सर्दी का मौसम आते ही आम लोगों के घरों में गीजर का इस्तेमाल किया जाने लगता है, जो ठंडे पानी को कुछ ही मिनटों में गर्म कर देता है। लेकिन गीजर का इस्तेमाल करने से बिजली की खपत काफी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से बिल में भी बढ़ोतरी हो जाती है।
ऐसे में आज हम आपको मिट्टी का चूल्हा बनाने का आसान तरीका बताने जा रहे हैं, जिसमें आप खाना पकाने के साथ-साथ पानी भी गर्म कर सकते हैं। इसके लिए न तो आपको अलग से लकड़ियाँ जलानी पड़ेगी और न ही दम घोटू धुंए का सामना करना पड़ेगा, जबकि आपके बिजली और गैस के खर्च में भी बचत हो जाएगी। चूल्हा बनाने का फुल प्रोसेस आप नीचे वीडियो में देख सकते है
पानी गर्म करने के लिए बनाए देसी चूल्हा
यह खास चूल्हा बनाने के लिए आपको कुछ चीजों की जरूरत पड़ेगी, जिसमें ईंट, सीमेंट, मिट्टी, गोबर, लोहे की रॉड, पुराना पाइप, तेल का खाली कनस्तर और नल शामिल है। चूल्हा बनाने के लिए आपको सबसे पहले मिट्टी, सीमेंट और गोबर को एक साथ मिक्स करना होगा और फिर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर एक गाढ़ा लेप तैयार कर लिजिए।
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इसके बाद जिस जगह पर चूल्हा बनाना है, वहाँ ईंट की मदद से चौकोर चूल्हे के डिजाइन में दीवार खड़ी कर दीजिए, जिसमें सामने की तरफ से चूल्हे का मुंह खुला रहेगा। इसके बाद ईंट के ऊपर मिट्टी, गोबर और सीमेंट से बना लेप अच्छी तरह से लगा दीजिए, ताकि बाहर से ईंट दिखाई न दे और फिर चूल्हे को सूखने के लिए छोड़ दीजिए।
इस बीच खाली तेल के कनस्तर में गोल होल वाली जगह पर एक पाइप फिट कर दें, जिसे गोंद की मदद से अच्छी तरह से चिपकाना होगा। इसके बाद कनस्तर के दूसरी तरफ एक छोटा-सा छेद करें और उसमें नल की टोंटी को फिक्स कर दें, इस तरह कनस्तर में एक तरफ पानी का पाइप और दूसरी तरफ नल जुड़ जाएगा।
अब इस कनस्तर को चूल्हे के पिछले हिस्से में फिट कर दीजिए और उसे आसपास ईंट व मिट्टी का लेप लगाकर कनस्तर को चूल्हे के साथ फिक्स कर दीजिए। अब चूल्हे के अगले हिस्से पर लोहे की रॉड बिछा दीजिए और उस रॉड को मिट्टी की लेप की मदद से ढक दें, फिर पूरे चूल्हे को मिट्टी से अच्छी तरह से लिप लिजिए।
वीडियो में देखे चूल्हा बनाने का तरीका
इस तरह चूल्हे के आगे वाले हिस्से में बर्तन रखकर खाना पकाया जा सकता है, जबकि पिछले हिस्से में कनस्तर के अंदर मौजूद पानी आग की वजह से गर्म होता रहेगा। इस कनस्तर में पाइप की मदद से ठंडा पानी भरा जाता है, जबकि नल की मदद से गर्म पानी को बाहर निकाला जाता है। वहीं चूल्हे के अगले हिस्से पर खाना पकाया जाता है, जिससे गैस और बिजली दोनों की एक साथ बचत की जा सकती है।
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