John Harrison Ice-cream Tester – बाजार में बहुत अलग-अलग फ्लेवर की आइसक्रीम मौजूद है, जो बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्ग हर किसी को बहुत ज्यादा पसंद होती है। यही वजह है कि दुनिया भर में शराब के बाद सबसे ज्यादा बिकने वाला खाद्य पदार्थ आइसक्रीम है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आइसक्रीम के फ्लेवर की जांच कैसे की जाती है, उसमें परफेक्ट स्वाद, खुशबू और टेक्चर कैसे लाया जाता है। अगर नहीं… तो हम आपको बता दें कि परफेक्ट आइसक्रीम तैयार होने का श्रेय जॉन हैरिसन (John Harrison) को दिया जाता है। यह वह व्यक्ति हैं, जो आइसक्रीम का सबसे बेहतरीन स्वाद बताने के लिए मशहूर हैं।
हजारों गैलन आइसक्रीम खाने वाला व्यक्ति (John Harrison)
आपको यह बात सुनने में अजीब लग सकती है कि जॉन हैरिसन सिर्फ आइसक्रीम खाकर लाखों करोड़ों रुपए कमाते हैं, लेकिन यह फैक्ट सौ प्रतिशत सच है। जॉन की जीभ में अलग-अलग स्वाद को पहचानने की इतनी बेहतरीन क्षमता है कि उन्हें आइसक्रीम चखने की विशेष नौकरी पर रखा गया है।
जॉन हैरिसन (John Harrison) का जन्म साल 1942 में हुआ था और बचपन से ही उन्हें आइसक्रीम खाने का शौक था। जॉन के दादा आइसक्रीम बनाने वाली फैक्ट्री के मालिक थे, ऐसे में जॉन को बचपन से ही तरह-तरह की आइसक्रीम खाने का मौका मिल गया। इस तरह जॉन ने बचपन से ही आइसक्रीम के टेस्ट को पहचानने उसमें मौजूद कमियों के बारे में जानने वाले गुण विकसित कर लिये, जिसकी वजह से आगे चलकर उन्हें आइसक्रीम टेस्ट करने की नौकरी मिल गई।
ज्वाइन की डेयरी कंपनी
बचपन से अलग-अलग प्रकार की आइसक्रीम खाने के शौकीन जॉन हैरिसन ने साल 1956 में एक डेयरी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी, यह कंपनी आइसक्रीम बनाने का काम करती था। हालांकि शुरुआत में जॉन ने बतौर आइसक्रीम टेस्टर कंपनी को ज्वाइंन नहीं किया था, लेकिन उनके सुझावों से कंपनी को आइसक्रीम के फ्लेवर को बेहतर बनाने में काफी मदद मिली थी।
इसके बाद कंपनी ने जॉन को आइसक्रीम टेस्ट करवाना शुरू कर दिया, ताकि उनके सुझावों से आइसक्रीम के टेस्ट या फ्लेवर में बदलाव किया जाए। ऐसे में जॉन हैरिसन ने डेयर कंपनी में काम करते हुए लगभग 200 मिलियन गैलन आइसक्रीम का स्वाद चखा था। जॉन को रोजाना 20 अलग-अलग फ्लेवर की आइसक्रीम को खाना पड़ता था और हर फ्लेवर की आइसक्रीम के 3 से 4 ऑप्शन हुआ करते थे। इस तरह वह हर 5 घंटे में 60 प्रकार की अलग-अलग आइसक्रीम खाते और उसके स्वाद के बारे में कंपनी को बताते थे।
सोने की चम्मच से करते हैं आइसक्रीम टेस्ट
जॉन हैरिसन द्वारा टेस्ट की गई आइसक्रीम को ही आगे मार्केट में भेजा जाता था, अगर वह आइसक्रीम में कमी बता दें तो उसे फैक्ट्री से बाहर नहीं भेजा जाता था। जॉन अपने पास एक खास तरह की चम्मच रखते थे, जिसमें सोने की परत चढ़ी हुई थी। दरअसल प्लास्टिक या स्टील की चम्मच से आइसक्रीम टेस्ट करने पर उसका सही स्वाद पता लगाना मुश्किल होता था, क्योंकि उस चम्मच में हल्का रार होता है। ऐसे में सोने की परत चढ़ी चम्मच से आइसक्रीम खाने पर उसके स्वाद का पता लगाना आसान होता था।
John Harrison की जीभ का इंसोरेशन
