Jeune Lobo and Avin Pais Mud House – आज के आधुनिक दौर में हर व्यक्ति चाहता है कि उसके पास एक खूबसूरत घर, आरामदायक बैडरूम और लग्जरी कार हो, जिसमें वह ऐशो आराम से अपनी ज़िन्दगी जी सके। लेकिन इंसान के इस ऐशो आराम की वज़ह से प्रकृति को काफ़ी कुछ झेलना पड़ता है, जिसकी वज़ह से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है।
हालांकि तेजी से शहरी जीवन की तरफ़ प्रभावित हो रहे लोगों में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जो सब कुछ छोड़कर प्रकृति के बीच बसना चाहते हैं। जहाँ तो गाड़ियों का शोर शराबा हो और न ही प्रदूषण और तेज गर्मी, ऐसा ही एक कपल शहर छोड़कर गाँव में सुकून की ज़िन्दगी जी रहा है।
शहर छोड़कर गाँव में बनाया घर (Mud House)
ज्वेन लोबो (Jeune Lobo) और अविन पाइस (Avin Pais) ने बेंगलुरु शहर की ज़िन्दगी को टाटा बाय-बाय बोलकर मैंगलोर के पास एक स्थिति एक छोटे से गाँव में घर बनाने का फ़ैसला किया। पति पत्नी की यह जोड़ी शहर की भीड़भाड़ से तंग आ चुके थे, लिहाजा उन्होंने प्रकृति के बीच अपना घर बना लिया।
अविन पाइस पेशे से एक आईटी कंसलटेंट हैं, जबकि उनकी पत्नी ज्वेन लोबो फैशन इंडस्ट्री में कंटेंट राइटर के रूप में काम करती थी। इस कपल ने अपनी ज़िन्दगी का ज्यादातर समय बड़े शहरों में रहते हुए बिताया है, जबकि वह बेंगलुरु में 10 साल रहे हैं।
लेकिन शहर की भीड़भाड़ में रहते हुए ज्वेन और अविन का मन हमेशा से गाँव की हरियाली के बीच शांत माहौल में रहने का करता था, इसलिए इस कपल ने गाँव में एक छोटा-सा घर बना लिया और वहाँ रहने लगे।
मिट्टी के घर में रहता है खुशहाल परिवार
अविन और ज्वेन शहर में नौकरी करने के दौरान अक्सर छुट्टी लेकर मैंगलोर के आसपास मौजूद गाँव में घूमने के लिए आते थे, जहाँ उन्हें बहुत ही शांति और सुकून का एहसास होता था। वह रोजाना ऑफिस से घर और घर से ऑफिस जाने वाली 8 घंटे की नौकरी से ऊब चुके थे, ऐसे में उन्होंने अपने रहने के लिए बेस्ट प्रॉपटी की तलाश शुरू कर दी।
इसके बाद साल 2018 में अविन और ज्वेन मैंगलोर में स्थित अपने दोस्त के फार्म हाउस में शिफ्ट हो गए थे, जहाँ उन्होंने रहने के लिए एक शिपिंग कंटेनर को अपना घर बनाया था। उस घर में न तो 24 घंटे पानी की सुविधा थी और न ही बिजली, इसके साथ ही उन्हें चूल्हे पर खाना पकाना पड़ता था।
इस तरह कम सुविधाओं के बीच रहते हुए अविन और ज्वेन को एहसास हुआ कि वह कम चीजों में भी आसानी से ज़िन्दगी जी सकते हैं, वह खेती करके सब्जियाँ उगाते थे और शाम को उन्हें ताज़ा सब्जियों को चूल्हे पर पकाकर खाना तैयार करते थे।
इसके बाद इस कपल ने मूदबिद्री तालुका के अंतर्गत आने वाले एक गाँव में फार्म हाउस बनाया, जो पूरी तरह से मिट्टी से तैयार किया गया है। 550 स्क्वायर फीट की जगह में बनाए गए इस घर की नींव लेटराइट पत्थर पर रखी गई है, जबकि दीवारों को मिट्टी से तैयार ईटों पर खड़ा किया गया है।
हालांकि घर की चिनाई के लिए सींमेट का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन घर के अंदर या बाहर किसी तरह का प्लास्टर नहीं किया गया है। घर की छत को जीआई फ्रेम और सेकंड हैंड मैंगलोर टाइल्स की मदद से तैयार किया गया है, ताकि घर का तापमान सीमित रहे।
कम संसाधनों में बेहतर जीवन
अविन और ज्वेन के इस छोटे से घर में एक बेडरूम, कीचन, बाथरूम और टॉयलेट है, जबकि घर के अंदर सिर्फ़ ज़रूरत की चीजें मौजूद हैं। इस कपल अपने पुराने फर्नीचर का इस्तेमाल करके इस घर को सजाया है, जिसमें सोफा, टेबल, अलमारी और बेड शामिल है।
अविन और ज्वेन के इस मिट्टी की घर में बिजली कनेक्शन नहीं है, बल्कि यह लोग सौर ऊर्जा के जरिए तैयार होने वाली बिजली पर निर्भर रहते हैं। 300 वाट वाले सौर सिस्टम के जरिए उनके घर में लाइट्स, मिक्सर, चार्जर और पंखे आदि चलते हैं, जबकि घर में एसी और फ्रिज जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी वाली चीजें मौजूद नहीं हैं।
