BJP नेता ज्याेतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का नाम आपने सुना होगा। भारतीय राजनीति में उन्हें एक ख़ास ओहदा प्राप्त है। पहले वे कांग्रेस पार्टी में थे, फिर कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हो गए। ज्याेतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के प्रसिद्ध ‘सिंधिया राजघराने‘ से सम्बंधित हैं। उनके पिताजी माधवराव सिंधिया भी राजनीति में थे और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। ‘ग्वालियर रियासत’ के अंतिम महाराजा जीवाजी राव सिंधिया थे, ज्योतिरादित्य उन्हीं के पौत्र हैं।
ज्याेतिरादित्य सिंधिया, इस समय ग्वालियर राजघराने के युवराज हैं। उन्हें उनके पूर्वजों से ख़ूब धन संपदा, शोहरत इत्यादि मिला है। इतना ही नहीं, जय विलास महल (Jay Vilas Palace) जिसमें वे अपने परिवार के साथ रहते हैं, उस आलीशान राजमहल के मालिक भी इकलौते ज्योतिरादित्य सिंधिया ही हैं। आपको बता दें कि यह राजमहल सन 1874 में ग्वालियर के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया अलीजाह बहादुर द्वारा बनवाया गया था।
ज्याेतिरादित्य सिंधिया के इस राजमहल की बात करें तो यह बहुत ख़ास है, चलिए जानते हैं कैसे…
4000 करोड़ रुपये से ज़्यादा है महल की कीमत, दुर्लभ कलाकृतियों से की गई है। सजावट यह भव्य महल 147 वर्षों पूर्व बनाया गया था, लेकिन अब भी इसकी शान-ओ-शौकत में कोई कमी नहीं आई है। यह महल लगभग 12 लाख वर्गफीट तक फैला हुआ है और इसकी क़ीमत 4000 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है। देखने में अत्यंत खूबसूरत और आलीशान इस महल में 400 से भी ज़्यादा कमरे बने हुए हैं।
‘जयविलास महल’ ‘सिंधिया राजपरिवार’ का निवास स्थान तो है ही, पर इसके साथ ही यह एक ‘भव्य संग्रहालय’ के तौर पर भी प्रसिद्ध है, क्योंकि इसके 30 से ज़्यादा कमरों को संग्रहालय बनाया गया है। इस महल में ज्यादातर जगह पर इटैलियन कला देखने को मिलती है। इसके अलावा इसमें इटली, फ्रांस, चीन तथा दूसरे कई देशों से मंगवाई गई हज़ारों दुर्लभ कलाकृतियों से भी सजावट की गई है।
1 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ था जयविलास महल (Jay Vilas Palace)
यह राजमहल को ग्वालियर के महाराजाधिराज जीवाजी राव सिंधिया अलीजाह बहादुर द्वारा सन 1874 में बनवाया गया था। इतने वर्षों पूर्व उस समय भी इस भव्य महल के निर्माण में लगभग 1 करोड़ रुपये की लागत आयी थी। इसे डिज़ाइन करने वाले आर्किटेक्ट का नाम सर माइकल फिलोस था। आर्किटेक्ट फिलोस ने यह महल को वास्तुकला की कई शैलियों जैसे इतालवी, टस्कन और कोरिंथियन शैली इत्यादि से प्रेरित होकर बनाया था।
महल का ‘दरबार हॉल’ भी है ख़ास
इस महल में सन 1964 में आम जनता को आकर देखने की अनुमति दे दी गई। इस महल के मशहूर ‘दरबार हॉल’ से इसके भव्य इतिहास का पता चलता है। इसमें जो संग्रहालय है, उसमें हजारों टन के वज़न वाले 2 बड़े झूमर लगे हैं। जिनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इन झूमरों को टांगने से पूर्व 10 हाथियों को छत पर चढ़ाकर छत की मजबूती चेक की गई थी, फिर उसके बाद ही इन झूमरों को टांगा गया था।
संग्रहालय का आकर्षण है ‘चांदी की रेल’
जयविलास महल में बने संग्रहालय में ‘चांदी की रेल’ सबको आकर्षित करती है, विशेष तौर पर पर्यटकों को। इस ट्रेन की विशेषता यह है कि इसकी पटरियाँ डाइनिंग टेबल पर लगी हैं, तथा विशिष्ट दावतों में यही रेल मेहमानों को भोजन परोसती है। जब भारत का कोई व्यक्ति यहाँ घूमने जाता है तो उसके लिए-लिए 150 रुपये एक व्यक्ति के लिए टिकट लेना होता है और विदेशी पर्यटकों को टिकट के लिए 800 रुपए देने होते हैं।
आम जनता भी इस महल का वही रूप देख सके, जैसा इसे बनवाया गया था, इसलिए इसमें एक भाग को संरक्षित करके रखा हुआ है। गौरतलब है कि इस भव्य राजमहल को विशेष रूप से वेल्स के राजकुमार ‘किंग एडवर्ड VI’ के भव्य स्वागत हेतु बनवाया गया था। फिर बाद में यही राजमहल ‘सिंधिया राजवंश’ का निवास स्थान बन गया था।