IAS Vandana Singh Chauhan Success Story : अगर कोई इंसान अपने सपने को पूरा करने की ठान लेता है, तो वह अपने विश्वास, मेहनत और संघर्ष के दम पर आसमान में भी सुराग कर सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है वंदना सिंह चौहान ने, जिन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर आईएएस पद हासिल किया है।
IAS वंदना सिंह चौहान (IAS Vandana Singh Chauhan) उन लाखों लड़कियों को प्रेरित करती हैं, जिन्हें परिवार वाले घर से बाहर जाने और उच्च शिक्षा हासिल करने की इजाजत नहीं देते हैं। वंदना सिंह के लिए आईएएस के पद तक पहुँच पाना बिल्कुल भी आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने चुनौतियों का डट कर मुकाबला किया और आज अफसर बिटिया बनकर अपने पिता का नाम रोशन कर रही हैं।
कौन हैं वंदना सिंह चौहान?
हरिया का नसरुल्लागढ़ नामक गाँव से ताल्लुक रखने वाली वंदना सिंह चौहान (IAS Vandana Singh Chauhan) का जन्म एक बहुत ही सख्त नियम कानूनों को मानने वाले परिवार में हुआ था, जहाँ लड़कियों को ज्यादा पढ़ाना ठीक नहीं माना जाता था। ऐसे में वंदना सिंह के लिए परिवार और गाँव वालों की रूढ़िवादी सोच का मुकाबला कर पाना बहुत ही मुश्किल था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने पढ़ लिखकर अफसर बनने का सपना देख लिया।
वंदना के गाँव में अच्छा स्कूल नहीं था, इस वजह से उनके पिता महिपाल सिंह ने अपने बेटों को अच्छे स्कूल में पढ़ने के लिए गाँव से बाहर भेज दिया था। लेकिन वंदना को गाँव में रहकर ही पढ़ना पड़ा, जिसके बाद एक दिन वंदना ने बात के खिलाफ आवाज उठाई और अपने पिता से कह दिया “मैं लड़की हूँ, इसलिए आप मुझे पढ़ने के लिए नहीं भेज रहे हैं।”
वंदना की यह बात उनके पिता के दिल में घर कर गई, जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह अपनी बेटी को शिक्षित करने का हर संभव प्रयास करेंगे। इसके बाद महिपाल सिंह ने मुरादाबाद में स्थित कन्या गुरुकुल में वंदना का एडमिशन करवा दिया था, जिसकी वजह से उन्हें अपने पिता और बड़े व छोटे भाईयों के विरोध का सामना करना पड़ा था। लेकिन महिपाल सिंह को पूरा भरोसा था कि वंदना पढ़ लिखकर काबिल बनेगी, लिहाजा उन्होंने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया।
वकालत की पढ़ाई के साथ यूपीएससी की तैयारी
इस तरह वंदना (IAS Vandana Singh Chauhan) ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद उन्होंने वकालत करने का फैसला किया। इस फैसले में वंदना के भाई ने उनका साथ दिया और उन्होंने घर से ही वकालत की पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन इसके साथ ही वंदना यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी कर रही थी।
वंदना का कहना था कि गुरुकुल में रहते हुए उन्होंने अनुशासन का पाठ बेहतर ढंग से सीख लिया था, जिसकी वजह से उन्हें परीक्षा की तैयारी करने में काफी मदद मिली थी। वंदना जिस कमरे में रहती थी, उसमें कूलर भी नहीं था। इसके बावजूद भी वह 18 से 20 घंटे तक जमकर पढ़ाई करती थी, जिसकी बदौलत उन्होंने साल 2012 में यूपीएससी परीक्षा पास करने में सफलता हासिल कर ली।
वंदना सिंह चौहान (IAS Vandana Singh Chauhan) ने न सिर्फ अपने घर वालों की रूढ़िवादी सोच को कुचलने का काम किया है, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया है कि बेटियों को भी शिक्षा का पूरा अधिकार है। वंदना सिंह के पिता ने उनके इस संघर्ष में उनका पूरा साथ दिया था, जिसकी बदौलत आज वह IAS ऑफिसर बनकर अपने पिता व परिवार का नाम रोशन कर रही हैं।
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