जॉन हैरिसन की आइसक्रीम चखने वाली नौकरी भले ही स्वादिष्ट और आसान लगती हो, लेकिन इस काम के लिए जॉन को काफी ज्यादा मेहनत और दिमाग लगाने की जरूरत पड़ती थी। उन्होंने डेयरी कंपनी में काम करते हुए न सिर्फ आइसक्रीम का स्वाद पता लगाया, बल्कि कंपनी को अलग-अलग सुझाव भी दिए थे। इस काम में जॉन हैरिसन की जीभ ने अहम भूमिका निभाई थी, जिसके चलते उन्होंने अपनी जीभ का 20 लाख डॉलर का इंसोरेशन करवा रखा है। सालों तक आइसक्रीम खाने के बाद जॉन आइसक्रीम टेस्टिंग के बाद उसे थूक दिया करते थे।
हालांकि शुरुआत में इस काम को करने के दौरान वह पूरी की पूरी आइसक्रीम खा जाते थे, लेकिन ऐसा करने की वजह से उनके शरीर का वजन बढ़ने लगा और वह मोटापे का शिकार हो गए। ऐसे में जॉन ने आइसक्रीम टेस्ट करके उसे थूक देने का विकल्प चुना, ताकि उनका शरीर भारी भरकम न हो। जॉन हैरिसन साल 2010 में आइसक्रीम टेस्टिंग के काम से रिटायर हो गए थे, हालांकि वह अभी भी निजी तरीके से आइसक्रीम का स्वाद चखने और उसका फ्लेवर बताने का काम कर रहे हैं।
क्या अलग है जॉन हैरिसन की जीभ में
हर व्यक्ति के शरीर में किसी न किसी प्रकार की खास बात जरूर होती है, फिर चाहे वह उसकी जीभ हो या फिर नाक। जॉन हैरिसन की जीभ ने उन्हें करोड़पति तो बनाया ही, इसके साथ ही उन्हें दुनिया भर में एक अलग पहचान भी दिलाई। वैज्ञानिकों की मानें तो जॉन हैरिसन की जीभ आम लोगों की जीभ से अलग और स्पेशल है, जिसकी वजह से वह हर तरह के स्वाद को आसानी से पहचान सकते हैं। जॉन हैरिसन की जीभ पर मौजूद स्वादग्रंथी आम आदमी की जीभ से 11.5 प्रतिशत ज्यादा पतली है।
यही वजह है कि जॉन हैरिसन अपनी जीभ और स्वादग्रंथी की मदद से आइसक्रीम के हर फ्लेवर को आसानी से पहचान लेते हैं और उसमें मौजूद कमियों को बता सकते हैं। जबकि आम आदमी के लिए यह काम कर पाना बहुत ही मुश्किल होगा।
अलग अलग देशों में पसंद की जाने वाली आइसक्रीम
इतने सालों तक आइसक्रीम का स्वाद चखने के बाद जॉन हैरिसन इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझ चुके हैं कि किस देश के लोगों को किस प्रकार की आइसक्रीम पसंद आएगी। उनकी मानें तो न्यू इंग्लैंड के लोग कॉफी आइसक्रीम खाना पसंद करते हैं।
कैलीफोर्निया और पश्चिमी राज्यों में चॉकलेट फ्लेवर की आइसक्रीम खाना पसंद है, वहीं दक्षिण और मिडवेस्ट के लोग पेकॉन और स्ट्राबेरी फ्लेवर की आइसक्रीम खाना पसंद है। जबकि वनीला फ्लेवर की आइसक्रीम दुनिया भर में सबसे ज्यादा खाई जाती है।
400 ईसा पूर्व में बनी थी आइसक्रीम
ऐसा नहीं है कि आइसक्रीम का इजाद फ्रिज का आविष्कार होने से बाद हुआ था, क्योंकि आइसक्रीम बनाने का काम 400 ईसा पूर्व में ही शुरू हो चुका था। उस दौर में तांगराज वंश के राजाओं का शासन था, जिनके लिए दूध में चावल का आटा और कपूर डालकर पकवान बनाए जाते थे। ऐसे में पकवान को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए उन्हें बर्फ में रख दिया जाता था, जो जम जाते थे और उन्हें ठंडा-ठंडा राजाओं को परोसा जाता था। इस तरह विश्व में पहली बार आइसक्रीम बनाई और खाई गई थी, जिसका स्वाद राजा परिवार को भी बहुत पसंद आया था।
आपको बता दें कि उस समय आर्टिफिशियल नहीं, बल्कि पहाड़ों पर जमने वाली बर्फ को स्टोर करके रखा जाता था। जिसकी वजह से युद्ध या लंबे सफर के दौरान खाने पीने की चीजों को ताजा रखा जाता था और प्राकृतिक बर्फ लंबे समय तक पिघलती नहीं थी। इस तरह अलग-अलग शताब्दी में आइसक्रीम बनाने का रेस्पी एक जगह से दूसरी जगह पहुँची और उसमें फल और अन्य प्रकार का फ्लेवर एड किए जाने लगे। जिसके बाद पश्चिमी देशों में आइसक्रीम की फैक्ट्रियाँ लगी और लोगों को अलग-अलग फ्लेवर की आइसक्रीम खाने का मौका मिला था।