Interesting Facts about Playing Cards in Hindi – भारत में हर गली, नुक्कड़, गाँव या शहर में लोगों को ताश (Playing cards) खेलते हुए देखा जा सकता है, जो फुरसत के पलों में खेला जाने वाला सबसे लोकप्रिय खेल है। हालांकि आज के आधुनिक दौर में अब आप अपने मोबाइल फोन पर भी ताश खेल सकते हैं, जिसके लिए कई पॉपुलर लीग भी आयोजित की जाती है।
ताश के पत्तों (Playing cards) में 4 राजा सबसे अहम होते हैं, जो पूरे खेल को पल भर में बदल सकते हैं। लेकिन क्या आपको पता हैं कि इन चार राजाओं में से एक राजा के चेहरे पर मूंछ नहीं होती है, जबकि बाकी तीन राजाओं के चेहरे मूंछ होती है। आखिर एक राजा के चेहरे पर मूंछ न होने का क्या कारण है, आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब। Facts about Playing Cards in Hindi
बिना मूंछ वाला लाल पान बादशाह (king of hearts doesn’t have a moustache)
ताश में कुल 52 पत्ते होते हैं, जिनमें से चार पत्तों पर बादशाह की तस्वीर बनी होती है। इन राजाओं को काला पान, लाल पान, चिड़ी और डायमंड (इट) के नाम से जाना जाता है, जिसमें से 3 बादशाहों के चेहरे पर मूंछ होती है।
वहीं चौथे बादशाह यानी लाल पान के चेहरे पर मूंछ नहीं होती है, जिसे King of hearts के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल शुरुआत में जब ताश के पत्ते छापे गए थे, तो King of hearts के चेहरे पर भी मूंछ हुआ करती थी।
लेकिन जब इन ताश के पत्तों (Playing cards) को नए डिजाइन के साथ दोबारा से छापने के लिए भेजा गया, तो डिजाइनर लाल पान बादशाह के चेहरे पर मूंछे बनाना भूल गया था। ऐसे में ताश के 52 पत्तों में से 3 पत्तों में बादशाह के चेहरे पर मूंछ थी, जबकि लाल पान बादशाह को बिना मूंछ के ही गेम में शामिल कर लिया गया।
हालांकि इस गलती को ताश खेलने वाले खिलाड़ियों ने नोटिस कर लिया था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने डिजाइनर को गलती सुधारने के लिए नहीं कहा और ताश के पत्तों (Playing cards) पर लाल पान बादशाह बिना मूंछों के ही रह गए। तब से लेकर अब तक King of hearts बिना मूंछों के ताश के खेल को आगे बढ़ा रहे हैं और इस वजह से उनकी एक अलग पहचान बन चुकी है।
क्या सु’साइड किंग थे लाल पान बादशाह?
अगर आपने कभी लाल पान बादशाह यानी King of hearts के पत्ते को ध्यान से देखा है, तो यह पाया होगा कि उन्होंने एक हाथ से तलवार पकड़ी हुई है जो उनके सिर के पीछे की तरफ जाती है। इसी वजह से लाल पान बादशाह को सु’साइड किंग के नाम से भी जाना जाता है।
हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि बादशाह सच में खुद को तलवार से मारकर सु’साइड कर रहे हैं, बल्कि यह डिजाइनर की गलती का परिणाम है। जिस तरह ताश के पत्तों को रिडिजाइन करते हुए लाल पान बादशाह की मूंछें उड़ा दी गई थी, ठीक उसी प्रकार गलत डिजाइन की वजह से उनके सिर के पास ये तलवार बना दी गई थी।
हालांकि बाद में जब लाल पान बादशाह को सु’साइड किंग के रूप में पहचाना जाने लगा, तो राजा की खराब होती छवि को बचाने के लिए तलवार वाले डिजाइन की गलती को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया गया।
लेकिन इसके बावजूद भी ताश के पत्तों को दोबारा से डिजाइन नहीं किया गया, जिसकी वजह न तो लाल पान बादशाह की मूंछें वापस आई और न ही उनके सिर से आर-पार होती तलवार के डिजाइन को हटाया गया।
दुनिया के महान राजाओं पर रखा गया है नाम
ताश के पत्तों (Playing cards) पर मौजूद 4 बादशाहों का नाम दुनिया के सबसे मशहूर राजाओं के ऊपर रखा गया है, जो अपने वक्त में काफी लोकप्रिय शासक हुआ करते थे। इसमें हुकुम (SPADES) यानी काला पान के बादशाह का नाम इजराइल के राजा के ऊपर रखा गया है, जिनका नाम KING DAVID था।
वहीं चिड़ी (CLUBS) के बादशाह का नाम मेसाडोनिया के राजा सिंकदर महान के ऊपर रखा गया है, जिन्हें ALEXANDER THE GREAT के नाम से जाना जाता था। जबकि डायमंड किंग (DIAMONDS) का नाम रोमन राजा JULIUS CAESAR के ऊपर रखा गया है और लाल पान (HEARTS) का नाम फ्रांस के राजा CHARLEMAGNE को समर्पित है, जिन्होंने 747 से 814 AD तक शासन किया था।
यूरोप से शुरू हुआ था ताश का खेल (History of Playing Cards)
भले ही भारत में ताश का खेल (Playing cards) बहुत ही जोर शोर से खेला जाता हो, लेकिन इसकी असल शुरुआत यूरोप में हुई थी। 14वीं शताब्दी के दौरान यूरोप के लोगों ने रंगीन पत्तों वाले खेल की शुरुआत की थी, उस समय ताश के पत्तों का रंग और डिजाइन हर जगह अलग-अलग हुआ करता था।
ऐसे में 16वीं शताब्दी की अंत तक ताश का खेल काफी लोकप्रिय हो चुका था, जिसकी वजह से फ्रेंच कार्ड मेकर्स ने ताश के पत्तों को एक जैसा डिजाइन करने का फैसला किया। उन्होंने ताश के पत्तों पर 4 राजाओं की तस्वीर डिजाइन की और इस तरह ताश के 52 पत्तों को तैयार किया गया था।
हालांकि कुछ इतिहासकार दावा करते हैं कि ताश के पत्तों (Playing cards) को रिडिजाइन करने के काम 18वीं शताब्दी के अंत तक चलता रहा था, जिसकी वजह से इन पत्तों में कई बार बदलाव किए थे। इसके अलावा उनका यह भी मानना है कि ताश के खेल की शुरुआत शाही परिवार से हुई थी, हालांकि राजाओं ने कभी इस खेल को सार्वजनिक नहीं किया था।