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Petrol Pump पर इस नए तरीके से की जा रही है ग्राहकों के साथ ठगी, बचने के लिए जाने तरीका

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भारत के हर राज्य, शहर और हाई-वे पर Petrol Pump की सुविधा मौजूद होती है, जिसकी मदद से वाहनों में फ्यूल भरवाना आसान और सुविधाजनक हो जाता है। ऐसे में गाड़ी में पेट्रोल भरवाते वक्त ग्राहक की नजर मशीन पर होती है, जिसमें जीरो की रेडिंग देखी जाती है।

हालांकि इसके बावजूद भी आम आदमी के साथ पेट्रोल या डीजल भरवाते वक्त ठगी हो जाती है, क्योंकि मशीन पर 0 की रेडिंग आने के बावजूद भी टैंक में कम फ्यूल भरा जाता है। ऐसे में पेट्रोल पंप पर फ्यूल भरवाते वक्त ग्राहक को कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि वह ठगी का शिकार होने से बच सके।

Petrol Pump पर ऐसे होती है ठगी

आमतौर पर शुद्ध पेट्रोल की डेंसिटी 730 से 770 kg / m3 होती है, जबकि डीजल की डेंसिटी 820 से 860 kg / m3 होती है। ऐसे में अगर पेट्रोल पंप मालिक कम डेंसिटी वाला पेट्रोल या डीजल बेचता है, तो इसका मतलब यह है कि उस फ्यूल में मिलावट की गई है। इस तरह की मिलावट में फ्यूल के साथ पानी मिला दिया जाता है, जिससे टैंक तो भर जाता है लेकिन ईंधन नहीं मिलता है।

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इसकी वजह से ग्राहक को ईंधन सम्बंधी नुकसान तो झेलना ही पड़ता है, जबकि मिलावटी फ्यूल की वजह से गाड़ी का इंजन और दूसरे पार्ट्स के खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं गाड़ी कम माइलेज देती है, जबकि इंजन पर नॉर्मल से ज्यादा दबाव पड़ता है।

ऐसे में अगर आप Petrol Pump पर फ्यूल भरवाने जाते हैं, तो पेट्रोल और डीजल की डेंसिटी का ख्याल जरूर रखें। इसके साथ ही फ्यूल कभी भी एक ही पेट्रोल पंप से नहीं भरवाना चाहिए, बल्कि अलग-अलग पेट्रोल पंप से फ्यूल भरवाने से यह पता चलता है कि टैंक में असल में कितना ईंधन आता है और गाड़ी कितनी माइलेज देती है।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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