HomeInnovationBionic Eye से दृष्टिहीनों को मिली रोशनी, 10 वर्षों के परिश्रम से...

Bionic Eye से दृष्टिहीनों को मिली रोशनी, 10 वर्षों के परिश्रम से विकसित हुई यह अद्भुत टेक्नोलॉजी

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

अंधेपन की तकलीफ वही व्यक्ति बता सकता है जिसने कभी दुनिया को अपनी आंखों से ना देखा हो। लेकिन आजकल समय के साथ-साथ टेक्नोलॉजी ने मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान कर दिए हैं और अब तो वैज्ञानिकों ने दृष्टिहीनों को दुनिया दिखाने का उपाय भी खोज निकाला है।

आजकल के इस तकनीकी युग में असंभव रोगों का इलाज़ भी जहाँ संभव हो गया है वहीं पूर्ण रूप से दृष्टिहीन व्यक्तियों हेतु अब एक नई टेक्नोलॉजी विकसित हो गई है जिसे Bionic Eye Technology कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि इन बायोनिक आंखों की सहायता से अब पूर्ण रूप से दृष्टिहीन लोगों की आंखों को भी रोशनी मिलेगी और वह देख पाएंगे।

Bionic-Eye

ऑस्ट्रेलिया में विकसित हुई Bionic Eye

ऑस्ट्रेलिया स्थित मोनाश बायोमेडिसिन डिस्कवरी यूनिवर्सिटी (Monash Biomedicine Discovery Institute) के वैज्ञानिकों द्वारा बायोनिक आँख का आविष्कार किया गया है। यह आँख कड़ी मेहनत और रीसर्च के पश्चात विकसित हुई है। इस बायोनिक आँख का सफल परीक्षण भी हो गया है तथा अब यह आँख मनुष्य के दिमाग़ में लगाने की तैयारी की जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह दुनिया की प्रथम बायोनिक आँख है।

जानिये क्या होती है बायोनिक आंख, कैसे करती है काम?

यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल व कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर लाओरी के अनुसार डॉक्टर्स द्वारा एक वायरलेस ट्रांसमीटर चिप तैयार की गयी है, जो की मस्तिष्क की सतह पर फिट की जाएगी। इस आविष्कार को बायोनिक आँख नाम दिया है। इसमें कैमरे के साथ हेडगियर भी लगाया गया है।

जो आस-पास में होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखता है और डायरेक्ट दिमाग़ से कांटेक्ट करेगा। इस डिवाइस का आकार नौ गुणा नौ मिमी है। इसके ऑप्रेशन के कुछ माह पश्चात रियान की रोशनी पुनः आने लगेगी और धीरे-धीरे करके उन्हें सब कुछ साफ़ दिखाई देने लगेगा। बायोनिक आँख को विकसित करने में दस साल से भी अधिक समय लगा।

ये भी पढ़ें – कचरे के ग्लूकोज की बोतल से ड्रिप सिस्टम वाली खेती कर काफ़ी कम समय में ही लाखों कमा रहा है यह किसान

डिवाइस बेचने हेतु दिया गया फंड

प्रोफेसर लाओरी के अनुसार बायोनिक आँख की सहायता से अंधापन दूर होगा। इतना ही नहीं यह आंखें जन्मजात दृष्टिहीन व्यक्तियों को भी लग सकती हैं। हाल ही में रिसर्चर्स द्वारा इस डिवाइस को बेचने के लिए फंड की मांग की गयी है। यद्यपि पिछले वर्ष भी उनको इस हेतु 7.35 करोड़ रुपये का फंड प्रदान किया गया था।

Bionic Eye का सफल परीक्षण

मोनाश इंस्टीट्यूट के डॉक्टर यांग वोंग के अनुसार रीसर्च के समय ऐसे दस डिवाइस का परीक्षण इन्होंने भेड़ों पर किया था। जिनमें से 7 डिवाइसों द्वारा भेड़ो को किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं पहुँची तथा पूरे 9 महीनों तक यह डिवाइस भेड़ों की आंखों में कार्य करता रहा।

इसके अलावा John Radcliffe Hospital में भी चिकित्सकों ने छह ऐसे व्यक्तियों पर Bionic Eye का परीक्षण किया, जो अंधे थे या फिर बहुत ही कम दिखता था। इस परीक्षण में डॉक्टरों ने उनके आँख की रेटीना के पीछे एक इलेक्ट्रोनिक चिप फिट की जिसे बायोनिक आँख कहते हैं।

कुछ महीनों बाद उनकी रोशनी पुनः लौटने लगी। उन्हें कुछ-कुछ दिखने लगा और फिर बाद में एक समय ऐसा भी आया कि कौन ऐसा कुछ था दिखने लगा। यह परीक्षण कुछ वर्ष पुराना है परन्तु बाद में भी ऐसे कई परीक्षण किए गए जिसमें बायोनिक आई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया तथा डॉक्टर सफल भी हुए हैं।

निश्चित रूप से यह टेक्नोलॉजी का एक अद्भुत आविष्कार है। हम शायद कल्पना भी नहीं कर सकते कि आने वाले युग में टेक्नोलॉजी कितनी आगे जाएगी और मनुष्य को क्या-क्या दे सकती है।

यह भी पढ़ें
News Desk
News Desk
तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

Most Popular