इसके अलावा इस घर में पानी का कनेक्शन भी नहीं है, यह कपल हर साल बारिश के पानी इकट्ठा करके 6, 000 लीटर पानी स्टोर कर लेता है। इस पानी का इस्तेमाल रसोई से लेकर रोजमर्रा के कामों के लिए किया जाता है, वहीं एक बार इस्तेमाल हो चुके पानी को दोबारा बागवनी और सब्जी की सिंचाई के लिए यूज किया जाता है।
इस तरह बरसात के पानी से ही घर की ज़रूरतों, पीने का पानी और सिंचाई की बंदोबस्त हो जाता है, जिसकी वज़ह से इस दंपत्ति को ज़्यादा पानी बर्बाद करने या कनेक्शन लेने की ज़रूरत महसूस नहीं होती है। इसके साथ वह घर से निकलने वाले कचरे को जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
खेती के जरिए प्राप्त करते हैं ताज़ा फल और सब्जियाँ
शहर से गाँव में आकर बसा यह कपल घर के पास मौजूद 2 एकड़ की ज़मीन में खेती करते हैं, जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियाँ उगाई हैं। वह रसोई और बॉथरूम में इस्तेमाल हुए पानी को खेती की सिंचाई के लिए यूज करते हैं, जबकि कीचन से निकले कचरे से जैविक खाद बनाकर खेत में डालते हैं।
अविन और ज्वेन ख़ुद को किसान नहीं मानते हैं, लेकिन वह खेती के इतने गुर सीख चुके हैं कि अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मौसमी फल और सब्जियाँ उगा लेते हैं। इसके साथ ही उनके खेत में सुपारी, काली मिर्च, कोका और नारियल के पेड़ भी मौजूद हैं।
संतुलित रहता है घर का तापमान
मिट्टी की ईटों से घर की दीवार लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अंदर का तापमान हमेशा बाहर के तापमान के मुकाबले 3 से 4 डिग्री कम रहता है। यही वज़ह है कि इस कपल को गर्मी के मौसम में कूलर या एसी की ज़रूरत नहीं होती है, जबकि बरसात के मौसम में मिट्टी की दीवार इतनी ठंडी हो जाती है कि उन्हें पंखा भी बंद करना पड़ता है।
इसके अलावा यह परिवार नए कपड़े खरीदने और फालतू की चीजों पर पैसे ख़र्च करने से परहेज करता है, इसलिए वह सिलाई मशीन के जरिए पुराने कपड़ों से ही नए डिजाइन के कपड़े तैयार कर लेते हैं। अविन और ज्वेन अपने बच्चों को भी कम संसाधनों में रहने की सीख दी है, जिसकी वह से उनके बच्चे बहुत ही शांत और सभ्य स्वभाव के हैं।
नहीं पड़ती डॉक्टर और दवाई की ज़रूरत
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अविन और ज्वेन जब से अपने मड हाउस में शिफ्ट हुए हैं, तब से उन्हें डॉक्टर और दवाईयों की ज़रूरत महसूस नहीं होती है। उन्होंने पिछले सात सालों में अपनी जीवन शैली को इतना बदल लिया है कि उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं होती।
प्रेग्नेंसी के दौरान भी ज्वेन ने दवाईयों का सेवन नहीं किया, क्योंकि उन्हें लगता था कि इसका असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। ऐसे में बच्चों के जन्म के बाद ज्वेन और अविन कभी अस्पताल नहीं गए, यहाँ तक कि उनके बच्चों को भी क्लिनिक जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
अविन और ज्वेन का कहना है कि कभी-कभी मौसम बदलने की वज़ह से बच्चों को सर्दी, जुकाम और बुखार जैसी समस्या हो जाती है, लेकिन हम डॉक्टर के पास जाने के बजाय घरेलू नुस्खे आजमा कर इलाज़ कर लेते हैं। इस परिवार का खानपान और रहन सहन इतना साधा और सामान्य है कि वह बहुत कम बीमार पड़ते हैं, इसके अलावा उनकी डाइट में फास्ट फूड भी शामिल नहीं है।
अविन और ज्वेन उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो अपना गाँव और घर छोड़कर शहरों की तरफ़ भाग रहे हैं। जबकि शहर में न तो शांति है और न ही सेहत, अगर इंसान चाहे तो अपने हुनर के दम पर कम संसाधनों में जीवित रह सकता है। Jeune Lobo and Avin Pais Mud House