalan Vasudevan)
हम जिन प्रोफेसर की बात कर रहे हैं उनका नाम है राजगोपालन वासुदेवन (Professor Rajagopalan Vasudevan)। वे मदुरै के TCE इंजीनियरिंग कॉलेज में केमिस्ट्री सब्जेक्ट पढ़ाते हैं। सबसे पहले वर्ष 2002 में थिएगराजार कॉलेज के परिसर में प्रोफेसर वासुदेवन ने प्लास्टिक के कचरे से रोड बनाई थी। Plastic Waste Road
इस कार्य के लिए वासुदेवन जी को एक लंबे अरसे के बाद पहचान मिली। कहा जाता है कि उन्होंने लगभग 10 वर्षों तक बहुत मेहनत की और तब जाकर उनकी इस टेक्निक को मान्यता प्राप्त हुई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार जब वे अपने इस प्रोजेक्ट को तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता जी के पास लेकर गए तो जयललिता जी ने भी उनके इस कार्य की ख़ूब तारीफ की व उन्हें सहयोग करने के लिए आश्वासन भी दिया था।
सरकार ने उनकी इस तकनीक के उपयोग से बनवाई हज़ारों किलोमीटर की सड़कें
इसके बाद प्रोफेसर वासुदेवन की इस शानदार तकनीक के बारे में सारी दुनिया को पता चला, तब कई लोगों ने उनसे यह आइडिया अच्छी क़ीमत पर खरीदने का प्रस्ताव भी रखा, लेकिन प्रोफेसर वासुदेवन ने साफ़ इंकार कर दिया और अपनी ये टेक्निक नि: शुल्क ही भारत सरकार को सौंप दी, जिससे पता चलता है कि प्रोफेसर वासुदेवन एक प्रतिभाषाली वैज्ञानिक के साथ एक अच्छे इंसान भी हैं, जो अपने देश के लिए निःस्वार्थ भाव से सेवा करने को तत्पर हैं। उनकी इस टेक्निक से देश में हज़ारों किलोमीटर तक लम्बी सड़कें भी बनाई गयी हैं।
प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन हेतु शुरू किया गया जागरूकता मिशन
अब तो इस तकनीक को पंचायतों, नगर पालिकाओं व NHI द्वारा भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं, इसी से प्रेरित होकर सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय ने भी प्लास्टिक के कचरे का बड़े तौर पर उपयोग करने हेतु एक मिशन की शुरूआत भी की। जिसके अंतर्गत प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन हेतु जागरूकता फैलाने के लिए सारे देश में करीब 26 हज़ार लोगों को जोड़कर प्लास्टिक वेस्ट को इकट्ठा किया जा रहा है, जिससे उसका रिसायकल प्रोसेस करके सड़कों का निर्माण किया जा सके। बता दें कि हमारे देश में अब तक प्लास्टिक से करीब 100, 000 किलोमीटर की सड़कें बनाई जा चुकी हैं और बहुत से दूसरे प्रोजेक्ट्स पर भी काम किया जा रहा है।
सारे विश्व में होने लगा है इस तकनीक का उपयोग
प्रोफेसर वासुदेवन (Professor Rajagopalan Vasudevan) की इस तकनीक का प्रयोग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि सारी दुनिया कई देशों में इस्तेमाल की जा रही है, जैसे इंडोनेशिया में बाली, सर्बिया, बेकासी, मकसार और दूसरे भी कई स्थानों पर प्लास्टिक व डामर का मिश्रण बनाकर उसका इस्तेमाल करके सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। उनके द्वारा किये गए इस कारनामे के लिए सरकार ने उन्हें पद्मश्री देकर सम्मानित करने के फ़ैसला भी लिया।
प्रोफेसर राजगोपालन वासुदेवन (Professor Rajagopalan Vasudevan) की कड़ी मेहनत और उनके जज़्बे को हम सलाम करते हैं!