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एक ऐसी नहर जो बदल देती है 7000 किमी के रास्ते को महज़ 200 किमी में, जानिए क्या है इसकी खासियत

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हम जिस ख़ास नहर के बारे में आपको बता रहे हैं, वह है मिस्र की स्वेज नहर, जो कि भूमध्य सागर और लाल सागर के मध्य स्थित एक ऐसा समुद्री मार्ग है, जो 7000 किलोमीटर की दूरी को से 300 किलोमीटर में बदल देता है इस बात पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन यह सच है।

स्वेज नहर (Suez Canal) की लंबाई 194 किलोमीटर है। इस जलमार्ग से सबसे ज़्यादा फायदा उन समुद्री जहाजों को होता है, जो यूरोपीय देशों से व्यापार के लिए प्रयोग किए जाते है। इस जलमार्ग की बदौलत जहाजों को अफ्रीका महाद्वीप की तरफ़ से घुमाकर भूमध्य सागर में जाने से छुटकारा मिल जाता है और काफ़ी समय और ईंधन की बचत होती है।

आखिर क्यों है स्वेज नहर इतनी महत्त्वपूर्ण

स्वेज नहर (Suez Canal) विश्व के सर्वाधिक व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक मानी जाती है। सारे विश्व जितना भी समुद्री व्यापार किया जाता है, उसका 12 प्रतिशत आवागमन इसी नहर द्वारा किया जाता है। सारी दुनिया में तेल का भी जितना व्यापार होता है, उसका 7 प्रतिशत व्यापार इसी नहर के द्वारा किया जाता है। इतना ही नहीं, इस नहर के निर्माण के बाद एशिया तथा यूरोप के मध्य की दूरी 6000 किलोमीटर तक कम हो गई। अतः यात्रा में भी अब 7 दिन कम लगते हैं। हर रोज़ इस नहर से करीब 50 जहाज़ गुज़रा करते हैं, उन जहाजों पर 10 बिलियन डॉलर, मतलब 73 हज़ार करोड़ रुपये जितना सामान भरा होता है।

इस जलमार्ग में अगर कोई रुकावट आ जाए तो समुद्री जहाजों को भूमध्य सागर तक का सफ़र तय करने के लिए 7000 किलोमीटर का रास्ता तय करने की आवश्यकता होगी और इसमें ईंधन और समय की काफ़ी खपत होगी। लेकिन बदकिस्मती से यह जलमार्ग पिछले 7 दिनों से बंद था क्योंकि इस नहर में एवरग्रीन कंटेनर शिप फंसा था जो कि 23 मार्च को तिरछा होकर फंस गया था। यह ख़बर समुद्री व्यापारियों के लिए बहुत बुरी ख़बर थी क्योंकि यह नहर इतनी महत्त्वपूर्ण है कि वर्ष 2020 में स्वेज नहर से करीब 18500 समुद्री जहाज़ (लगभग 52 हज़ार प्रतिदिन) गुज़रे थे।

नहर की चौड़ाई बढ़ाने में करोड़ों रुपए ख़र्च किए गए

वैसे तो इस नहर को 17 नवंबर 1869 को आधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था, लेकिन चौड़ाई में कमी के कारण 2014 अगस्त में मिस्र सरकार ने इस नहर को और अधिक चौड़ा करवाया ताकि, बड़े समुद्री जहाज़ भी इस रास्ते सरलता से होकर जा सके। मिस्त्री सरकार ने नहर को चौड़ा करने के लिए 60 बिलियन मिस्र पाउंड (लगभग 28 करोड़ रुपए) ख़र्च कर दिए। इसके बाद इस नहर को आधिकारिक तौर पर 24 फरवरी 2016 को खोला गया।

इस तरह खोली गई स्वेज नहर (Suez Canal)

बता दे कि जो एवरग्रीन कंटेनर शिप नहर के रास्ते में बाधा बना हुआ था उस कंटेनर शिप को टग बोट की मदद से सीधा करने में सफलता मिल चुकी है और अब वह कंटेनर ग्रेट बिटर लेक की और चला गया है। यह कंटेनर यहाँ करीब 7 दिनों फंसा हुआ था। इस शिप को सीधा करने के लिए काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी। इस कंटेनर को सीधा करने के लिए 14 टग बोट द्वारा शिप के नीचे से 20 हज़ार टन रेत निकाली गई। जिसके बाद इस कंटेनर शिप की बोट द्वारा खींच के निकाला गया। टगबोट्स उन्हें कहते हैं, जिनसे जहाज़ को खींचकर ले जाते हैं।

