उत्तर प्रदेश के कुलदीप द्विवेदी जो एक सिक्योरिटी गार्ड के बेटे हैं। इतने अभाव में रहने पर भी उन्होंने अपने अभाव को वज़ह ना बनने दिया। दूसरों से किताबें उधार लेकर पढ़े और आज बन चुके हैं एक IAS ऑफिसर।
दरअसल यह कहानी है उत्तर प्रदेश के राय बरेली जिले के एक छोटे से गाँव में रहने वाले सूर्यकांत द्विवेदी के बेटे की। सूर्यकांत ख़ुद एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे और उनका ऐसा मानना था कि उनका बेटा भी बड़ा होकर ज़रूर एक दिन बड़ा अफसर बनेगा। इसके लिए उन्होंने हर संभव प्रयास किए और उनके बेटे कुलदीप द्वीवेदी ने भी अपने पिता कि मेहनत को बेकार नहीं जाने दिया। 2015 में उनके पिता का सपना और बेटे की मेहनत सफल हुई जब कुलदीप द्विवेदी ने यूपीएससी परीक्षा में पूरे देश में 242वीं रैंक हासिल की।
सन् 1991 में कुलदीप के पिता लखनऊ विश्वविद्यालय में सुरक्षा गार्ड थे, तब उनकी तनख्वाह 1100 रुपये थी और इसी पैसे से परिवार के पूरे 6 लोगों का ख़र्चा चलता। इसलिए बाद में उन्होंने अपनी ड्यूटी के बाद खेतों पर भी काम करना शुरू कर दिया। अब वह ड्यूटी कर के खेतों में आकर जुट जाते।
वह ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन फिर भी वह चाहते थे कि उनके बच्चे अच्छे से पढ़े लिखे और उन्होंने पूरी जी जान से मेहनत कर बच्चों को पढ़ाया। बच्चों ने पढ़ लिख कर कोई न कोई प्राइवेट नौकरी हासिल कर ली, जिससे परिवार कि हालत धीरे-धीरे सुधरी। लेकिन उन्हें बहुत गर्व महसूस हुआ, जब उनके सबसे छोटे बेटे ने उनका अधिकारी बनने का सपना पूरा किया।
कहाँ से की पढ़ाई?
कुलदीप और उनके सारे भाई बहन गाँव के ही सरकारी स्कूल से पढ़े। 2009 में कुलदीप ने इलाहबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में ग्रेजुएशन किया और यहीं से ज्योग्राफी में 2011 में एम.ए भी किया। इसके बाद वह यूपीएससी परीक्षा कि तैयारी में जुट गए और दिल्ली आ गए। यहाँ वह शेयरिंग में रूम में रहते थे। यहाँ तक कि उनके पास किताबें खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे इसलिए अपने दूसरे दोस्तों की किताबें मांग कर उन्होंने पढ़ाई की।
पहले साल की परीक्षा में तो वह प्री भी क्लियर नहीं कर सके। तो वहीं दूसरे साल मेंन्स में अटक गए। उनका दो साल लगातार असफल होना उनके लिए डेडलाइन जैसा था क्योंकि उनके घर की इतनी आमदनी नहीं थी कि उनके पिताजी इतना पैसा भेज सकें।
आखिरकार 2015 में कुलदीप की मेहनत और उनके माता पिता कि उम्मीदें पूरी हुईं। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 242वीं रैंक हासिल कर एक आईएएस अधिकारी बनने का अपना सपना पूरा कर लिया। कुलदीप ने नौकरी के लिए इंडियन रेवेन्यू सर्विसेस को चुना और अपने पूरे गाँव समाज के लोगों के लिए प्रेरणा बने।