History of Boroline Cream: सर्दियों का मौसम आते ही सूखी और रूखी त्वचा को मुलायम बनाने के लिए Boroline Cream का इस्तेमाल किया जाता है, जो त्वचा पर एक ब्यूटी और Antiseptic Cream की तरह काम करती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सालों से भारतीयों की स्किन की देखभाल करने वाली Boroline Cream का आविष्कार कैसे किया गया था। Boroline को सिर्फ एक क्रीम के रूप में नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों के सम्मान को बचाए रखने की मकसद से तैयार किया गया था। Boroline Success Story
Boroline Cream का आविष्कार
हर भारतीय के घर की शान बढ़ाने वाली Boroline Cream का आविष्कार साल 1929 में किया गया था, जिसे तैयार करने का जिम्मा जी.डी. फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड (G.D PHARMACEUTICALS PVT LTD) कंपनी ने उठाया था। इस कंपनी के मालिक गौर मोहन दत्त (Gaur Mohan Dutt) थे, जिन्होंने विदेशी सामान का विरोध करने के मकसद से हिंदुस्तानियों के लिए क्रीम बनाने का फैसला किया था।
दरअसल उस समय पूरे भारत में अंग्रेजों का कब्जा था, जिसकी वजह से भारतीयों को महंगा विदेशी सामान इस्तेमाल करने के लिए विवश किया जाता था। ऐसे में गौर मोहन दत्त ने विदेशियों को करार जवाब देने के लिए अपने देश में क्रीम बनाने का फैसला किया और इस तरह भारत में पहली ब्यूटी क्रीम Boroline का उत्पादन शुरू हुआ। इस तरह अंग्रेजों से आजादी प्राप्त करने से पहले ही गौर मोहन दत्त द्वारा तैयार की गए Boroline Cream ने पूरे भारत में अपनी पकड़ बना ली, जिसकी वजह से कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक इस क्रीम की मांग तेजी से बढ़ने लगी।
रूखी और सूखी त्वचा को मुलायम बनाने से लेकर जले और कटे के निशानों को जल्दी ठीक करने के लिए बोरोलिन का इस्तेमाल किया जाने लगा। सर्दियों में इस क्रीम को पहाड़ी इलाकों में यूज किया जाता था, वहीं दक्षिण भारत में बोरोलिन गर्मी से त्वचा को झुलसने से बचाती थी।
भारत की आजादी तक बोरोलिन इतनी ज्यादा मशहूर क्रीम बन चुकी थी कि खुद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इस क्रीम का इस्तेमाल किया करते थे। वहीं अभिनेता राजकुमार को भी बोरोलिन का इस्तेमाल करना पसंद था, इस तरह साल 1947 में आजादी के जश्न के दौरान 1 लाख लोगों को फ्री में बोरोलिन क्रीम बांटी गई थी।
कैसे तैयार होती है Boroline Cream?
बोरोलिन एक ऐसा क्रीम है, जो ब्यूटी क्रीम और दवा के रूप में इस्तेमाल की जाती है। ऐसे में इस क्रीम को बनाए जाने का फार्मूला भी काफी दिलचस्प और अलग होगा। इस क्रीम को तैयार करने के लिए बोरिक एसिड, जिंक ऑक्साइड, परफ्यूम, पैराफिन और OLEUM का इस्तेमाल किया जाता है, इस तरह बोरो और ओलियम को मिक्स करके इस क्रीम को Boroline नाम दिया गया था।
शुरुआती दौर में Boroline सिर्फ ट्यूब में मिलती थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ इसकी पैकजिंग और साइज में बदलाव किया गया। हालांकि इतने सालों में न तो बोरोलिन की खुशबू में कोई बदलाव आया और न ही उसके हीलिंग प्रोसेस में।
सरकार से नहीं लिया कोई कर्ज
गौर मोहन दत्त ने भारतीयों के सम्मान के लिए Boroline Cream का उत्पादन शुरू किया था, लेकिन उन्होंने इस बिजनेस को शुरू करने के लिए भारत सरकार से बिल्कुल भी कर्ज नहीं लिया। इस क्रीम को बनाने वाली कंपनी पर भारत सरकार का 1 रुपया कर्ज भी नहीं है, जिससे यह पता चलता है कि गौर मोहन दत्त अपने काम लेकर कितने ईमानदार थे।
इतना ही नहीं Boroline Cream का फॉर्मूला इतना आसान है कि उसे कोई भी आसानी से कॉपी कर सकता है, लेकिन आज तक कोई भी स्वदेशी या विदेशी कंपनी बोरोलिन क्रीम का उत्पादन करने में सफल नहीं हो पाई है। यही वजह है कि भारत में सालों से Boroline का रूतबा कायम है, जिसे इस्तेमाल करने वालों की संख्या करोड़ों में है।
बंगाल और Boroline Cream का रिश्ता
Boroline Cream को तैयार करने में बंगाली व्यक्ति गौर मोहन दत्त का सबसे बड़ा हाथ था, इसलिए यह क्रीम बंगाल में काफी ज्यादा मशहूर है। बीतते समय के साथ भले ही बाजार में कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स और क्रीम आ गई हों, लेकिन बंगालियों की पहली पसंद आज भी बोरोलिन है। यहां के नागरिकों का मानना है कि जिस क्रीम को भारतीयों के मान सम्मान की रक्षा करने के लिए तैयार किया गया था, उसे इस्तेमाल न करना गौर मोहन दत्त का अपमान होगा। बंगाल में बच्चे से लेकर बूढ़े और महिलाएं तक हर कोई Boroline Cream का इस्तेमाल करते हैं और विदेशी प्रोडक्ट्स को यूज करने से परहेज करते हैं।
ऐसे में अगर आप भी इन सर्दियों में अपनी रूखी त्वचा को मुलायम और कोमल बनाए रखना चाहते हैं, तो विदेशी ब्रांड्स के बजाय Boroline Cream का इस्तेमाल करें। यह क्रीम सस्ते दामों पर उपलब्ध होती है और हर उम्र के व्यक्ति की त्वचा के लिए फायदेमंद है।