एवरग्रीन कंटेनर शिप को निकालने के लिए भी इसी तरह के 10 टगबोट्स लगाए गए थे। फिर सोमवार के दिन सुबह तक उस जहाज़ को 80% तक सीधा कर लिया गया था। अधिकारियों का कहना है कि इस जहाज़ को निकालने में उनके आगे सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि उस जहाज़ के ऊपर 2.20 लाख टन से भी अधिक वज़न लदा हुआ था। नहर का रास्ता खुलने की ख़बर सुनकर समुद्री व्यापारियों ने ख़ुशी लहर दौड़ गई। हालांकि इस कंटेनर के कारण 900 करोड़ डॉलर का सामान अपनी मंज़िल तक देरी से पहुँचा।

क्या थी एवरग्रीन के फंसने की वजह

एवरग्रीन नामक यह मालवाहक जहाज़ जापान की कंपनी Shoei Kisen KK नाम से पनामा में रजिस्‍टर्ड है और इसको एवरग्रीन मरीन कंपनी ऑपरेट करती है। इसका निर्माण 2018 में हुआ था। इसकी की लंबाई 400 मीटर यानी 1, 312 फीट तथा इसकी चौड़ाई 59 मीटर यानी 193 फीट है। इस प्रकार से कहा जाय तो यह विश्व का सबसे बड़ा कार्गो शिप है। एवरग्रीन जहाज़ से एक ही बार में 20 हज़ार से भी अधिक कंटेनर ले जाए सकते हैं।

400 मीटर लंबा ये शिप मलेशिया से नीदरलैंड जा रहा था। ये कंटेनर शिप आकार में काफ़ी विशाल था जिसका आकार लगभग न्यूयॉर्क की एंपायर स्टेट बिल्डिंग की बराबर था। इस कंपनी के मालिक युकीतो हिगाकी का कहना है कि शिप के इस तरह से फंसने से इसके प्रोपेलर और रडार में कोई दिक्कत नहीं आई है और शिप को कोई भी नुक़सान नहीं हुआ है।

सॉल्‍ट शिपमैनेजमेंट ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस शिप की वज़ह से नहर में किसी तरह का कोई प्रदूषण नहीं हुआ। सॉल्‍ट शिपमैनेजमेंट ने अपने बयान में शिप के इस तरह से नहर में फसने की कोई पुख्ता वज़ह तो नहीं बताई है लेकिन इस घटना के लिए इंजन में आई गड़बड़ी की समस्या से भी इनकार नहीं किया गया है।

रास्ता बंद होने की वज़ह से लगा विशाल जाम

आश्चर्यजनक बात है कि 23 मार्च को इस कंटेनर शिप के फंसने की वज़ह से समुद्री व्यापारियों को करोड़ों का नुक़सान झेलना पड़ा, क्योंकि शिप के फंसने के बाद नहर में 300 किमी का विशाल जाम लग गया जिसमें लगभग 300 शिप फंस गई जिन पर करोड़ों का माल लदा था। वेज कैनाल अथॉरिटी के प्रमुख एडमिरल ओसामा रेबी ने खुलासा किया था कि इस जहाज़ के नहर में इस तरह से फंसने की मुख्य वज़ह तेज हवाओं का चलना था, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि इसकी वज़ह खराब मौसम नहीं था बल्कि इसके पीछे कोई मानवीय या तकनीकी गड़बड़ी थी, जिसके कारण एवरग्रीन कंटेनर शिप नहर में फंस गया और इतना विशाल जाम लग गया।

शिप फंसने से हुए दुष्परिणाम

एवरग्रीन शिप के फंसने का मुख्य प्रभाव कच्चे तेल के व्यापार पर पड़ा और साथ ही कई अन्य व्यापार भी इस घटना की चपेट में आए। करीब 1 सप्ताह तक कच्चा तेल एक देश से दूसरे देश ले जाने वाले जहाज़ जहाँ के तहाँ रुक गए। जिसके कारण कंपनियों ने अपना मार्ग बदल दिया। व्यापारियों को मजबूरन अपने जहाज़ को अफ्रीका की तरफ़ से घूमना पड़ा, जिसके कारण जहाज़ को 7000 किमी का लंबा रास्ता तय करना पड़ा। इस यात्रा के दौरान व्यापारियों को काफ़ी समय और ईंधन की मार झेलनी पड़ी। इसका गहरा प्रभाव अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर भी पड़ा, पर फिर जब सोमवार सुबह को फंसे जहाज़ के निकलने व नहर के खुलने की खबरें आयीं, तो कच्चे तेल के मूल्यों में गिरावट आ गयी।

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News Desk
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