Golden River: KGF जैसी फिल्में देखने के बाद आप अच्छी तरह से समझ ही गए होंगे कि भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था, जबकि यहाँ की जमीन में कितना सोना उगल सकती थी। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि सिर्फ जमीन में ही सोना उगलने की ताकत हो, क्योंकि भारत में एक ऐसी नदी भी मौजूद है जिसमें सोना बहता है।
स्वर्ण रेखा नदी में बहता है सोना
अगर आप भी जल्दी से अमीर बनना चाहते हैं या फिर गोल्ड ज्वैलरी की चाहत रखते हैं, तो आपको झारखंड (Jharkhand) में बहने वाली स्वर्ण रेखा नदी (SwarnaRekha River) का रूख कर लेना चाहिए। यह नदी अपने आप में बहुत ही खास है, जिसमें पानी के अलावा सोना यानी गोल्ड बहता है। इसे भी पढ़ें – 9 सालों से छुट्टी पर हैं सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल, फिर भी हर महीने क्रेडिट होती है सैलेरी
झारखंड की राजधानी रांची शहर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर बहने वाली स्वर्ण रेखा नदी तमाड़ और सारंडा जैसे इलाकों से होकर गुजरती है, जहाँ रहने वाले स्थानीय लोग सालों से नदी के पानी से सोना अलग करने का काम कर रहे हैं।
स्वर्ण रेखा नदी से प्राप्त होने वाले सोने की वजह से ही स्थानीय लोगों को 2 वक्त की रोटी नसीब हो पाती है, क्योंकि यहाँ के लोगों का मुख्य रोजगार नदी के पानी से सोना अलग करना है। स्थानीय लोग नदी के पानी के साथ तलहटी पर मौजूद मिट्टी को इकट्ठा करते हैं और फिर उसमें से सोने के बारीक कण को निकाल कर अलग करते हैं।
यह काम बिल्कुल भी आसान नहीं है, क्योंकि रेत में से बारीक सोने को अलग करने में घंटों का समय लग जाता है। हालांकि इसके बावजूद भी स्थानीय लोग पूरा-पूरा दिन नदी किनारे बैठकर सोना इकट्ठा करते हैं, जिसकी बदौलत एक व्यक्ति पूरे महीने में 70 से 80 सोने के कण जमा करते हैं जिसे बाज़ार में बेचने पर 5 से 8 हजार रुपए की कमाई होती है।
नदी में क्यों बहता है सोना?
किसी भी नदी के पानी में गोल्ड का बहना अपने आप में बहुत ही चमत्कारी घटना है, जो आम लोगों के साथ-साथ वैज्ञानिकों का ध्यान भी अपनी तरफ आकर्षित करती है। स्वर्ण रेखा नदी पर वैज्ञानिक कई तरह से शोध कर चुके हैं, लेकिन वह अब तक इस बात का स्पष्ट कारण पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर नदी में सोना क्यों बहता है।
हालांकि वैज्ञानिक यह तर्क देते हैं कि स्वर्ण रेखा नदी विभिन्न चट्टानों से टकरा कर गुजरती है, जिसकी वजह से उसके पानी में सोने के कण मिक्स हो जाते हैं। स्वर्ण रेखा नदी की लंबाई 474 किलोमीटर है, जो झारखंड से निलकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बहती है और आखिर में बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है।
यह नदी अपने रास्ते में किसी दूसरी नदी के साथ नहीं मिलती है, जिसकी वजह से इसके पानी में मौजूद सोने के कण बरकरार रहते हैं। हालांकि स्वर्ण रेखा की सहायक नदी करकरी में इसका थोड़ा बहुत पानी मिल जाता है, जिसकी वजह से करकरी नदी में भी सोने के कुछ कण पाए जाते हैं।
पानी के साथ सोने लेकर बहने वाली इस नदी को स्वर्ण रेखा नाम दिया गया है, जो झारखंड के स्थानीय और गरीब लोगों को रोजगार देने का काम करती है। हालांकि अन्य नदियों की तरह स्वर्ण रेखा नदी चट्टानों के बीच से होकर गुजरती है, लेकिन इस नदी में सोने के कण क्यों पाए जाते हैं यह बात आज भी अनसुलझे रहस्य से कम नहीं है। इसे भी पढ़ें – मेट्रो में किसी ने नहीं दी सीट तो दुधमुंहे बच्चे के साथ जमीन पर बैठने को मजबूर हुई महिला, IAS ने कहा ऐसी डिग्री किस काम की