आजकल के मॉर्डन ज़माने में पहले की तरह मिट्टी के बने घरों में रहना कौन पसंद करेगा? अब तो हर शख़्स अपने घर का निर्माण ईंट और सीमेंट से बनवाना चाहता है, इसलिए अब आपको मिट्टी के घर तो काफ़ी कम जगहों पर देखने को मिलते हैं, पर आपको बता दें कि ईंट-सीमेंट से बने मकानों की बजाय मिट्टी के बने इन घरों के काफ़ी ज़्यादा फायदे होते हैं, लेकिन इन फायदों के बारे में कम ही लोग जानते हैं।
मिट्टी के घरों को नेचुरल हाउस भी कहा जाता है। आज हम आपको मिट्टी से निर्मित घरों के इतने फायदे बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में पढेंगे, तो आप भी जान जाएंगे कि मिट्टी से बने घर (Mud Houses) ईंट व सीमेंट से बने घरों से कितने बेहतर होते हैं। ये हैं मिट्टी से बने मकान के फायदे…
कार्बन फुटप्रिंट
पहले के समय में जहाँ मिट्टी से बने नेचुरल हाउस ही बनाए जाते थे, वहीं 21 वीं शताब्दी से उनका स्थान सीमेंट के पक्के मकानों ने ले लिया। उसके बाद तो करीब सभी आर्किटेक्ट मकानों में सीमेंट का ही उपयोग किया करते थे। जबकि सीमेंट की अपेक्षा मिट्टी का पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है और ये आसानी से ज़मीन खोद कर प्राप्त भी की जा सकती है।
कम लागत में तैयार
मिट्टी सरलता पूर्वक प्राप्त हो जाती है, जिससे परिवहन का ख़र्च भी कम हो जाता है। इस तरह से एक घर बनाने में कुल इन्वेस्टमेंट में सीधे तौर पर 30 प्रतिशत तक की कमी भी हो सकती है। मान लीजिए कि अगर एक वर्ग फुट का घर जो सीमेंट से बना हो, उसका मूल्य 1000 रुपये है, तो उतनी ही जगह में मिट्टी से बने इको-फ्रेंडली घर का मूल्य केवल 600 रुपये रहेगा।
बायोडिग्रेडेबल (Biodegradable)
आजकल मकानों में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक, कांसे, तांबे तथा अन्य धातु जल्दी नष्ट नहीं हो पाते हैं, इन्हें पर्यावरण में विलुप्त होने में कई वर्षों का समय लगता है और साथ ही इनसे पर्यावरण प्रदूषित भी होता है, परन्तु मिट्टी एक ऐसा तत्व होता है, जो बायोडिग्रेडेबल होता है। इससे पर्यावरण को किसी तरह का नुक़सान भी नहीं होता है और यह सरलता से पर्यावरण में मिल भी जाता है।
Mud Houses हो सकते हैं रिसायकल
हमारा पर्यावरण संरक्षित रहे, इसके लिए हर वस्तु रिसायकल होना बहुत ज़रूरी होता है। पर्यावरण संरक्षण में मिट्टी की विशेष भूमिका रहती है। मिट्टी से बने घर रिसायकल किए जा सकते हैं, क्योंकि ये जब टूट जाते हैं, तब भी इन मकानों की सामग्री को पुनः उपयोग किया जा सकता है।
इनमें होता है थर्मल इंसुलेशन
मिट्टी से निर्मित घरों की-की एक खासियत यह भी होती है कि इनकी दीवारें प्राकृतिक तौर पर ही ऊष्मा रोधी होती हैं, यानी ये मकान भीतर से प्राकृतिक मौसम से विपरीत होता है। यही कारण है कि मिट्टी से बने इन घरों पर सर्दी, गर्मी या अन्य किसी भी मौसम का प्रभाव नहीं होता है, हर मौसम में इन घरों की दीवारों का टेम्परेचर एकसमान रहता है। ये घर गर्मी के मौसम में भीतर से ठंडे रहते हैं और सर्दीयों में इन घरों में बनी मिट्टी की दीवारें आरामदायक गर्मी महसूस कराती हैं। इन दीवारों में छेद होने की वज़ह से यह लंबा चलती है और भीतर का तापमान भी ऐसा रहता है, जिससे आपको आराम महसूस होता है।
मजबूती के साथ मिलती है आपदा से सुरक्षा
एक बार मिट्टी की ईंट स्थिर हो जाए, तो फिर घर की दीवारों और फ़र्श में काफ़ी मजबूती आ जाती है। यहाँ तक कि कई प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप व बाढ़ आने पर भी इनमें दरार नहीं आती है और ये दीर्घ काल तक टिकाऊ रह सकती है। इसके अलावा, मिट्टी से बने मकानों में बारिश के मौसम के में आने वाली दिक्कतों से भी निजात पाया जा सकता है।
केरल के रहने वाले एक वास्तुकार Eugene Pandala का कहना है कि गेहूँ की भूसी, पुआल, चूना व गाय के गोबर जैसे स्तेबालाइजर्स का उपयोग करके हानि से बचा जा सकता है। जैसे कि SCEB टेक्निक द्वारा स्थानीय मिट्टी में 5 प्रतिशत सीमेंट मिश्रित किया जाए तो वह काफ़ी मज़बूत हो जाता है। इस प्रकार से जो ईंट बनता है, उसमें उच्च संरचनात्मक शक्ति तथा जल प्रतिरोधक क्षमता भी पाई जाती है।
कलात्मकता
मिट्टी के घरों में मजबूती तो होती ही है, साथ ही ये सुकून भी देते हैं। इनकी एक विशेषता यह भी है कि ये बहुत कलात्मक होते हैं। इन्हें अलग-अलग तरह की खूबसूरत तस्वीरों व अलंकरों से सजाया जाता है, जिससे ये और सुंदर लगने लगते हैं।
कच्छ में भुंगा नामक क्षेत्र इसका एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह एक भूकंपरोधी क्षेत्र है और ख़ास बात तो यह है कि यहाँ मिट्टी की ईंटों, टहनियों व गाय के गोबर से एक गोल आकृति बनाई जाती है। कुछ इसी तरह से राजस्थान के बाड़मेर नामक जिले में भी लोग अपने घरों का आकार बेलनाकार आकार व मिट्टी और घास-फुस वाली छत से बनवाते हैं।