क्या आपने कभी 5 हज़ार रुपए प्रति किलो वाले गुड़ के बारे में सुना है या खरीदा है? अगर नहीं सुना है तो आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जो 77 तरह के गुड़ बनाकर उसे 80 रूपये से लेकर 5 हज़ार तक प्रति किलो बेच रहे हैं।
संजय सैनी (Sanjay Saini) नाम के किसान जो यूपी, सहारनपुर के मुबारकपुर गाँव के रहने वाले हैं। संजय पूरे 10 एकड़ ज़मीन पर जैविक तरीके से गन्ने की खेती करते हैं और उसके बाद संजय अपने कोल्हू पर 77 प्रकार के गुड़ बनाते हैं। उनके द्वारा बनाए हुए गुड़ की क़ीमत 80 रुपये से लेकर 5 हज़ार रुपये प्रति किलो तक है।
कृषि प्रदर्शनियों में अपने 77 प्रकार के गुड़ों को दिखाते हैं
संजय सैनी (Sanjay Saini) ने दावा करते हुए कहा है कि च्यवनप्राश बनाने में जितनी भी औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है, उतनी ही औषधियों का इस्तेमाल उनके द्वारा गुड़ बनाने में किया जाता है। यही कारण है कि पूरे देश भर से लोग उनके पास गुड़ खरीदने के लिए आते हैं। संजय ने कहा कि देशभर में जहाँ भी कृषि प्रदर्शनीयाँ लगाई जाती हैं वह उन प्रदर्शनियों में अपने 77 प्रकार के गुड़ों को दिखाते हैं।
गुड़ में स्वर्ण भस्म के अलावा 80 तरह की जड़ी बूटियों को मिलाया जाता है
संजय सैनी (Sanjay Saini) का ऐसा मानना है कि जड़ी बूटियों की क़ीमत के मुताबिक ही गुड़ की क़ीमत का निर्धारण किया जाता है। 5 हज़ार रुपए प्रति किलो बिकने वाले गुड़ के बारे में उन्होंने बताया कि इस गुड़ में स्वर्ण भस्म के अलावा पूरे 80 प्रकार की जड़ी बूटियों को मिलाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इस गुड़ की मांग लगभग 500 किलो तक है।
साल 2000 से ही वह जैविक तरीके से गन्ने की खेती कर रहे हैं
दैनिक जागरण को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 से ही वह जैविक तरीके से गन्ने की खेती कर रहे हैं। जब उन्होंने देखा कि गन्ने की फ़सल ठीक ढंग से हो रही है तब उन्होंने अपने कोल्हू पर ही ऑर्गेनिक गुड़ बनाना शुरू कर दिया। गन्ने के रस को भी साफ़ करने के लिए संजय सैनी किसी केमिकल के इस्तेमाल के बजाय सरसों तेल, दूध या अरंडी के तेल का इस्तेमाल करते हैं।
10 लोगों को रोजगार भी दिया है
संजय सैनी (Sanjay Saini) का यह व्यवसाय इतना बढ़ चुका है कि उन्होंने अपने पास 10 लोगों को रोजगार भी दिया है। संजय सैनी ने गुड़ बनाने के पहले बहुत रिसर्च किया है। उन्होंने जड़ी बूटियों से सम्बंधित कई किताबें पढ़ डाली, उसके बाद उसी अनुपात में गुड़ बनाने की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि गुड को ज़्यादा समय तक रखने के लिए और उसे फफूंद से बचाने के लिए वह दूध, एलोवेरा और तुलसी का भी प्रयोग करते हैं।
इस तरह किसान संजय सैनी (Sanjay Saini) ख़ुद तो सफलता की राह पर चल ही रहे हैं, साथ ही लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं ताकि वह भी अपने आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकें।